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Weather News: सवा सौ साल में सबसे ज्यादा गर्मी, अभी तो ये ट्रेलर है
Weather News: यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि जीवाश्म ईंधन (कोयला, लकड़ी, तेल) और अन्य स्रोतों के जलने से ग्रीनहाउस गैसों का मानव-जनित उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है।
Weather News: जुलाई का ये महीना मानव इतिहास में सबसे गर्म है। इस महीने के 14 दिनों में सतही हवा का तापमान 17 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया है जो लगभग 1,25,000 वर्षों से नहीं देखा गया है। सवा सौ लाख तक की स्थिति एक वैज्ञानिक अनुमान पर आधारित है। इस महीने अभूतपूर्व ग्लोबल तापमान दर्ज किया गया है और अभी तो महीना खत्म भी नहीं हुआ है। आने वाले हफ्तों में कई और रिकॉर्ड टूटना निश्चित है। एक्सट्रीम मौसम के रूप में इससे बढ़ कर स्पष्ट चेतावनी और क्या हो सकती है।
इस गर्मी में जलवायु प्रणाली का लगभग हर पहलू एक्सट्रीम पर पहुंच चुका है। अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ इससे कम पहले कभी नहीं रही है। अमेरिका में दक्षिण फ्लोरिडा के आसपास के समुद्र का पानी मानो उबल रहा है। यही नहीं, कम से कम तीन महाद्वीपों के कई देशों में अब तक के रिकॉर्ड उच्च तापमान दर्ज किया गया है। उत्तरी गोलार्ध में गर्मी, बाढ़ और आग की कहानी चल रही है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर दुनिया गर्मी बढ़ाने वाला प्रदूषण जारी रखती है तो इस मौसम को आने वाली अप्रत्याशित अराजकता का एक ट्रेलर समझ लीजिए।
ग्रीस, स्पेन और स्विट्जरलैंड में जंगल की आग भड़कने के साथ, दक्षिणी यूरोप अपनी सबसे भीषण हीट वेव का अनुभव कर रहा है। एशिया में, चीन में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया है, जबकि दक्षिण कोरिया, जापान और उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में घातक बाढ़ आ रही है।
क्या है कारण
यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि जीवाश्म ईंधन (कोयला, लकड़ी, तेल) और अन्य स्रोतों के जलने से ग्रीनहाउस गैसों का मानव-जनित उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। 19वीं शताब्दी में तापमान उपकरण रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से जुलाई 2023 पृथ्वी पर सबसे गर्म महीना होगा। यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट के अनुसार, दुनिया भर में सबसे गर्म गर्मी का माइलस्टोन ख़तरे में है। वैश्विक संगठनों ने कहा है कि आने वाले हफ्तों में अतिरिक्त गर्मी की लहरें चलने की संभावना है।गोलार्ध के चारों ओर कई हीट डोम लगातार अटके हुए हैं।
अंतिम चेतावनी
17 डिग्री सेल्सियस की सीमा रेखा कोई कठोर जलवायु सीमा नहीं है जिसके आगे बर्फ की चादरें पिघल जाएंगी और महासागर तेजी से ऊपर उठेंगे। बल्कि, यह एक और चेतावनी है कि अब भी सचेत हो जाओ और जरूरी उपाय कर डालो। वर्तमान एक्सट्रीम मौसम को न्यू नॉर्मल भी नहीं समझना चाहिए क्योंकि इसमें नॉर्मल जैसा कुछ है ही नहीं। नासा के पूर्व जलवायु वैज्ञानिक जेम्स हैनसेन ने 1988 में ही जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में सीनेट और अमेरिकी लोगों को चेतावनी दी थी। उनका कहना है कि हम जानबूझकर नई वास्तविकता की ओर बढ़ रहे हैं - हम जानते थे कि यह सब होने वाला है।