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किसानों की बल्ले-बल्ले! मोदी सरकार लाई 'आत्मा स्कीम', पढ़ें पूरी खबर
देश में कृषि और किसान का आगे बढ़ना तभी संभव है जब वो नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करें, साथ ही योजनाओं के बारे में समझें उसका लाभ उठाएं। इसके तहत केंद्र की मोदी सरकार ने 'आत्मा' नामक एक स्कीम बनाई है
नई दिल्ली: देश में कृषि और किसान का आगे बढ़ना तभी संभव है जब वो नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करें, साथ ही योजनाओं के बारे में समझें उसका लाभ उठाएं। इसके तहत केंद्र की मोदी सरकार ने 'आत्मा' नामक एक स्कीम बनाई है, जिसके तहत कृषि से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को खेती आधुनिक बनाने की ट्रेनिंग मिल सकती है।
कृषि विज्ञान केंद्र...
दरअसल, इस स्कीम को 684 जिलों में लागू कर दिया गया है, इसके तहत किसानों का प्रशिक्षण, प्रदर्शन, अध्ययन, दौरे, किसान मेले, किसान समूहों को संगठित करने और फार्म-स्कूलों का संचालन होगा. तो आप पीछे न रहिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) के जरिए इसका लाभ लीजिए।
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स्कीम का मकसद...
इस स्कीम का मकसद कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के बीच अच्छा तालमेल बैठाना भी है, इसे ठीक तरह से लागू करके किसानों की आय में इजाफा किया जा सकता है। वैज्ञानिक तरीके से खेती करके कम लागत में अधिक पैदावार की जा सकती है। अब तक 19.18 लाख किसानों को नई तकनीक से खेती करने की ट्रेनिंग दी गई है।
इन क्षेत्र में होगी किसानों को ट्रेनिंग...
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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अपने कृषि विज्ञान केन्द्रों नेटवर्क के जरिए टेक्नॉलोजी मूल्यांकन, प्रदर्शन और किसानों की क्षमता के विकास का कार्य करता है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसने इस साल 15.75 लाख किसानों को ट्रेनिंग दी है, बुदनी (मध्य प्रदेश), हिसार (हरियाणा), अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) और बिस्वनाथ चरियाली (असम) स्थित 4 कृषि मशीनरी ट्रेनिंग देने का काम कर रहे हैं, इनमें इस साल 9905 किसानों को ट्रेंड किया गया।
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उन्होंने कहा कि चावल, गेंहू, दलहन, मोटे अनाज और पोषक अनाजों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने को लेकर 3,42,188 किसानों को ट्रेंड किया गया, जबकि बागवानी विकास मिशन के तहत फलों, सब्जियों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू और बांस आदि की फसल के बारे में 1,91,086 किसानों को ट्रेंड किया गया।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा...
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए जरूरी है वैज्ञानिक विधि से खेती हो, जितने खेत में चीन का किसान सात टन धान पैदा करता है उतने में हम सिर्फ साढ़े तीन टन पर ही अटक जाते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वजह ये है कि हम वैज्ञानिक तरीके से खेती नहीं करते, खेती में मशीनों के इस्तेमाल और नई चीजों के प्रयोग के मामले में हम कई देशों से बहुत पीछे हैं। अगर हमारे यहां एग्रीकल्चर प्रोडक्टिविटी चीन, अमेरिका के बराबर हो जाए तो किसानों की आय अपने आप ही दोगुनी हो जाएगी।
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डॉ. अशोक दलवाई ने कहा...
इनकम डबलिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अशोक दलवाई कहते हैं कि विकसित देशों की तुलना में भारत में प्रोडक्टिविटी काफी कम है, इसे बढ़ाने की दिशा में सरकार काम कर रही है। दलवाई कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक धान, गेहूं, मक्का, दाल और मूंगफली के उत्पादन में हम विकसित देशों के मुकाबले बहुत पीछे हैं।
बढ़ेगी किसानों की आय...
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक खेती-किसानी पर खतरा जमीन कम होने का नहीं बल्कि वैज्ञानिक विधि से खेती न करने से है, हमारे किसान आधुनिक कृषि अपनाने में हिचकिचाते हैं।
एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर साकेत कुशवाहा के मुताबिक खेती करने के ढर्रे को बदले बिना हम किसानों की आय नहीं बढ़ा सकते, हमारे यहां हर साल बीज बदलने की प्रक्रिया नहीं है, सिर्फ इसी वजह से 20 फीसदी पैदावार कम हो जाती है।
इन कारणों से प्रोडक्टिवटी में आगे हैं ये देश...
चीन प्रति हेक्टेयर हमसे दोगुना चावल पैदा करता है, जर्मनी हमसे लगभग तीन गुना गेहूं पैदा करता है। अमेरिका भारत से चार गुना मक्का व तीन गुना मूगफली का उत्पादन करता है और कनाडा हमसे तीन गुना अधिक दाल पैदा करता है। इन फसलों में हमारा प्रोडक्शन विश्व औसत से भी कम है।