TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

सबसे मशहूर होली: इन 5 जगहों पर दुनियाभर की नजर, Newstrack कराएगा सफर

NewsTrack.Com विश्व में प्रसिद्द पांच जगहों की होली के बारे में न केवल बतायेगा, बल्कि देश-विदेश में आप कहीं भी हो, यहां की होली की कुछ झलकियाँ भी दिखायेगा।

Shivani
Published on: 28 March 2021 8:11 PM IST
सबसे मशहूर होली: इन 5 जगहों पर दुनियाभर की नजर, Newstrack कराएगा सफर
X

लखनऊ: रंगों के पर्व होली की, यूँ तो पूरी दुनिया में धूम होती है लेकिन इस भारतीय त्यौहार का देश में अलग ही नजारा होता है। लोग यहां आकर होली की मस्ती में शामिल होना चाहते हैं। मथुरा-बरसाना की होली तो दुनिया भर में प्रसिद्द है, लेकिन क्या आपको पता है कि मथुरा और बरसाना के अलावा भी भारत में ऐसी कई जगहों की होली सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाई जाती है। ऐसे में NewsTrack.Com आपको विश्व में प्रसिद्द पांच जगहों की होली के बारे में न केवल बतायेगा, बल्कि देश-विदेश, दूर दराज में आप कहीं पर भी बैठे हो, यहां की होली की कुछ झलकियाँ भी दिखायेगा।

मशहूर हैं इन 5 जगहों की होली:

होली आ गयी है। रविवार को होलिका दहन है और सोमवार को रंगों वाली होली खेली जानी है। ऐसे में रंग खेलने शुरू भी हो गया है। दुनियाभर से लोग भारत की होली पर नजर बनाये हुए हैं। ऐसे में भारत में ऐसी पांच जगह है,जहां की होली बहुत मशहूर हैं।

मथुरा-वृंदावन की लट्ठमार होली:

श्रीकृष्ण की नगरी यानी मथुरा होली के लिए जाना जाता है। यहां होली के मौके पर लठ्ठमार होली खेली जाती है। अब अगर आपको ये नहीं पता कि मथुरा की लठ्ठमार होली कैसे खेली जाती है तो तस्वीर देख कर समझ लें कि ये परम्परा के तहत कैसे लोग होली मनाते हैं।

ये भी पढ़ें: होलिका दहन नहीं होता यहां, वजह है बेहद खास, जानें फिर कैसे मनाई जाती है Holi

ये होली बेहद ख़ास होती है। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में गजब की होली खेली जाती है। होलाष्टक के साथ ही होली का जश्न शुरू हो जाता है। लट्ठमार होली की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिसे देखने के लिए देश विदेश से कई लोग हर साल यहां आते हैं।

लठ्ठमार होली की कहानी दिलचस्प:

लट्ठमार होली केवल मजे के लिए नहीं होती, बल्कि यह नारी सशक्तीकरण के प्रतीक के तौर पर मानी जाती है। इसके पीछे श्रीकृष्ण से जुड़ी एक कहानी है। दरअसल, श्रीकृष्ण महिलाओं का सम्मान करते थे और मुसीबत के समय में हमेशा उनकी मदद करते थे। ऐसे में लट्ठमार होली के जरिये श्रीकृष्ण के उसी संदेश को प्रदर्शित किया जाता है। जिसमें महिलाएं लड़कों को लट्ठ यानी डंडों से खेल खेल में मारती है और रंग लगाती हैं।

बरसाने की लड्डू और झड़ीमार होली:

मथुरा जिले के ही बरसाना में भी लट्ठमार होली खेली जाती है। इसमें महिलाएं प्रतीकात्मक रूप से लठ्ठ से पुरुषों पर प्रहार करती हैं और पुरुष ढाल से अपनी रक्षा करते हैं। कहा जाता है कि बरसाना राधा जी का गांव है।

