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35 हजार सैनिक तैनात: डर के मारे कांप उठा चीन, भारत से पंगा पड़ेगा भारी
बीते कई दिनों से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चल रहा विवाद अभी भी जारी है। साथ ही चीनी सेनाओं को अप्रैल के पहले वाली अवस्था पर ले जाने के लिए कूटनीतिक-सैन्य स्तर की बातचीत चल रही है।
नई दिल्ली। बीते कई दिनों से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चल रहा विवाद अभी भी जारी है। साथ ही चीनी सेनाओं को अप्रैल के पहले वाली अवस्था पर ले जाने के लिए कूटनीतिक-सैन्य स्तर की बातचीत चल रही है। लेकिन सूत्रों से सामने आई रिपोर्ट में वह कारण बताए गए हैं जिनकी वजह से भारतीय सेना इस समय चीन के सामने मजबूत स्थिति में दिख रही है।
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35 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात
इस सिलसिले में सीनियर अधिकारी के अनुसार, जून, जुलाई और अगस्त महीने के दौरान हमें इन इलाकों में जरूरी सामान पहुंचाने के लिए अच्छा समय मिल जाएगा। केंद्र सरकार ने जरूरी चीजों की खरीद के लिए 500 करोड़ रुपये का इमरजेंसी फंड जारी कर रखा है।
सामने आई रिपोर्ट कहती है कि पूर्वी लद्दाख के इलाके में इस समय भारत ने करीब 35 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात किए हैं जो रणनीतिक तौर पर चीनी सैनिकों से ज्यादा ऊंचाई पर हैं।
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जलवायु से अच्छी तरीके से परिचित
साथ ही ऊंची जगहों पर पोस्टिंग होने की वजह से भारतीय सेना ज्यादा सक्रिय तरीके से चीनी गतिविधियों पर नजर रख सकती है इसके साथ ही ज्यादा सक्षम तरीके से जवाब भी दे सकती है।
ऐसे में एक और जरूरी बात यह भी है कि जो भारतीय सैनिक इस वक्त वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास तैनात हैं, वो पहले से यहां कि जलवायु से अच्छी तरीके से परिचित हैं।
वहीं इसके विपरीत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास लगाए गए अधिकतर चीनी सैनिक चीन के अन्य हिस्सों से लाए गए हैं। चीनी सेना के ये सैनिक इतनी ठंड वाली जगहों पर रहने और लड़ने के अभ्यस्त नहीं हैं।
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शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार
साथ ही सूत्रों से मिली जानकारी में बताया है कि हमने इलाकों में ऐसे सैनिक तैनात किए हैं जो पहले भी पूर्वी लद्दाख और सियाचिन में एक बार रह चुके हैं। वो शारीरिक और मानसिक तौर पर इन इलाकों में रहने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
जबकि चीनी सेना में ज्यादातर ऐसे सैनिक हैं जो शॉर्ट टर्म के लिए मिलिट्री जॉइन करते हैं और फिर अपने सामान्य काम-काज की तरफ वापस लौट जाते हैं।
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