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भारत हुआ आक्रामक, पहली बार हांगकांग के मुद्दे पर चीन को घेरा

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद भारत ने ड्रैगन के खिलाफ हर स्तर पर मोर्चा खोल दिया है। चीनी कंपनियों पर शिकंजा...

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Published on: 2 July 2020 3:42 AM GMT
भारत हुआ आक्रामक, पहली बार हांगकांग के मुद्दे पर चीन को घेरा
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद भारत ने ड्रैगन के खिलाफ हर स्तर पर मोर्चा खोल दिया है। चीनी कंपनियों पर शिकंजा कसने और 59 चीनी एप्स पर पाबंदी लगाने के बाद अब भारत ने हांगकांग के मुद्दे पर भी चीन की घेरेबंदी शुरू कर दी है। भारत ने हांगकांग के मुद्दे पर पहली बार खुलकर बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र में हांगकांग की स्थिति पर चिंता जताई है। इसे कूटनीति की दिशा में भारत का बड़ा कदम माना जा रहा है।

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दुनिया भर में चीन की नीतियों का विरोध

हांगकांग के संबंध में चीन के कदमों का पूरी दुनिया में विरोध तेज हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों ने हांगकांग में सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किए जाने के चीन के कदम की कड़ी आलोचना की है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने आरोप लगाया है कि हांगकांग में मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। अमेरिका ने तो चीन को खुली चेतावनी दी है कि ऐसी स्थिति में वह चुप नहीं बैठेगा। भारत ने भी इन देशों के सुर में सुर मिलाते हुए हांगकांग की स्थिति पर चिंता जताई है।

भारत ने जताई हांगकांग की स्थिति पर चिंता

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव के चंदर ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि हांगकांग में काफी संख्या में प्रवासी भारतीय रहते हैं जो हांगकांग को अपना घर समझते हैं। भारतीय समुदाय को हितों को देखते हुए हम हांगकांग के हाल के घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में हांगकांग से जुड़ी कई चिंताजनक जानकारियां सामने आई हैं। उन्होंने उम्मीद जताई सभी संबंधित पक्ष गंभीरता व सही तरीके से हांगकांग में उचित कदम उठाएंगे।

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हांगकांग में मानवाधिकारों का उल्लंघन

दरअसल चीन ने हाल में हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया है। इस कानून के लागू होने के बाद माना जा रहा है कि अब हांगकांग भी चीन के दूसरे राज्यों की तरह ही होगा और वहां के नागरिकों को मिले लोकतांत्रिक अधिकार पूरी तरह खत्म कर दिए जाएंगे। अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई यूरोपीय देशों ने हांगकांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गंभीर चिंता जताई है। अब भारत ने भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए अपने बयान से इस बात का एहसास करा दिया है की द्विपक्षीय रिश्तों में अब वह चीन को किसी तरीके की रियायत देने के मूड में नहीं है।

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लद्दाख में तनाव के बाद स्थितियां बदलीं

हांगकांग चीन के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा रहा है। चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ वहां काफी दिनों से लोकतंत्र समर्थक आंदोलन चला रहे हैं। भारत अभी तक हांगकांग पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से परहेज करता रहा है। लेकिन लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच बढ़े सैन्य तनाव के बाद स्थितियों में भारी बदलाव आया है। भारत ने भी इस मुद्दे पर भी चीन को घेरना शुरू कर दिया है। कूटनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि भारत ने चीन के प्रति अपना रवैया काफी आक्रामक कर लिया है।

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हांगकांग में नए कानून का जबर्दस्त विरोध

हांगकांग में पिछले एक साल से तनाव का माहौल बना हुआ है और वहां चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ हिंसक झड़पें होती रही हैं। हांगकांग में सख्त सुरक्षा कानून लागू करने के बाद भी इसका जबर्दस्त विरोध किया जा रहा है और पहले दिन ही 200 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। हांगकांग में करीब पचास हजार भारतीय रहते हैं और वहां चीन की दमनकारी नीतियों से उनके भी प्रभावित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन की घेरेबंदी

जानकारों का कहना है कि अभी तक भारत हांगकांग के मुद्दे पर इसलिए चुप्पी साधे रहता था कि कहीं चीन बदले में कश्मीर मुद्दे को हवा देने में न जुट जाए। पिछले साल अगस्त में जम्मू -कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद चीन कश्मीर पर भी बयानबाजी देने से बाज नहीं आ रहा है। इस कारण भारत का यह भय भी पूरी तरह समाप्त हो गया है। लद्दाख में दोनों देशों के बीच में तनाव के बाद इसीलिए भारत ने चीन के प्रति अपनी नीतियों में बदलाव लाते हुए अब हांगकांग के मुद्दे पर भी चीन की घेरेबंदी शुरू कर दी है।

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