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मानवरहित यानों की बढ़ी पॉवर, DRDO ने नौसेना को सौंपे स्वदेशी लैंडिंग गियर
चेन्नई स्थित लड़ाकू वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) ने मानवरहित विमान की स्वदेशी लैंडिंग गियर प्रणाली को तैयार कर नौसेना को सौंप दिया गया।
नई दिल्ली: चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से तनाव के बीच भारतीय नौसेना को मानवरहित विमान की स्वदेशी लैंडिंग गियर प्रणाली मिल गयी है। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने नौसेना को ये प्रणाली सौंप उसे और मजबूत करने की दिशा में बड़ा प्रयास किया है। आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत तैयार एक टन वजनी इस प्रणाली को दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
DRDO ने नौसेना को सौंपी मानवरहित यानों के लिए स्वदेशी लैंडिंग गियर प्रणाली
दरअसल, चेन्नई स्थित लड़ाकू वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) ने मानवरहित विमान की स्वदेशी लैंडिंग गियर प्रणाली को तैयार किया है, जिसके परीक्षण के बाद इसे नौसेना को सौंप दिया गया। बता दें कि सीवीआरडीई ने केंद्र के आत्मनिर्भर कार्यक्रम के तहत उसने मानवरहित यान तापस के लिए तीन टन वजनी रिट्रेक्टेबल लैंडिंग गियर सिस्टम्स का निर्माण किया है और स्विफ्ट यूएवी के लिए एक टन की लैंडिंग गियर प्रणाली बनाई है।
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सीवीआरडीई ने तापस के लिए तीन टन वजनी रिट्रेक्टेबल लैंडिंग गियर सिस्टम्स का निर्माण किया
इस बारे में डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने बताया कि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके लिए उन्होने सीवीआरडीई को बधाई दी।
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बताया जा रहा है कि गियर प्रणाली के अलावा पी-75 पनडुब्बी में लगने वाले 18 हाईड्रॉलिक ल्यूब्रिकेशन एंड फ्यूल फिल्टर भी नौसेना को सौंपे गए हैं। इन फिल्टरों को भी सीवीआरडीई ने तैयार किया है।
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