×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

किसान आंदोलन: किसान नेताओं ने कहा- ये सरकार किसानों की बात नहीं करती

हमारे लोगों को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आने से रोक रही है। ये सरकार किसानों की बात नहीं करती है, बस घुमाती है। किसान बोले कि पुलिस फोर्स लगाकर तानाशाही कर रही है।हमारे लोगों को परेशान किया जा रहा है।

Shivani
Published on: 15 Dec 2020 11:44 AM IST
किसान आंदोलन: किसान नेताओं ने कहा- ये सरकार किसानों की बात नहीं करती
X

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर के कई राज्यों के किसान आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं को घेर कर बैठें किसानों के आंदोलन का आज 20वां दिन है। किसान लगातार सिंघु बॉर्डर समेट अन्य सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। उन्होंने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है। हालाँकि सरकार इन कानूनों को रद्द करने के पक्ष में नहीं है और संसोधन पर चर्चा करने को तैयार है।

ये सरकार किसानों की बात नहीं करती-किसान

-किसान संगठन अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सिंधु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों ने कहा कि हमें अभी मीडिया से पता लगा है कि सरकार हमारी तरफ से लिखित जबाव का इंतजार कर रही है। सरकार बाहर से आने वाले लोगों को आने नहीं दे रही है।

-हमारे लोगों को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आने से रोक रही है। ये सरकार किसानों की बात नहीं करती है, बस घुमाती है। किसान बोले कि पुलिस फोर्स लगाकर तानाशाही कर रही है।हमारे लोगों को परेशान किया जा रहा है। ये सरकार अंबानी और अडानी की सरकार है। हम इसको अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होने देंगे।

बंद होने के कगार पर उद्योग- धीरज चौधरी

-कुंडली इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सदस्य धीरज चौधरी ने कहा कि किसानों के आंदोलन के चलते कच्चा माल नहीं आ पा रहा है। उत्पादन के लिए सहायक उपकरण और उत्पादित माल बाहर भेजना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। 30% वर्कफोर्स औऱ और कच्चे माल की कमी के चलते उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। उत्पादन ठप है।

ये भी पढ़ेंः संघर्ष ने बना दिया आर्मी अफसर, बालबांका अपने बुलंद इरादों से पहुंचा मंजिल तक

पी. चिदंबरम ने कहा- अपना रुख बदले सरकार

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि दिल्ली की कड़कड़ाती सर्दी में किसानों के 20 दिनों के विरोध के बाद भी सरकार 'रद्द नहीं होगा' के रुख पर कायम है।

यह स्पष्ट है कि किसानों और सरकार के बीच किसी भी समझौते के लिए संसद में एक नए विधेयक को पारित करने की आवश्यकता होगी। पी. चिदंबरम ने कहा कि सबसे आसान तरीका यह है कि वर्तमान कानूनों को निरस्त किया जाए और समझौते के आधार पर एक नया कानून फिर से बने। निरसन और पुनः अधिनियमन प्रसिद्ध विधायी उपकरण है। सरकार को अपने रुख को बदलना चाहिए और किसानों के साथ शीघ्रता से समझौता करना चाहिए।

ये भी पढ़ेंः प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ की छपाई रुकी, बेटे ने कही ये बात

किसानों ने फिर किया चिल्ला बॉर्डर बंद

किसानों ने नोएडा से दिल्ली जाने वाले चिल्ला बॉर्डर को बंद कर दिया है। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा दिया। किसान चिल्ला बॉर्डर पर दिल्ली कूच करने जा रहे थे। किसानों के हाथ में लाठी डंडे थे। नोएडा और दिल्ली पुलिस ने किसानों को समझाने की कोशिश की। बॉर्डर पर सैंकड़ों किसान हैं।

सिंघु बॉर्डर पर एक किसान की मौत

बताया जा रहा है कि सिंघु बॉर्डर में उषा टॉवर के सामने एक किसान की मौत हो गई। मृतक किसान मोहली का रहने वाला था और उसकी उम्र 70 साल के आस-पास थी। घटना की सूचना मिलने के बाद कुंडली थाना पुलिस मौके पर पहुंची हैं। पुलिस ने शव को कब्ज़े में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल सोनीपत भिजवा दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। बता दें कि लगातार बीते 20 दिनों से जारी किसान के आंदोलन में अब तक 10 किसानों की मौत हो चुकी है। कड़ाके की इस ठंड में किसान अभी भी अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं।

राकेश टिकैत ने केंद्र पर बोला हमला

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर हमला किया है। केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी आज से किसानों के बीच पंचायत कर रही है ताकि उन्हें किसानों से जुड़े कानूनों को समझाए जा सके। सरकार की इस कोशिश पर टिकैत ने कहा कि जब गीदड़ की मौत आती है तो वह गांव की तरफ भागता है, केंद्र सरकार कुछ ऐसा ही कर रही है।

किसान नेताओं से सरकार की लगातार चल रही बातचीत पर टिकैत का कहना है कि सरकार उनसे बातचीत कर रही है जो किसान हैं ही नहीं। उनके मुताबिक किसान तो दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर बैठा है जहां सरकार के नुमाइंदे बातचीत करने नहीं जा रहे हैं।

ये भी पढ़ेंः संसद का बजट सत्र: जनवरी में होगा शुरू, कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना

सिंघु बॉर्डर पर किसानो की बैठक

कृषि कानूनों को लेकर सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठन बैठक करने वाले हैं।इस बैठक में किसान आंदोलन की आगे की दिशा भी तय करने वाले हैं। वहीं आंदोलित किसानों केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर एलान किया है कि वह सरकार से बातचीत के लिए तैयार है लेकिन उनकी कुछ शर्तें होंगी।

केंद्र बोली- किसानों से बातचीत का विकल्प खुला

केंद्र सरकार की ओर से साफ किया गया है कि किसानों से बातचीत का विकल्प अब भी खुला है। कृषि मंत्री ने कहा है कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं, किसान अगर कोई प्रस्ताव भेजते हैं तो हम तैयार हैं। उन्होनें ने कहा- वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क कर रही है। तोमर ने कहा, ‘बैठक निश्चित रूप से होगी। हम किसानों के साथ संपर्क में हैं।’

ये भी पढ़ेंः सरकारी कर्मचारियों को खुशखबरी: सैलरी पर आई ये बड़ी खबर, लोगों में खुशी की लहर

किसान तीन शर्तों पर सरकार संग बैठक में होंगे शामिल

वहीं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति (AIKSCC) ने सरकार से बातचीत पर सहमति जताते हुए कहा कि कुछ शर्तों के साथ फिर से वार्ता की जा सकती है। उन्होंने वार्ता को लेकर सरकार से कुछ आश्वासन मांगे हैं।

k-vikram-rao-article-on-farmers-protest-in-delhi

किसानों ने रखी ये मांगें

इसके तहत कृषि संघ जिन पुराने प्रस्तावों को पहले ही खारिज कर चुके हैं, उनपर दोबारा बातचीत नहीं हो सकती। वहीं किसान संघ की मांग है कि बातचीत के लिए सरकार एक नया एजेंडा तैयार कर के आये और दोनों पक्षों की बातचीत कृषि कानूनों को निरस्त करने पर केंद्रित हो।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Shivani

Shivani

Next Story