TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

ऐसे थे रमन: नहीं थे पैसे तो मारा अपने शौक को, फिर यहां की थी नौकरी

भारत के लिए एक महान रत्न साबित हुए सर सीवी रमन की आज जन्म जंयती है। भौतिक विज्ञान में भारत के प्रथम नोबेल विजेता डॉ. सी.वी. रमन की कर्मस्थली कोलकत्ता रही है। इस शहर में उन्होंने नोबेल पुरस्कार हासिल करने की इबारत लिखी थी।

Vidushi Mishra
Published on: 7 Nov 2019 1:44 PM IST
ऐसे थे रमन: नहीं थे पैसे तो मारा अपने शौक को, फिर यहां की थी नौकरी
X

नई दिल्ली: भारत के लिए एक महान रत्न साबित हुए सर सीवी रमन की आज जन्म जंयती है। भौतिक विज्ञान में भारत के प्रथम नोबेल विजेता डॉ. सी.वी. रमन की कर्मस्थली कोलकत्ता रही है। इस शहर में उन्होंने नोबेल पुरस्कार हासिल करने की इबारत लिखी थी। यह एक बड़ा संयोग है 7 नवंबर को उनकी जयंती है और देश-विदेश के वैज्ञानिक यहां जुटे हैं और विज्ञान व प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों का उत्सव मना रहे हैं। चंद्रशेखर वेंकट रमन का 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। उनके पिता गणित और भौतिकी के प्राध्यापक थे। ऐसे में कहा जाए तो सी वी रमन को ये उपलब्धि उनके पिता से विरासत में मिली है।

यह भी देखें... सलाम है तुझे: बुन्देलखण्ड की इस महिला पत्रकार ने लहराया देश में परचम

रमन इफेक्ट

चंद्रशेखर वेंकटरमन को 1930 में फीजिक्स में खोज के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके खोज को रमन इफेक्ट के नाम से जाना जाता है।

रमन इफेक्ट का इस्तेमाल आज भी वैज्ञानिक क्षेत्र में हो रहा है। जब भारत से अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान ने चांद पर पानी होने की घोषणा की तो इसके पीछे रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का ही हाथ था। फॉरेंसिक साइंस में रमन के खोज का इस्तेमाल आज भी किया जाता है। रमन के खोज की वजह से ये पता लगाना आसान हुआ कि कौन सी घटना कब और कैसे हुई थी।

सरकारी नौकरी की कहानी

मास्टर की डिग्री सीवी रमन ने 1907 में मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से फीजिक्स में हासिल की थी। रमन विज्ञान के क्षेत्र में काम करना चाहते थे। लेकिन उनके भाई चाहते थे कि वो सिविल सर्विस का एग्जाम पास कर भारत सरकार में बड़े अधिकारी बने। सीवी रमन का परिवार कर्ज में डूबा था। उनके ऊपर परिवार का कर्ज उतारने की जिम्मेदारी थी।

यह भी देखें... हत्या की साजिश: इमरान सरकार पूर्व पीएम को दे रही धीमा जहर

सिविल सर्विस की नौकरी में अच्छी खासी तनख्वाह थी। उस तनख्वाह से रमन अपने परिवार का कर्ज उतार सकते थे। विज्ञान के क्षेत्र में सीमित अवसर थे। परिवार की तंग हालत देखकर वो इसमें अपना करियर नहीं बना पा रहे थे। अपने भाई के कहने पर रमन ने सिविल सर्विस की परीक्षा पास की और भारत सरकार के वित्त विभाग में सरकारी नौकरी कर ली।

भारत सरकार के वित्त विभाग की प्रतियोगिता परीक्षा में वो पहले स्थान पर आए. सीवी रमन को 1907 में अस्टिटेंट अकाउटेंट जनरल बनाकर कोलकाता भेजा गया।

समय को बचाकर करते थे खोज

इसके बाद सरकारी नौकरी करते हुए भी उनका विज्ञान के प्रति लगाव बना रहा। वो सरकारी नौकरी करते रहे और खाली वक्त में फीजिक्स पर रिसर्च करते रहे। उन्होंने 10 वर्षों तक सरकारी नौकरी की और इस दौरान अपना रिसर्च का काम जारी रखा। रमन का पार्ट टाइम रिसर्च कमाल का था। उनके रिसर्च के काम से कई वैज्ञानिक प्रभावित भी हुए।

सन् 1917 में कोलकाता यूनिवर्सिटी ने उन्हें फीजिक्स पढ़ाने के लिए अपने कॉलेज में आमंत्रित किया। कोलकाता यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर उन्हें कम वेतन मिल रहा था।

यह भी देखें... “बुन्देलखण्ड की आन-बान-शान और शौर्य का प्रतीक है ये अजेय दुर्ग”

देश का पहला नेशनल प्रोफेसर

लेकिन फीजिक्स में अपनी रूचि और इस क्षेत्र में कुछ नया करने के लिए उन्होंने प्रोफेसर की नौकरी कर ली। यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के दौरान भी उन्होंने अपना रिसर्च का काम जारी रखा। सीवी रमन के फीजिक्स के लेक्चर से छात्र काफी प्रभावित होते।

1930 में सीवी रमन को फीजिक्स के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला। वो विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पाने वाले पहले एशियाई थे। सीवी रमन ने फीजिक्स में लाइट के क्षेत्र में काम किया था। उनके रिसर्च को रमन इफेक्ट के नाम से जाना जाता है।

28 फरवरी 1928 को उन्होंने रमन इफेक्ट की खोज की थी। सीवी रमन के सम्मान में हर साल 28 फरवरी को विज्ञान दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

1934 में सीवी रमन बेंगलुरु के आईआईएससी में अस्टिटेंट डायरेक्टर बने. आजादी के बाद उन्हें देश का पहला नेशनल प्रोफेसर चुना गया. 1943 में उन्होंने बेंगलुरु में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापनी की। सीवी रमन को 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 21 नवंबर 1970 को उन्होंने दुनिया से अलविदा कह दिया।

यह भी देखें... अब फायदा ही फायदा: 2 GB से 5 GB तक मिल रहा शानदार ऑफर, जल्द करें रिचार्ज



\
Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story