×

75 फीसदी आरक्षणः हरियाणा से पलायन कर सकते हैं उद्योग, निर्मला भी दंग

सरकारी सेक्टर में रोजगार के पर्याप्त अवसर न होने के बाद सिर्फ प्राइवेट सेक्टर ही उम्मीद की किरण नजर आता है जहां रोजगार के अवसर जुटाए जा सकते हैं और यदि वही सेक्टर भयभीत होकर भागने लगने तो बेरोजगारी बढ़नी तो तय है।

Shivani Awasthi
Published on: 6 March 2021 6:11 AM GMT
75 फीसदी आरक्षणः हरियाणा से पलायन कर सकते हैं उद्योग, निर्मला भी दंग
X

रामकृष्ण वाजपेयी

हरियाणा की खट्टर सरकार ने 75 फीसदी आरक्षण कानून लाकर सबको चौंका दिया है। यह एक ऐसा कदम है जिसने वोट की राजनीति में राष्ट्रीय हितों व राज्य के हितों को तिलांजलि देने की एक मिसाल पेश की है। खुद उद्योग जगत को बढ़ावा देने में जुटी भारतीय जनता पार्टी के लिए यह फैसला चौंकाने वाला है और खासकर उद्योग जगत के लिए बड़ा झटका है ही। आरक्षण कानून आने के बाद इस बात के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि बड़ी संख्या में उद्योग हरियाणा से शिफ्ट करने पर विचार कर रहे हैं। जो कि हरियाणा के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। यदि इस कानून के लागू होने के बाद हरियाणा में उद्योग ही नहीं बचेंगे तो युवाओं को आरक्षण कहां से मिलेगा।

खट्टर सरकार लाई 75 फीसदी आरक्षण कानून

सरकारी सेक्टर में रोजगार के पर्याप्त अवसर न होने के बाद सिर्फ प्राइवेट सेक्टर ही उम्मीद की किरण नजर आता है जहां रोजगार के अवसर जुटाए जा सकते हैं और यदि वही सेक्टर भयभीत होकर भागने लगने तो बेरोजगारी बढ़नी तो तय है। इसके अलावा इस तरह के काम की नकल अगर दूसरे राज्य भी करने लगें तो एक बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।

ये भी पढ़ें-MP होगा बंद! नाइट कर्फ्यू की तैयारी में शिवराज सरकार, कोरोना पर लिया ये फैसला

75 फीसदी आरक्षण कानून उद्योग जगत के लिए बड़ा झटका

यही वजह है कि हरियाणा को उद्योग जगत 75 फीसदी आरक्षण कानून को स्वीकार नहीं कर पा रहा है स्वयं केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण भी इस फैसले से हतप्रभ हैं। भारतीय वाणिज्य उद्योग महासंघ (फिक्की) भी इस पर चिंता का इजहार कर चुका है। देश के इस सबसे बड़े उद्योग संघ के अध्यक्ष उदय शंकर ने कहा है कि हरियाणा सरकार द्वारा निजी क्षेत्र के उद्योगों की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसदी तक आरक्षण दिए जाने का कानून राज्य के औद्योगिक विकास के लिये नुकसानदेह साबित होगा।

दूसरे राज्यों में शिफ्ट होने पर विचार कर रहे उद्यमी

हरियाणा के उद्यमी इसे खतरनाक मानते हुए कह चुके हैं कि वह अपने उद्योग दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने के बारे में विचार कर सकते हैं। गौरतलब है कि हरियाणा का 25 फीसदी गारमेंट्स उद्योग पहले ही बंग्लादेश शिफ्ट हो गया है। मारुति की एक कंपनी दो साल पहले गुजरात के मेहसाणा में शिफ्ट हो चुकी है। अब इस तरह का कानून राज्य से उद्योगों के पलायन की रफ्तार बढ़ा देगा। यह सही है कि सरकारें वोट बैंक के लिए युवाओं को साथ रखना चाहती है। इसमें गलत भी नहीं है लेकिन उद्योगों की कीमत पर यह फैसला नहीं होना चाहिए।

ये भी पढ़ें-गिर जाएगी खट्टर सरकार! हरियाणा में कांग्रेस का दांव, क्या जजपा छोड़ेगी BJP का साथ

वह भी तब जबकि उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्यों ने दूसरे राज्यों की औद्योगिक इकाइयों को अपने राज्यों में शिफ्ट कराने के लिए औद्योगिक नीति को सरल बनाने के संकेत दिए हैं।

Government Jobs

सरकार से कानून में अनिवार्य शब्द हटाने की मांग

उद्योग संगठनों की मांग है कि सरकार इस कानून से अनिवार्य शब्द को हटाया जाना चाहिए। इसकी वजह साफ है कि उद्योगों को काम करने के लिए कुशल और योग्य लोगों की जरूरत होती है। हरियाणा में 75 फीसदी युवा निर्धारित अर्हता रखने वाले हो सकते हैं लेकिन उनमें कुशलता इतने बड़े स्तर पर होना संभव नहीं है।

ये कानून हरियाणा के औद्योगिक विकास पर कुठाराघात साबित हो सकता है। लोग वहां औद्योगिक इकाइयां लगाने से कतराने लगेंगे जो कि राज्य के युवाओं के लिए आत्मघाती साबित होगा।

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन में महिलाएं, 8 मार्च को करेंगी ये काम, भारत देगा विश्व को बड़ा संदेश

कंपनियां दूसरे राज्यों में शिफ्ट हुईं तो राजस्व घटेगा

उद्योग जगत की मांग है कि इस कानून से अनिवार्यता को खत्म किया जाए। कंपनियां दूसरे राज्यों में शिफ्ट होने के लिए मजबूर होंगी, जिससे राजस्व घटेगा। चूंकि सरकारी क्षेत्र की नौकरियों में किसी भी राज्य के लोगों को 75 फीसदी आरक्षण का कानून नहीं है। इसीलिए हरियाणा सरकार का यह कानून असंवैधानिक है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद -19 किसी भी राज्य में नौकरी के लिए देश के किसी भी राज्य के व्यक्ति को आवेदन करने के साथ-साथ नौकरी पाने का पूरा अधिकार देता है।

Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story