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किसान बना भगवान: मजदूरों को ऐसे शानदार अंदाज में भेजा घर, पूरे देश में हो रही चर्चा
जब लॉकडाउन में रियायतों के बाद श्रमिकों के लिए ट्रेन चलाई गई तो पप्पन ने इन श्रमिकों को स्पेशल ट्रेन के जरिए घर जाने से मना कर दिया।
नई दिल्ली: कोरोना संकट के कारण पूरे देश में प्रवासी मजदूरों के हाथ से रोजगार छिन गया है और वे घर वापसी के लिए बेचैन हैं। घर वापसी में प्रवासी मजदूरों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोई पैदल ही घर का सफर तय करने को मजबूर है तो कोई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में भूख-प्यास से व्याकुल होकर घर वापसी की यात्रा कर रहा है। ऐसे में एक किसान ने अपने यहां काम करने वाले 10 मजदूरों की इस शानदार अंदाज में घर वापसी कराई जिसका सपना भी इन मजदूरों ने नहीं देखा था। दिल्ली में फंसे इन मजदूरों को किसान ने फ्लाइट के जरिए उनके गृह राज्य बिहार भेजा।
फ्लाइट के जरिए भेजा बिहार
इन दस प्रवासी मजदूरों को फ्लाइट के जरिए बिहार भेजने वाले उनके मालिक किसान का नाम पप्पन सिंह गहलोत है। ये सभी प्रवासी मजदूर दिल्ली के तीगीपुर गांव में पप्पन के तीन एकड़ खेत में मशरूम उगाने का काम करते थे। कोरोना संकट के कारण घोषित लॉकडाउन में ये सभी मजदूर दिल्ली में फंस गए थे। सभी मजदूर बिहार में समस्तीपुर जिले के खानपुर ब्लॉक स्थित श्रीपुर घरार नामक गांव के रहने वाले हैं। लॉकडाउन के कारण जब ये सभी मजदूर दिल्ली में फंस गए तो पप्पन सिंह ने उनके रहने और खाने का पूरा ख्याल रखा। दसों प्रवासी मजदूरों के घर मदद के लिए कुछ पैसे भी भेजे।
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ट्रेन से जाने से कर दिया मना
जब लॉकडाउन में रियायतों के बाद श्रमिकों के लिए ट्रेन चलाई गई तो पप्पन ने इन श्रमिकों को स्पेशल ट्रेन के जरिए घर जाने से मना कर दिया। इसके बाद जब केंद्र सरकार की ओर से घरेलू विमानों को उड़ान की इजाजत दी गई तो पप्पन ने अपने यहां काम करने वाले इन सभी 10 मजदूरों के लिए 68000 रुपए में फ्लाइट का टिकट खरीदा। पप्पन का कहना है कि वे प्रवासी मजदूरों के घर वापसी के लिए चिंतित और परेशान थे। कोरोना वायरस से बचने के लिए ही उन्होंने अपने यहां काम करने वाले मजदूरों को बस या ट्रेन से घर जाने से रोक दिया।
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1993 से ही काम कर रहे हैं मजदूर
पप्पन का कहना है कि मजदूरों का परिवार 1993 से ही उनके यहां काम कर रहा है। उस समय मेरे पहले की पीढ़ी ने दिल्ली के तीगीपुर गांव में मशरूम की खेती शुरू की थी। इस कारण वे इन मजदूरों से काफी लगाव रखते हैं। उनका कहना है कि मैं इस मामले को उजागर नहीं करना चाहता था मगर फ्लाइट से कुछ दिन पहले एक अस्पताल में कोरोना वायरस की जांच कराने से मीडिया को यह मामले की भनक लग गई। उनका कहना है कि मेरा मकसद कोई नाम कमाना नहीं बल्कि आत्म संतुष्टि के लिए ही मैंने यह कदम उठाया है।
मालिक की बड़ाई के लिए शब्द नहीं
पटना एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद इन मजदूरों के पास अपने मालिक की बड़ाई करने के लिए शब्द नहीं थे। उन्होंने एयरपोर्ट पर पहुंचने के तुरंत बाद अपने मालिक को फोन करके पटना पहुंचने के बारे में जानकारी दें। मजदूरों का कहना है कि दिल्ली में मालिक उन्हें छोड़ने के लिए एयरपोर्ट तक आए थे। पटना से समस्तीपुर स्थित अपने गांव तक जाने के लिए इन सभी मजदूरों को तीन-तीन हजार रुपए की मदद भी दी थी।
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फिर काम पर लौटेंगे मजदूर
वैसे तो कोरोना संकट के दौरान घर लौटने वाले अधिकांश मजदूर अब फिर काम करने के लिए महानगर लौटने की बात को खारिज करते हैं मगर फ्लाइट के जरिए अपने घर पहुंचे इन मजदूरों का कहना है कि वे हालात सामान्य होने पर अगस्त में काम करने के लिए अपने मालिक के यहां फिर लौटेंगे।