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भारत में भी कोरोना तोड़ेगा रिकाॅर्ड, जुलाई में अमेरिका को छोड़ देगा पीछे
भारत में लगातार कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब तक ढाई लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ गए हैं। अभी तक इस महामारी का कहर सबसे ज्यादा अमेरिका पर ही टूटा है...
नई दिल्ली: भारत में लगातार कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब तक ढाई लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ गए हैं। अभी तक इस महामारी का कहर सबसे ज्यादा अमेरिका पर ही टूटा है, लेकिन भारत में इसके बढ़ते रफ़्तार से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों भारत बहुत जल्द अमेरिका के करीब होगा।
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जुलाई में अमेरिका से भी आगे निकल जायेगा भारत
कोरोना की बढ़ती तेजी को देखते हुए अब विशेषज्ञों का भी मानना है कि जुलाई तक संक्रमण के मामलों में भारत, अमेरिका से भी आगे निकल जाएगा। जुलाई में होने भारत की स्थिति का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ हफ्ते पहले तक कोरोना केस के मामलों में भारत की गिनती दुनिया के तीस देशों में थी। मगर अब इटली को भी पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया के उन 6 देशों में शामिल हो गया है, जहां कोरोना संक्रमण के के सबसे ज्यादा मामले हैं। इसे देखते हुए ये अनुमान लगाया जा रहा है कि जून-जुलाई भारत के लिए सबसे नाजुक हैं।
21 लाख तक हो सकती है मरीजों की संख्या
भारत में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि भारत बहुत जल्द कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की लिस्ट में पांचवें नंबर में शामिल हो जाएगा। सिर्फ यही नहीं विशेषज्ञों को चिंता इस बात की भी है कि भारत में जुलाई तक कोरोना के मरीज की संख्या 21 लाख तक पहुंच सकती है। यानी भारत कोरोना के मरीजों के मामले में तब अमेरिका से भी आगे निकल जाएगा।
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इतने लोगों की जा सकती है जान
अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन में बॉयोस्टैटिस्टिक्स और महामारी रोग विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर भ्रमर मुखर्जी ने भारत में लॉकडाउन और कोरोना के कंट्रोल पर आधारित 43 पन्नों की एक रिपोर्ट बनाई है। इस रिपोर्ट में उन्होंने कहा है कि जुलाई की शुरुआत तक संक्रमण के मामले करीब साढ़ 6 लाख से बढ़ कर 21 लाख तक हो सकते हैं। साथ ही करीब 18 से 20 हज़ार लोगों की जान भी जा सकती हैं।
लॉकडाउन को ना बढ़ाना मुश्किल पैदा कर सकता है
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया है कि भारत में लॉकडाउन को ना बढ़ाना मुश्किल पैदा कर सकता है। जानकारों के मुताबिक किसी भी संक्रमण का पीक तब आता है, जब संक्रमण के मामले उच्चतम स्तर पर पहुंच जाते हैं। और इसके बाद संक्रमण की रफ्तार धीरे-धीरे कम होने लगती है। भारत में कोरोना का पीक जुलाई की शुरुआत में ही या मध्य में आ सकता। वहीं डब्लूएचओ का मानना है कि भारत में जुलाई के आखिर में कोरोना वायरस के मामले कम होने लगेंगे।
दिसंबर में स्थिति और भयावह हो सकती है
सबसे ज्यादा डराने वाली बात तो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज के डॉक्टरों ने कही है। डॉक्टरो के मुताबिक जून के आखिर और जुलाई की शुरुआत में भारत कम्यूनिटी ट्रांसमिशन के दौर में चला जाएगा। और इस साल दिसंबर तक भारत की आधी आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुकी होगी। यानी करीब 67 करोड़ भारतीयों को साल के अंत तक कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका होगा।
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हालांकि भारत के लिए अच्छी बात ये है कि 90 प्रतिशत लोगों पर वायरस का असर नहीं हो रहा है। क्योंकि ज्यादातर लोगों में इस वायरस के लक्षण दिखाई ही नहीं देते और सिर्फ 5 प्रतिशत लोगों को ही गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया जाता है।
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