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400 करोड़ के 13 दावेदार, अब हो रही असली मालिक की तलाश

दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के पास स्थित एक प्लॉट हरियाणा पुलिस के लिए मुसीबत बन चुका है। 8 एकड़ के इस प्लॉट, जिसकी कीमत करीब 400 करोड़ रुपये बताई जा रही है, के 13 दावेदार सामने आए हैं।

Shreya
Published on: 14 May 2020 12:28 PM IST
400 करोड़ के 13 दावेदार, अब हो रही असली मालिक की तलाश
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चंडीगढ़: दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के पास स्थित एक प्लॉट हरियाणा पुलिस के लिए मुसीबत बन चुका है। 8 एकड़ के इस प्लॉट, जिसकी कीमत करीब 400 करोड़ रुपये बताई जा रही है, के 13 दावेदार सामने आए हैं। हैरानी की बात तो ये है कि इनमें से 6 दावेदारों का नाम एक ही है। प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के निवासी इन दावेदारों ने अपना नाम चरणजीत सिंह बताया है। इन्होंने नंदी सिंह के बेटे होने का दावा किया है। जिनका नाम राजस्व रिकॉर्ड में है।

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पुलिस के लिए असली मालिक को ढूंढने की चुनौती

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इस जमीनी विवाद ने हरियाणा पुलिस को हैरत में डाल दिया है। 400 करोड़ रुपये के इस 8 एकड़ जमीन के लिए 13 दावेदार सामने आए हैं। अब हरियाणा पुलिस के लिए दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के इन 13 दावेदारों में से असली चरणजीत सिंह को ढूढ़ने एक बड़ी चुनौती है।

असली चरणजीत सिंह की हो चुकी है मृत्यु!

खबर के मुताबिक अधिकारियों का मानना है कि, असली चरणजीत सिंह का निधन हो चुका है और अब उनकी पत्नी के साथ कोई और कानूनी वारिस नहीं है। दरअसल, गुड़गांव के आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव की ओर से की गई एक शिकायत पर IPC की धाराओं के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश से संबंधित मामला दर्ज है। लेकिन इस मामले में पुलिस को लॉकडाउन लागू होने के चलते परेशानी हो रही है।

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राजस्व रिकॉर्ड में इनका नाम है दर्ज

खबर के मुताबिक, 13 में से 6 लोगों ने अपना नाम चरणजीत सिंह बताया है। इन सभी का दावा है कि वो जमीन के मूल मालिक नंदी सिंह के बेटे हैं। जिनका नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व रिकॉर्ड में जमीन के मालिकों का नाम चरणजीत सिंह, नंदी सिंह के बेटे, और उनकी पत्नी मनजीत कौर दर्ज है, जो ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली के निवासी है। अभी तक उनका पता नहीं चल सका है।

2014 में सरकार ने अधिग्रहित की थी जमीन

बता दें कि दिल्ली-जयपुर एनएच-48 पर नरसिंहपुर गांव में लगभग 8 एकड़ की जमीन को 7 अगस्त, 2014 को तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने अधिग्रहित कर लिया था। सरकार ने एक परिवहन और संचार क्षेत्र बनाने के उद्देश्य से जमीन का अधिग्रहण किया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 9 के मुताबिक, जमीन के मालिक को मुआवजे के तौर पर 44.01 करोड़ रुपये दिए गए थे। लेकिन इसी परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि के अन्य भूखंडों के मालिकों द्वारा मुआवजे की मांग किए जाने पर ये सौदा अटक गया। लेकिन आखिर में कुछ सालों बाद यह सौदा हुआ, उस समय इस 8 एकड़ जमीन की कीमत 200 रुपये से अधिक हो गई। ब्याज के लिए लेखांकन के बाद इस जमीन की कीमत तकरीबन 400 करोड़ रुपये है।

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13 लोगों ने जमीन को लेकर किया है दावा

यह मामला तत्कालीन गुड़गांव भूमि अधिग्रहण कलेक्टर द्वारा 5 जून, 2018 को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को सौंप दिया गया था। RTI कार्यकर्ता यादव ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जिन 13 लोगों ने जमीन को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया है, उनमें से किसी भी दावेदार ने अन्य दावेदार के खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई की मांग नहीं की है।

पुलिस का क्या है मानना?

वहीं हरियाणा पुलिस का कहना है कि वो वास्तविक चरणजीत सिंह का पता लगाने के लिए नई दिल्ली गई थी, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। यह भी स्पष्ट नहीं है कि वह जिंदा है या मृत है। पुलिस का मानना है कि चरणजीत सिंह की म़ृत्यु हो चुकी है। क्योंकि अगर वो जिंदा होते तो वे दूसरों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग करते।

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