रावण का ससुराल: यहां के लोग मानते हैं दामाद, करते हैं पूजा, दशहरा के दिन ये परंपरा

मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर में रावण को दामाद माना जाता है। क्योंकि मंदसौर को रावण की पत्नी यानी मंदोदरी का मायका कहा जाता है। इसलिए यहां पर लोग रावण की पूजा भी करते हैं। 

Shreya
Published on: 22 Oct 2020 1:38 PM GMT
रावण का ससुराल: यहां के लोग मानते हैं दामाद, करते हैं पूजा, दशहरा के दिन ये परंपरा
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रावण का ससुराल: यहां के लोग मानते हैं दामाद, करते हैं पूजा, दशहरा के दिन ये परंपरा

लखनऊ: रविवार यानी 25 अक्टूबर को देशभर में दशहरा (Dussehra) मनाया जाएगा। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि के आखिरी दिन जगह-जगह रावण दहन किया जाता है। बता दें कि भारत में रावण को एक बुराई के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। लेकिन कुछ ऐसी भी जगहें हैं जहां पर रावण की पूजा की जाती है। इनमें से एक है मध्य प्रदेश का मंदसौर शहर। कहा जाता है कि यहां से रावण का एक खास रिश्ता है।

यहां रावण को माना जाता है दामाद

बता दें कि प्राचीनकाल में मंदसौर को दशपुर कहा जाता था और पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, दशपुर रावण की पत्नी यानी मंदोदरी का मायका था। इसी वजह से यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं। भले ही लोग रावण को बुराई का प्रतीक मानते हैं और दशहरा के दिन उसका पुतला जलाते हैं, लेकिन यहां पर साल भर रावण की पूजा की जाती है।

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नामदेव समाज के लोग मंदोदरी को मानते हैं अपनी बेटी

मंदसौर में नामदेव समाज के लोग मंदोदरी को अपनी बेटी मानते हैं। इसी वजह से रावण को यहां का दामाद कहा जाता है। आज भी यहां पर रावण का जमाई जैसा आदर सम्मान होता है। मध्य प्रदेश के इस शहर में रावण की एक विशाल प्रतिमा भी है, जहां हर दिन रावण की पूजा भी करते हैं। रावण की ये प्रतिमा 41 फीट ऊंची है और लगभग चार सौ साल पुरानी मानी जाती है।

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संतान प्राप्ति के लिए होती है रावण की पूजा

खास तौर से यहां पर संतान प्राप्ति के लिए रावण की पूजा होती है। केवल यही नहीं यहां रावण को दामाद मानने की वजह से औरतें पूजा के दौरान घूंघट करती हैं। यहां पर लोग दशहरा के दिन सुबह-सुबह ढोल-बाजे के साथ रावण की पूजा करते हैं। हालांकि इसके बाद राम और रावण की सेनाएं निकाली जाती हैं और शाम को रावण दहन किया जाता है। वहीं दहन से पहले रावण से क्षमा याचना मांगने की भी परंपरा है।

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