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करोड़ों लोगों को गरीबी के दलदल में फंसाएगा कोरोना संकट, विश्व बैंक का आकलन
विश्व बैंक का मानना है कि दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए कोरोना संकट भारी मुसीबत लेकर आया है और इसका नतीजा यह होगा कि छह करोड़ से अधिक लोग इस संकट के कारण गरीबी के दलदल में फंस जाएंगे।
नई दिल्ली: विश्व बैंक का मानना है कि दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए कोरोना संकट भारी मुसीबत लेकर आया है और इसका नतीजा यह होगा कि छह करोड़ से अधिक लोग इस संकट के कारण गरीबी के दलदल में फंस जाएंगे। विश्व बैंक का यह भी मानना है कि हाल के दिनों में पूरी दुनिया में गरीबी उन्मूलन की दिशा में जो कुछ भी प्रगति हासिल की गई है वह कोरोना संकट के कारण खत्म हो जाएगी।
गरीबी के दलदल में फंसेंगे छह करोड़ से अधिक लोग
विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपॉस का मानना है कि कोरोना संकट दुनिया भर के लोगों पर कहर बनकर बरपा है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस महामारी और तमाम विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बंद होने का नतीजा काफी बुरा आने वाला है। इस कारण दुनिया भर के छह करोड़ से अधिक लोगों के गरीबी के दलदल में फंसने की आशंका है।
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विकासशील देशों को 160 अरब डॉलर की मदद
उन्होंने कहा कि इस वर्ष विश्व बैंक ने सौ विकासशील देशों को 160 अरब डॉलर देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद दुनिया के विभिन्न देशों को इस मुसीबत से बाहर निकालना है। मालपॉस ने कहा कि वर्ल्ड बैंक की ओर से यह मदद 15 महीने की अवधि के दौरान दी जाएगी। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक से सहायता पा रहे इन 100 देशों में दुनिया की 70 फ़ीसदी आबादी रहती है। उन्होंने कहा कि इनमें से 39 अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र के हैं। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक की परियोजनाओं में एक तिहाई परियोजनाएं अफगानिस्तान, चाड, हैती और नाइजर जैसे नाजुक और चरमपंथ से प्रभावित इलाकों में चल रही हैं।
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अर्थव्यवस्था के लिए करने होंगे ठोस उपाय
विश्व बैंक के अध्यक्ष ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब काफी प्रयास करने होंगे क्योंकि कोरोना संकट ने विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर वृद्धि के रास्ते पर लौटने के लिए हमें लक्ष्य तय करने होंगे। यह लक्ष्य स्वास्थ्य सेवाओं की अापात व्यवस्था के साथ ही तीव्र और लचीला रुख अपनाकर हासिल किया जा सकता है।
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डब्ल्यूएचओ की भूमिका की होगी जांच
इस बीच अमेरिका ने कोरोना वायरस से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन पर हमले और तेज कर दिए हैं। अमेरिका के बढ़ते दबाव के कारण डब्ल्यूएचओ के सदस्य देश इस वैश्विक संकट के प्रति संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी की भूमिका की स्वतंत्र जांच पर सहमत हो गए हैं। माना जा रहा है कि स्वतंत्र जांच के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन में काफी बदलाव हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस वैश्विक एजेंसी की फंडिंग रोकने की बड़ी कार्रवाई की है। संगठन को सबसे ज्यादा फंडिंग अमेरिका से ही मिलती रही है और माना जा रहा कि अमेरिकी दबाव के कारण ही एजेंसी की कार्यप्रणाली की जांच की तैयारी की गई है।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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