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दिल्ली हिंसा: मां को धरने से वापस लाने गया था बेटा, दंगे का हो गया शिकार

उत्तर पूर्वी दिल्ली के कर्दमपुरी में अस्मतुल भी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे धरने पर इलाके की दूसरी और महिलाओं के साथ बैठी थी। पिछले सोमवार उनका 23 वर्षीय बेटा फैजान अपने काम पर गया हुआ था।

Aditya Mishra
Published on: 28 Feb 2020 6:09 PM IST
दिल्ली हिंसा: मां को धरने से वापस लाने गया था बेटा, दंगे का हो गया शिकार
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नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली के कर्दमपुरी में अस्मतुल भी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे धरने पर इलाके की दूसरी और महिलाओं के साथ बैठी थी।

पिछले सोमवार उनका 23 वर्षीय बेटा फैजान अपने काम पर गया हुआ था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस दिन वह घर लौटेगी तो फैजान को खो चुकी होगी....।

अस्मतुल का आरोप है कि पुलिस ने उसके बेटे की हिरासत में पिटाई की और इलाज नहीं कराया जिसके चलते उसकी मौत हो गई।बृहस्पतिवार को फैजान के शव का इंतजार कर रही अस्मतुल ने बताया कि सोमवार को वह कर्दमपुरी पुलिया के पास धरने में शामिल थी। उन्होंने कहा, ‘‘अचानक इलाके में हिंसा फैल गई और जब यह खबर फैजान को मिली तो वह मुझे तलाश करने आया।

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डॉक्टरों ने फैजान को मृत घोषित कर दिया

वह उसी समय काम से घर लौटा था।" रोते-रोते वह बताती हैं, "मां को बचाने आया लेकिन खुद हिंसा के भंवर में फंस गया।" अस्मतुल के मुताबिक, " पुलिस ने प्रदर्शनस्थल पर आंसू गैस के गोले छोड़ दिए और वहां धुंआ छा गया जिससे बचने के लिए फैजान सड़क की तरफ चला गया, जहां पुलिस ने उसे पकड़ लिया।’’

फैजान के परिवार का यह भी दावा है कि सोशल मीडिया पर वायरल जिस वीडियो में पुलिस पांच लड़कों को कथित रूप से सड़क पर लिटा कर पीट रही है और ‘जन गण मन’ गवा रही है, उसमें एक फैजान भी है। परिवार के लोगों का आरोप है कि, पुलिस फैजान को पकड़कर ज्योति नगर थाने ले गई और वहां भी उसे पीटा और इलाज नहीं कराया।

अस्मतुल ने कहा, ‘‘मैं उसकी तलाश में जीटीबी अस्पताल गई और हर कमरे में अपने बेटे को ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिला, इसके बाद मैं थाने गई और उसकी फोटो दिखाकर पूछा तो पुलिसकर्मी ने बताया कि वह यहीं है। मैंने कहा, उससे मिलवा दो। लेकिन पुलिस ने न तो मिलवाया और न ही दिखाया। मैं रात एक बजे तक थाने में बैठी रही। मैं बुधवार सुबह फिर थाने गई जहां पुलिस वाले कहने लगे कि इसे भी बंद करो।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इलाके के पार्षद साजिद खान के पास गई और उन्होंने थानेदार से बात की जिसके बाद शाम को मेरे बेटे को छोड़ा गया। उसकी हालात काफी खराब थी।’’ फैजान के पड़ोसी इमरान भारती ने बताया कि पुलिस के छोड़ने के बाद फैजान को घर ले आए तो उसकी तबीयत बिगड़ने लगी।

उन्होंने कहा, ’’दंगों के बीच बड़ी मुश्किल से किसी तरह उसे लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल ले जा पाए, जहां उसकी तबीयत और बिगड़ गई और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।’’

घरवालों को फैजान की लाश भी नहीं मिली

अभी घरवालों को फैजान की लाश भी नहीं मिली है। इसी इलाके के मोहम्मद फुरकान के परिजन भी दावा कर रहे हैं कि वह पुलिस की गोलीबारी का शिकार हुआ।

फुरकान के भाई इमरान ने बताया, ‘‘24 फरवरी को शाम करीब साढ़े पांच बजे मुझे फोन पर बताया गया कि मेरे भाई को गोली मार दी गई, लेकिन मुझे इस पर यकीन नहीं हुआ क्योंकि मैं एक घंटा पहले उससे घर पर मिलकर गया था।’’ वह बताते हैं, "मैं जीटीबी अस्पताल भागा जहां आपातकाल वार्ड में मैंने अपने भाई को तलाश किया।

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फुरकान की चार साल की एक लड़की और दो साल का बेटा है

मुझे वहां फुरकान नहीं उसकी लाश मिली।’’इमरान ने बताया कि 32 साल के फुरकान की चार साल की एक लड़की है और दो साल का बेटा है। उनकी शादी 2014 में हुई थी। उन्होंने बताया, ‘‘कर्दमपुरी में महिलाओं के प्रदर्शनस्थल पर सामने की तरफ से पुलिस या अर्द्धसैनिक बलों ने हमारे टैंट पर आंसू गैस के गोले छोड़े और गोलियां चलाईं।

इसी गोलीबारी में मेरे भाई फुरकान के पैर में गोली लग गई। उनके अलावा तीन-चार लोगों को गोली लगी थी। बाकी लोग बच गए लेकिन मेरे भाई की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि पुलिस की कार्रवाई में कई महिलाएं भी घायल हुई हैं।’’ इमरान ने कहा कि हम कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं।

कर्दमपुरी के आम आदमी पार्टी के पार्षद साजिद खान ने ‘कहा कि उनके पास आई सूचना के मुताबिक इलाके में तीन लोगों की मौत हुई है और कई घायल हैं। उन्होंने कहा कि अभी घायलों की सटीक संख्या की जानकारी नहीं है और घायलों में एक शख्स के सिर में गोली लगी है और वह लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में भर्ती है, जहां उसका ऑपरेशन होना है।

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