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मोदी सरकार के खिलाफ किसान: 6 सालों में इतनी बार किया विरोध, आए थे सड़कों पर

इस समय पूरे देश में किसान केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लगातार हल्लाबोल रहे हैं। किसान सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। इसकी वजह मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि संबंधी बिल हैं।

Shreya
Published on: 25 Sep 2020 6:39 AM GMT
मोदी सरकार के खिलाफ किसान: 6 सालों में इतनी बार किया विरोध, आए थे सड़कों पर
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बताया जा रहा है कि कोयले की 520 रैकों की पंजाब के पांच बिजली संयंत्रों को सप्लाई की जानी थी, लेकिन वो भी नहीं हो पा रही है।

नई दिल्ली: इस समय पूरे देश में किसान केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लगातार हल्लाबोल रहे हैं। किसान सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। इसकी वजह मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि संबंधी बिल हैं। ये विरोध तो पंजाब से शुरू हुआ लेकिन अब देश के कोने-कोने तक फैल चुका है। वहीं इस विरोध को राजनीतिक पार्टियों का भी पूरी समर्थन मिल रहा है। बता दें कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब किसान मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं, इससे पहले भी कई मौकों पर वो सरकार के खिलाफ आंदोलन कर चुके हैं।

वैसे तो मोदी सरकार साल 2014 से ही किसानों को खुशहाल और समृद्ध बनाने का दावा करती रही है, लेकिन इसके बाद भी बीते छह सालों में किसान कई बार मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि बीते छह सालों में किसान सरकार के खिलाफ कब-कब मोर्चा खोल चुके हैं।

किसान महासभा रैली

दो साल पहले (2018) नवंबर में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देश के 208 जनसंगठनों से जुड़े किसान मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद तक एक बड़ी रैली निकाली थी। दरअसल, ये किसान फसल कर्ज माफी, स्वामिनाथन रिपोर्ट लागू कराने और कृषि उत्पादों के बेहतर न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे थे। इस आंदोलन में किसानों को कांग्रेस, AAP, वामदल और राकांपना समेत कई दलों का समर्थन मिला था।

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Kisan Andolan किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन (फोटो- सोशल मीडिया)

किसान क्रांति यात्रा

साल 2018 में ही भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में हजारों किसानों ने हरिद्वार से दिल्ली तक पैदल किसान क्रांति यात्रा निकाली थी। दरअसल, किसान गन्ना बकाया से लेकर स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने समेत कई मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे थे। किसान गांधी जयंती के मौके पर गांधी समाधि पर कार्यक्रम करना चाहते थे, लेकिन उन्हें दिल्ली में आने से पहले ही यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर रोक दिया गया, जिसके बाद किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और जमकर हंगामा किया।

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इसके बाद दिल्ली पुलिस ने किसानों पर पानी की बौछार की और उन पर आंसू गैस के गोले दागे थे। साथ ही उन पर लाठीचार्ज भी किया था, इस दौरान कई किसान घायल भी हो गए थे। इसके बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की किसानों के एक दल से मुलाकात हुई थी। इसके बाद सरकार द्वारा आश्वासन मिलने के बाद किसान लौट गए थे।

2017 में महीनों चला किसानों का धरना

साल 2017 में कर्ज माफी, सूखा राहत पैकेज और सिंचाई संबंधी समस्या के समाधान के लिए कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर तमिलनाडु के किसान दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई महीनों तक धरने पर बैठे रहे थे। इस दौरान किसानों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया था। साथ ही अपना मलमूल भी पिया था। इस दौरान किसानों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का भी समर्थन मिला था। राहुल इस प्रदर्शन में शामिल भी हुए थे। साथ ही तमाम किसान संगठन भी तमिलनाडु के किसानों के साथ खड़े हुए, लेकिन बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई.पलानिस्वामी की ओर से आश्वासन मिलने पर धरना खत्म हो गया था।

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protest मोदी सरकार के खिलाफ किसान (फोटो- सोशल मीडिया)

भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसान

सत्ता में आने के बाद जनवरी 2015 में मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव के लिए अध्यादेश लेकर आई थी, जिसके खिलाफ देशभर में किसानों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन किया। इस दौरान किसान सड़कों पर उतर आए। केंद्र सरकार ने इस इस अध्यादेश को लोकसभा से पास तो करा लिया था, लेकिन इतने बड़े आंदोलन के चलते सरकार बैकफुट पर आ गई थी।

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इसके बाद अब तीन कृषि विधेयकों के पास होने के बाद किसान मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरी है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन विधेयकों को कृषि सुधार में अहम कदम बताया, लेकिन किसान संगठन और विपक्ष इसके खिलाफ हैं। अब भारतीय किसान यूनियन समेत विभिन्न किसान संगठनों ने आज देशभर में चक्का जाम करने का एलान किया है। इसमें 31 संगठन शामिल हो रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के इस युद्ध में किसानों को कांग्रेस, RJD, समाजवादी पार्टी, अकाली दल, AAP, TMC समेत कई पार्टियों का साथ भी मिल रहा है।

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