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भारत को बड़ी कामयाबी: कोरोना के खिलाफ तीन तरह के टेस्ट किए विकसित

कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता हाथ लगी है। दरअसल, देश में तीन तरह के टेस्ट विकसित किए जा चुके हैं और चौथे टेस्ट की भी पूरी तैयारी है।

Shreya
Published on: 28 May 2020 12:30 PM GMT
भारत को बड़ी कामयाबी: कोरोना के खिलाफ तीन तरह के टेस्ट किए विकसित
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता हाथ लगी है। दरअसल, देश में तीन तरह के टेस्ट विकसित किए जा चुके हैं और चौथे टेस्ट की भी पूरी तैयारी है। इनमें से एक टेस्ट आईआईटी दिल्ली ने विकसित किया है, जबकि एक चित्रा इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है। इस बात की जानकारी गुरुवार को प्रेंस कॉन्फ्रेंस में सरकार की तरफ से दी गई है।

देश में 30 ग्रुप कोरोना वैक्सीन पर कर रहे काम

बता दें कि देश में तकरीबन 30 ग्रुप कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के विजय राघवन ने कहा कि यह एक रिस्की प्रोसेस है। दुनिया में बहुत सारे लोग वैक्सीन बनाने की बात कर रहे हैं, लेकिन इस बात का पता नहीं है कि किसकी वैक्सीन वायरस के खिलाफ प्रभावी होगी। अगर वैक्सीन बेकार (waste) हो जाती है तो नुकसान भी होता है।

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एक ही समय पर 100 से ज्यादा वैक्सीन पर चल रहा काम

विजय राघवन ने कहा कि हम वैक्सीन नॉर्मल लोगों को देते हैं, ना कि पीड़ित और अंतिम स्टेज के मरीज को। इसलिए वैक्सीन की क्वालिटी और उसकी सेफ्टी को पूरी तरह से टेस्ट किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन 10 से 15 साल में बनती है और इसकी लागत करीब 200 मिलियन डॉलर होती है। लेकिन हमारी कोशिश है कि वैक्सीन को एक साल में विकसित कर लिया जाए। इसलिए एक वैक्सीन पर काम करने के बजाय हम लोग एक ही वक्त पर 100 से ज्यादा टीका पर काम कर रहे हैं।

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वैक्सीन बनाने की तीन तरह से हो रही कोशिश

उन्होंने कहा कि वैक्सीन बनाने की कोशिश तीन तरीकों से हो रही है। पहला तो हम खुद कोशिश कर रहे हैं। दूसरा ये कि हम बाहर की कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और तीसरा हम लीड कर रहे हैं और बाहर के लोगों हमारे साथ काम कर रहे हैं।

दवा बनाने की होगी होड़

प्रोफेसर के विजय राघवन ने कहा कि मौजूदा समय में आरटी-पीसीआर टेस्ट होता है, जो एक जेनेटिक मटीरियल टेस्ट है। हालांकि दूसरी तरह भी टेस्ट किया जा सकता है, जो अभी उपलब्ध नहीं है। दवा बनाने के लिए स्टूडेंट्स का हैकाथॉन किया जा रहा है। जिसमें जल्दी दवा बनाने की होड़ होगी। इसके बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) इसकी जांच करेगी।

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विज्ञान और तकनीक के माध्यम से जीती जाएगी कोरोना की जंग

कोरोना वायरस को लेकर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ दुनियाभर की जो लड़ाई है, उसमें अंतिम लड़ाई विज्ञान और तकनीक के माध्यम से जीती जाएगी। कोरोना के खिलाफ जंग वैक्सीन से जीती जाएगी।

विज्ञान और तकनीक में हमारा देश का आधार मजबूत है

उन्होंने कहा कि हमारे देश का विज्ञान और तकनीक का बेस मजबूत है। हमने सीमित संसाधनों के बाद भी बेस बहुत मजबूत किया है। डॉ. वीके पॉल ने कहा कि देश की फार्मा इंडस्ट्री को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है। हमारे यहां बनाई गई कई वैक्सीनें पूरे विश्व में जाती हैं और लोगों की जान बचाती हैं।

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