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LAC तनाव पर राजनाथ का एलान, हो गया चीन-भारत का समझौता, पीछे लौटी सेना
राजनाथ सिंह ने यह भी स्पष्ट किया है कि हम अपनी एक इंच जगह भी किसी को नहीं लेने देंगे। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों में पेंगोंग के नॉर्थ और साउथ बैंक को लेकर समझौता हुआ है। दोनों सेनाएं पीछे हटेंगी।
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बीते साल से चीन के साथ चल रहा तनाव का आखिरकार हल निकल आया है। अब दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटेंगी और अप्रैल 2020 से पहले ही स्थिति को लागू किया जाएगा। इसका ऐलान केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में किया है। उन्होंने बताया कि पैंगोंग लेक पर चीन के साथ समझौता हो गया है।
भारत-चीन के बीच विवाद पर समझौता
राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में भारत-चीन विवाद पर कहा कि भारत-चीन के बीच पैंगोंग लेक के पास विवाद पर समझौता हो गया है और दोनों देशों के सैनिक पीछे हटेंगे। रक्षा मंत्री ने ऐलान किया कि भारत और चीन दोनों ने यह तय किया है कि अप्रैल 2020 से पहले ही स्थिति को लागू किया जाएगा। इसके साथ ही अब तक जो भी निर्माणकिया गया, उसे हटा दिया जाएगा।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
हम अपनी एक इंच जगह भी किसी को नहीं लेने देंगे
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस दौरान जिन जवानों ने अपनी जान गंवाई है, उन्हें देश सलाम करेगा। पूरा सदन देश की संप्रभुता के मुद्दे पर एक साथ खड़ा है। इसके साथ ही राजनाथ सिंह ने यह भी स्पष्ट किया है कि हम अपनी एक इंच जगह भी किसी को नहीं लेने देंगे। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों में पेंगोंग के नॉर्थ और साउथ बैंक को लेकर समझौता हुआ है। दोनों सेनाएं पीछे हटेंगी। वहीं, ड्रैगन पैंगोंग के फिंगर 8 के बाद ही अपनी सेनाओं की तैनाती रखेगा।
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LAC पर यथास्थिति ही हमारा लक्ष्य
राजनाथ सिंह ने कहा कि सितंबर से भारत और चीन के बीच बातचीत शुरू हुई। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति करना ही हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा 1962 के समय से ही चीन ने काफी हिस्सों पर कब्जा किया है। वहीं, भारत की ओर से चीन को सीमा के हालात पर रिश्तों पर असर पड़ने की बात कही जाती रही है।
(फोटो- सोशल मीडिया)
मई से जारी है तनाव
गौरतलब है कि मई, 2020 से ही एलएसी पर दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है। ये तनाव तब और बढ़ गया जब, 14-15 जून की रात चीन ने भारतीय सैनिकों पर वार किया। ऐसे में भारतीय सेना ने भी मुंहतोड़ कार्रवाई की। इस घटना में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन ने अपनी ओर मारे गए सैनिकों की संख्या कभी सार्वजनिक नहीं की।
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