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दारु भी कमाल की चीज: भाषाएं सीखने में इतनी मददगार, क्या आपको पता है ?

शराब का सेवन विदेशी भाषाओं को सीखने के लिये भी मददगार हैं। इसी कारण, अब भाषा प्रशिक्षण संस्थानों को जल्दी और अच्छा प्रशिक्षण देने के लिये शिक्षा के साथ-साथ पीने की व्यवस्था करानी पड़ेगी।

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Published on: 11 March 2021 7:15 PM IST
दारु भी कमाल की चीज: भाषाएं सीखने में इतनी मददगार, क्या आपको पता है ?
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पीना अब बुरी बात नहीं। शराब का सेवन जहां लोग अपने दुख दर्द मिटाने, खुशी को जताने के लिये करते हैं वहीं ये विदेशी भाषाओं को सीखने के लिये भी मददगार हैं।

विदुषी मिश्रा (Vidushi Mishra)

“शराब की एक बोतल जो काफी हैं गमों को भुलाने में,

मात्र एक पेग ही काफी हैं भाषांए सिखाने में।”

नई दिल्ली। पीना अब बुरी बात नहीं। मदिरा, शराब का सेवन लोग जहां लोग अपने दुख दर्द मिटाने, खुशी को जताने के लिये करते हैं वहीं शराब का सेवन विदेशी भाषाओं को सीखने के लिये भी मददगार हैं। इसी कारण, अब भाषा प्रशिक्षण संस्थानों को जल्दी और अच्छा प्रशिक्षण देने के लिये शिक्षा के साथ-साथ पीने की व्यवस्था करानी पड़ेगी। कहा जाता हैं कि विष को सोने के बर्तन में रखने से अमृत नहीं हो जाता, उसी प्रकार भले से भले और बुरे से बुरे इंसान को दारु पीने के बाद होश नही रहता। इंसान भले ही होश में न हो पर टल्ली हो जाने के बाद भाषाएं जरुर होश में आ जाती हैं।

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दिमाग की नसें ज्यादा क्रियाशील

यूनिवर्सिटी ऑफ लीवरपूल, ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज औऱ नीदरलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ मास्ट्रिच के शोधकर्ताओं की रिर्पोट के अनुसार, शराब पीने से व्यक्ति में न केवल आत्मविश्वास आता हैं, बल्कि सामाजिक अशांति से भी राहत मिलती हैं। शराब जिसे लोग बुरा मानते हैं, सिर मे चोट लगने पर शराब दिये जाने से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर चोट से खतरा कुछ प्रतिशत कम हो जाता हैं। शराब दिमाग के लिये फायदेंमंद हैं।

शराब पीने से दिमाग की नसें ज्यादा क्रियाशील हो जाती हैं। जिससे दिमाग तेजी से काम करने लगता हैं। शराब के सेवन से रक्त संचार बढ़ता हैं। जिस वजह से दिमाग सामान्य लोगों की तुलना मे तेजी से काम करने लगता हैं।इसी कारण लोग शराब पीने के बाद संकोच, डर, हिचकिचाहट से हटकर दिमाग के अनुसार कार्य करते हैं।

हां, ये बात और हैं कि उसे पानी की तरह नहीं बल्कि दवाई की तरह लेना चाहिए। शराब का नौकर बनने के बजाए उसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर उसके द्वारा अपना काम बनाया जा सकता हैं।

drink फोटो-सोशल मीडिया

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जैसा गाना वैसा दीवाना

भारत में 23 भाषाओं को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हैं। देश के आधे से ज्यादा लोग हिन्दी व अंग्रेजी दोनो भाषाएं बोलते हैं। लेकिन नौकरी की संभावना व विदेशों के प्रति रुचि बढ़ने के कारण अन्य भाषाएं भी प्रचलन में हैं।

पेग लगाने के बाद लोग अलग ही दुनिया में चले जाते हैं। अनजाने भी भाई बन जाते हैं। प्यार की नदियां और झरने बहने लगते हैं। शराब की एक या आधी बोतल पीने के बाद तो स्वंय ही शहंशाह बन जाते हैं। ये दारु नहीं चढ़ती, ये तो मेरे खून में हैं। अगर कहीं गाना बज जाये तो बात ही क्या है। “जैसा गाना वैसा दीवाना“ यही हालत हो जाती है।

टल्ली होने भर की देर होती हैं कि इंसान के सारे गुण खुद-ब-खुद बाहर आने लगते हैं। जो जिस भाषा के प्रेमी होते हैं, उन्ही में भावों को व्यक्त करते हैं। फिर चाहे भाषा अंग्रेजी हो, फ्रेंच हो, स्पेनिश हो या जर्मन।

शराब का सेवन सीमित मात्रा मे लेने पर ही भाषाओ पर हुआ शोध सफल हुआ, इसलिए इसे थोड़ी मात्रा मे लेना ही भाषा और स्वास्थय दोनो के लिए ठीक माना जाता हैं।

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