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चीनी ज्वॉइंट वेंचर का नाम आने पर रेलवे का बड़ा कदम, 44 ट्रेनों का टेंडर रद्द

पूर्वी लद्दाख में चीन से बढ़ते तनाव के बीच रेलवे ने एक और बड़ा फैसला किया है। रेलवे ने 44 सेमी हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का टेंडर रद्द कर दिया है। यह टेंडर पिछले साल आमंत्रित किया गया था।

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Published on: 22 Aug 2020 2:58 AM GMT
चीनी ज्वॉइंट वेंचर का नाम आने पर रेलवे का बड़ा कदम, 44 ट्रेनों का टेंडर रद्द
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चीनी ज्वॉइंट वेंचर का नाम आने पर रेलवे का बड़ा कदम, 44 ट्रेनों का टेंडर रद्द

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में चीन से बढ़ते तनाव के बीच रेलवे ने एक और बड़ा फैसला किया है। रेलवे ने 44 सेमी हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का टेंडर रद्द कर दिया है। यह टेंडर पिछले साल आमंत्रित किया गया था। 16 डिब्बों वाली इन 44 ट्रेनों के इलेक्ट्रिकल उपकरणों एवं अन्य सामानों की आपूर्ति के लिए पिछले महीने निविदा खोली गई थी। टेंडर के 6 दावेदारों में एकमात्र विदेशी के रूप में चीनी संयुक्त उद्यम सीआरआरसी पायनियर इलेक्ट्रिक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड कर नाम उभर कर सामने आया था।

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वंदे भारत ट्रेनों के लिए दिया गया था टेंडर

इस बाबत रेल मंत्रालय की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि 44 सेमी हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण की निविदा रद्द कर दी गई है। संशोधित सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को वरीयता) आदेश के अंतर्गत एक हफ्ते के भीतर ताजा निविदा आमंत्रित की जाएगी।

वंदे भारत ट्रेनों के लिए जिस चीनी संयुक्त उद्यम का नाम सामने आया है वह 2015 में बना था। 2015 में चीनी कंपनी सीआरआरसी योंग जी इलेक्ट्रिक कंपनी लिमिटेड और गुरुग्राम की पायनियर इलेक्ट्रिक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के बीच यह संयुक्त उद्यम बना था।

चीनी संयुक्त उद्यम था सबसे आगे

वैसे वंदे भारत ट्रेनों से जुड़ी निविदा को रद्द करने के पीछे रेल मंत्रालय की ओर से कोई खास कारण नहीं बताया गया है। जानकार सूत्रों का कहना है कि रेल मंत्रालय चाहता है कि कोई पूर्ण घरेलू इकाई यह निविदा हासिल करे। इस निविदा में चीनी संयुक्त उद्यम के दौड़ में सबसे आगे पाए जाने के बाद रेल मंत्रालय की ओर से इसे निरस्त करने का फैसला किया गया।

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रेलवे ने इसलिए उठाया कदम

जानकार सूत्रों का कहना है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में इन दिनों चीन के साथ भारत का सैन्य विवाद चल रहा है और इस विवाद के बाद चीनी कंपनियों के हाथ से कई महत्वपूर्ण काम छीन लिए गए हैं। इसके साथ ही कोरोना संकट काल में पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पर जोर दिया है और घरेलू इकाइयों को प्रोत्साहन देने की बात कही है। रेलवे के इस बड़े फैसले को इस दिशा में उठाया गया बड़ा कदम बताया जा रहा है।

पंद्रह सौ करोड़ की है परियोजना

चेन्नई की रेलवे कोच फैक्ट्री की ओर से पिछले साल 10 जुलाई को यह निविदा आमंत्रित की गई थी। इस परियोजना की लागत करीब 1500 करोड़ रुपए है। रेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि निविदा जारी होने के बाद लोक खरीद के नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इसलिए निविदा को रद्द करने का कदम उठाया गया है। अब नए सिरे से निविदा जारी करते समय इन महत्वपूर्ण बदलावों को भी समाहित किया जाएगा।

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रेलवे ने पहले भी उठाया था कदम

लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध के बीच रेलवे की ओर से पहले भी बड़े कदम उठाए गए हैं। रेलवे ने कोविड-19 निगरानी के लिए थर्मल कैमरा की आपूर्ति का भी एक टेंडर पिछले दिनों रद्द कर दिया था। एक भारतीय कंपनी ने निविदा के नियम व शर्तों के चीनी कंपनी के पक्ष में होने का आरोप लगाया था जिसके बाद रेलवे ने निविदा को रद्द करने का कदम उठाया था। भारतीय कंपनी के अलावा कनफेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी इस बाबत रेल मंत्री को पत्र लिखा था। रेलवे के अलावा कई अन्य विभागों ने भी चीनी कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए उनके खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं।

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