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गर्मी के दहकते अंगारे से देंगी राहत, बंगाल की खाड़ी से चली पूर्वी हवाएं
एक तरफ पूरा उत्तर भारत भीषण गर्मी की चपेट में है वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश का खतरा है। इस बारे में डॉ श्रीवास्तव ने बताया,‘‘ यह पूरी तरह सामान्य स्थिति है, क्योंकि हमारे देश में मई के आखिर में मानसूनी हवायें पूर्वी तट से ही प्रवेश करती हैं, इसलिये पूर्वोत्तर इलाकों में बारिश का दौर शुरु हो जाता है।
नई दिल्ली: समूचे उत्तर भारत में गर्मी के दहकते अंगारे से परेशान और भीषण गर्मी, लू और तपिश के चलते आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है । मौसम विज्ञानियों के मुताबिक पाकिस्तान से आ रही गर्म पश्चिमी हवाओं के कारण गर्मी के यह हालात बने हैं लेकिन इस संकट के जल्द ही खत्म होने की संभावना है क्योंकि बंगाल की खाड़ी से चली पूर्वी हवाएं राहत लेकर पहुंचने वाली हैं ।
मौसम विभाग के उत्तरी क्षेत्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव ने भाषा के साथ विशेष बातचीत में यह जानकारी दी।
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एक तरफ पूरा उत्तर भारत भीषण गर्मी की चपेट में है वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश का खतरा है। इस बारे में डॉ श्रीवास्तव ने बताया,‘‘ यह पूरी तरह सामान्य स्थिति है, क्योंकि हमारे देश में मई के आखिर में मानसूनी हवायें पूर्वी तट से ही प्रवेश करती हैं, इसलिये पूर्वोत्तर इलाकों में बारिश का दौर शुरु हो जाता है। इस बीच पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाली गर्म पश्चिमी हवाएं उत्तर भारत में राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित अन्य इलाकों में गर्मी का प्रकोप बढ़ा देती हैं।’’
गौरतलब है कि रविवार को राष्ट्रीय राजधानी का न्यूनतम तापमान 30.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया जो इस मौसम के औसत तापमान से तीन डिग्री सेल्सियस ज्यादा है।
आर्द्रता का स्तर 64 फीसदी रिकॉर्ड किया गया।
मौसम विभाग के अधिकारी ने अनुमान जताया कि शहर का अधिकतम पारा 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है।
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उधर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के भी गर्मी के लिहाज से रेड अलर्ट चेतावनी के दायरे में आने के पीछे के कारणों का खुलासा करते हुए मौसम वैज्ञानिक डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि इसे जलवायु परिवर्तन या मौसम में अचानक बदलाव आना नहीं कह सकते। भीषण गर्मी के इस दौर में पहाड़ों पर भी अधिकतम तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है।
उन्होंने बताया कि मई के पहले दो सप्ताह में दिल्ली सहित उत्तरी इलाकों में बारिश और आंधी ने गर्मी के प्रकोप को महसूस नहीं होने दिया। मौसम के इस उतार चढ़ाव की वजह पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता थी जिसका असर 15 मई तक रहा। इसके बाद पश्चिमी विक्षोभ का असर मैदानी इलाकों से जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गया।
डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि इस बीच उत्तर भारतीय इलाकों में पाकिस्तान से आने वाली पश्चिमी हवाओं ने गर्मी का प्रकोप बढ़ा दिया जिसका असर लू और भीषण गर्मी के रूप में इन दिनों दिख रहा है। इन दिनों भारतीय उपमहाद्वीप में समूचे उत्तरी इलाके में बारिश का पूर्ण अभाव है, सूर्य की सीधी किरणें पड़ रही हैं और गर्म पश्चिमी हवाओं के कारण यह इलाका भीषण गर्मी के प्रकोप में होता है।
आने वाले दिनों में मौसम के मिजाज के बारे में उन्होंने बताया,‘‘ पिछले 24 घंटों में बंगाल की खाड़ी से पूर्वी हवाओं का दौर शुरु हो गया है। ये हवायें मानसून के साथ नमी लाती हैं। हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित आसपास के इलाकों में इनका असर दो दिन बाद दिखने लगेगा। इससे 47 डिग्री के अधिकतम तापमान में चार डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आयेगी। ’’
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उन्होंने बताया कि रविवार रात से उत्तरी इलाकों में तापमान जरूर कम होगा लेकिन पूरब से आने वाली नम हवाओं का असर सीमित इलाक़ों में ही होने के कारण समूचे उत्तर भारत के मैदानी इलाक़ों में गर्मी से बहुत राहत मिलने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।
डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि इस दौरान तीन जून को हरियाणा और दिल्ली के आसपास, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ इलाकों में बूंदाबांदी के कारण गर्मी से मामूली राहत मिलने की उम्मीद रहेगी।
(भाषा)