ये भी पढ़ें: Holi 2021: होली खेलते समय फोन को ऐसे रखें सुरक्षित, जानिए टिप्स

वहीं यहां होली से कुछ दिन पहले लड्डू होली होती है। इसमें लोग भगवान कृष्ण पर लड्डू का भोज चढ़ाने के बाद मंदिर के पंडितों पद लड्डू से वार करते हैं, फिर एक दूसरे पर लड्डू मार कर अबीर गुलाल और फूलों की होली खेलते हैं।

पश्चिम बंगाल का 'दोल उत्सव'

पश्चिम बंगाल का दोल उत्सव भी काफी मशहूर है। होली को ही बंगाल में दोल उत्सव कहा जाता है। बंगाल के हर हिस्से में इस दिन रंग और गुलाल से लोग सराबोर दिखते हैं। दोल के एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है, जिसे बंगाल में ‘नेड़ा-पोड़ा’ कहते हैं। बांस, काठ और घास-फूस से यह परंपरा निभाई जाती है। कुछ जिलों में होलिका दहन की परंपरा को ‘चांचल’ भी कहते हैं।

ये भी पढ़ें: मशहूर लखनवी ठंडाई: दोगुना करती है होली का मज़ा, खुद अटल जी थे इसके मुरीद

कोलकाता में शांति निकेतन में दोल उत्सव का आनंद ही कुछ और होता है। यहां विश्वभारती विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं दोल उत्सव में विशेष वेशभूषा में आते हैं और कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों के माध्यम से वसंतोत्सव मनाते हैं। दोलजात्रा या दोल उत्सव के दिन सुबह-सुबह यहां की छात्राएं एक सुमधुर गीत ‘ओरे गृहबासी खोल द्वार खेल’ नामक गाना गुनगुनाती हैं।

आनंदपुर साहिब में होला मोहल्ला

होली की धूम तो आनंदपुर साहिब में भी देखने को मिलती है। यहां का होला मोहल्ला काफी मशहूर हैं। इस दिन भजन, कीर्तन के साथ मनोरंजन के लिए लोग खेल, मार्शल आर्ट और दूसरे कलाओं का प्रदर्शन करते हैं।

ये भी पढ़ें:राजनीति से बाॅलीवुड तक रंग का नशा, ऐसी होती है स्टार्स- नेताओं की होली, देखें तस्वीरें

होला मोहल्ला का मतलब है, वह स्थान जो जीत कर प्राप्त किया जाए। इसी कड़ी में यहां तीन दिन का पर्व होली के मौके पर मनाया जाता है। तीन दिन चलने वाले तक इस पर्व के समापन में घुड़दौड़ का आयोजन किया जाता हैं। इसमें लोग घुड़सवारी के जरिये प्रतियोगिता करते हैं। एक दल सफ़ेद और दूसरा केरी रंग के कपड़े पहनता है। एक गुट होलगढ़ पर काबिज हो जाता है और दूसरा उसपर हमला करता हैं। वह पहले गुट के कब्जे से होलगढ़ को मुक्त कराने के लिए लड़ता हैं।

कर्नाटक के हंपी में दो दिन की होली

कर्नाटक के हंपी में भी अनूठे तरीके से होली मनाई जाती हैं। इस त्योहार को 2 दिनों तक मनाया जाता है। लोग नाच-गाकर, रंगों के साथ मनाते हैं। हंपी में लाखो की संख्या में देश और विदेश से सैलानी आते हैं। खासकर मार्च के महीने में ज्यादातर सैलानी यहां साइट सीइंग करने के साथ ही होली मनाने आते हैं।

हंपी की ऐतिहासिक गलियों में स्थानीय लोगों के साथ ही टूरिस्ट भी इक्ट्ठा हो जाते हैं। फिर ढोल-नगाड़ों की थाप पर जुलूस निकलता है और नाचते-गाते होली का गुलाल उड़ाया जाता है। खास बात तो ये है कि दिन भर की मस्ती और कई घंटो तक रंग खेलने के बाद सभी लोग तुंगभद्रा नदी और इससे निकली सहायक नहरों में स्नान करते हैं।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Shivani

Shivani

Next Story