×

गोधरा कांड से दहल था देश: 19 साल बाद हत्थे चढ़ा मुख्य आरोपी, ऐसे हुई गिरफ्तारी

पुलिस का कहना है कि ट्रेन की बोगियों को जलाने के लिए पेट्रोल की व्यवस्था करने, भीड़ को उकसाने और कारसेवकों के खिलाफ भड़काने में रफीक हुसैन का बड़ा हाथ था।

Shreya
Published on: 16 Feb 2021 7:28 AM GMT
गोधरा कांड से दहल था देश: 19 साल बाद हत्थे चढ़ा मुख्य आरोपी, ऐसे हुई गिरफ्तारी
X
गोधरा कांड: 19 साल पहले दहल गया था देश, बाद में दंगों में गई सैकड़ों लोगों की जान

नई दिल्ली: गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर 19 साल पहले 59 कारसेवकों को जिंदा जलाने की घटना के मुख्य आरोपी को पकड़ने में पुलिस ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। 27 फरवरी 2002 को हुई इस घटना ने पूरे देश को दहला दिया था और घटना के 19 साल बाद मुख्य आरोपी रफीक हुसैन गुजरात पुलिस के हत्थे चढ़ा है।

पूरे देश को दहला देने वाली इस घटना के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और इस घटना के बाद कई इलाकों में दंगे भड़क उठे थे। उस समय नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटाने की जोरदार मांग भी उठी थी मगर बाद में हुए विधानसभा चुनाव में मोदी और ताकतवर बनकर उभरे।

स्टेशन के पास घर से हुई गिरफ्तारी

गोधरा कांड के मुख्य साजिशकर्ता रफीक हुसैन की गिरफ्तारी का खुलासा करते हुए पंचमहल पुलिस का कहना है कि वह 19 साल से फरार था। उसके बारे में पुलिस को खुफिया सूचनाएं मिली थीं और इन सूचनाओं के आधार पर ही रेलवे स्टेशन के पास एक घर में छापा मारकर उसे गिरफ्तार किया गया।

यह भी पढ़ें: खतरनाक टूलकिटः पाकिस्तान के समर्थन के बाद आया बड़ा मोड़, इन्होंने किया समर्थन

पुलिस का यह भी कहना है कि ट्रेन की बोगियों को जलाने के लिए पेट्रोल की व्यवस्था करने, भीड़ को उकसाने और कारसेवकों के खिलाफ भड़काने में रफीक हुसैन का बड़ा हाथ था। इस मामले में उसके खिलाफ गंभीर आरोप हैं मगर वह पिछले 19 सालों से फरार चल रहा था।

godhra kaand (फोटो- सोशल मीडिया)

घटना के बाद दंगों में मारे गए सैकड़ों लोग

गुजरात कि पंचमहाल जिले में स्थित गोधरा रेलवे स्टेशन पर यह घटना 27 फरवरी 2002 को हुई थी जिसमें कारसेवकों से भरी ट्रेन को जला दिया गया था। इस घटना में 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी और इस घटना के बाद इतनी जबर्दस्त नाराजगी फैली कि गुजरात में दंगे भड़क गए थे।

विभिन्न स्थानों पर दंगे से जुड़ी घटनाओं में 12 सौ से अधिक लोग मारे गए थे। घटना के समय स्टेशन पर मजदूरी का काम करने वाला रफीक बाद में फरार हो गया था। हाल में वह अपने परिवार को शिफ्ट करने के लिए घर पर आया हुआ था और उसके बारे में जानकारी मिलते ही उसकी गिरफ्तारी की गई।

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में फिर आ सकती है बहुत बड़ी आफत, सरकार की बढ़ी चिंता

हाईकोर्ट ने खारिज की बनर्जी समिति की रिपोर्ट

इस मामले में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दंगों के बाद सरकार की ओर से ट्रेन में आग लगने और उसके बाद हुए दंगों की जांच के लिए नानावती आयोग बनाया गया था। इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ पोटा लगाया गया था। हालांकि बाद में केंद्र सरकार के दबाव में पोटा हटा लिया गया था।

इस मामले में जांच कर रही यूसी बनर्जी समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में ट्रेन में लगी आग को एक दुर्घटना बताया था मगर बाद में गुजरात हाईकोर्ट ने यूसी बनर्जी समिति को अमान्य करते हुए उसकी रिपोर्ट को भी ठुकरा दिया गया था।

नानावटी आयोग ने बताया था साजिश

बाद में नानावटी आयोग का गठन किया गया जिसने अपनी रिपोर्ट में इसे दुर्घटना नहीं बल्कि एक साजिश बताया था। इस मामले में विशेष अदालत ने 22 फरवरी 2011 को 31 लोगों को दोषी पाया था जबकि 63 अन्य बरी कर दिए गए थे। विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 11 को फांसी की सजा और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

pm modi (फोटो- सोशल मीडिया)

मोदी पर लगा था यह आरोप

गोधरा कांड के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस कांड के बाद भड़के दंगों के संबंध में उन पर भी आरोप लगे थे। गुजरात में 2001 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद केशुभाई पटेल को अपने मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी और इसी के बाद नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। उनके सत्ता संभालने के लगभग 5 महीने बाद ही गोधरा कांड हुआ था जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे।

यह भी पढ़ें: ट्वीट मामले में भाजपा आईटी सेल! गृहमंत्री के बयान से सनसनी, छिड़ी सियासी जंग

मोदी पर दंगों को रोकने के लिए उचित कदम न उठाने के आरोप लगे थे। इसके लिए अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से भी इनकार कर दिया था।

मोदी ने जीत दर्ज करके आलोचकों को चुप कराया

दंगों के समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और भारतीय जनता पार्टी पर मोदी को हटाने का भारी दबाव था, लेकिन इसके चंद महीनों बाद दिसंबर 2002 के विधानसभा चुनाव में मोदी ने जीत दर्ज करके अपने आलोचकों को चुप कर दिया था।

मोदी को सबसे ज्यादा फायदा उन इलाकों में हुआ था जो इलाके दंगों से सबसे ज्यादा प्रभावित थे। बाद में मोदी 2007 के विधानसभा चुनाव में भी विकास के नारे पर जीतने में कामयाब हुए और पार्टी में और ताकतवर बनकर उभरे।

अंशुमान तिवारी

यह भी पढ़ें: 32 मौतों से कांपा देश: मध्य प्रदेश में भीषण हादसा, नहर में समाई यात्रियों से भरी बस

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shreya

Shreya

Next Story