×

भारत ही करेगा: इतने करीब हैं हम कोरोना वैक्सीन के, देखेगा हर देश हमे

उससे नहीं कहा जा सकता कि हर बार की तरह इतना लंबा समय लगेगा।कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में जितनी तेज़ी देखी जा रही है उतनी दवाओं के इतिहास में कभी नहीं देखी गयी ।

Praveen Singh
Published on: 15 May 2020 3:28 PM IST
भारत ही करेगा: इतने करीब हैं हम कोरोना वैक्सीन के, देखेगा हर देश हमे
X
vaccine

योगेश मिश्र

योगेश मिश्र

लखनऊ । किसी भी दवा, टीका या वैक्सीन के विकास में दशकों लग जाते हैं । लेकिन जिस तरह कोरोना वायरस से निपटने के लिए टीके की खोज में वैज्ञानिक लगे हुए हैं ।जिस तरह की उम्मीद की जा रही है, वह असाधारण है। उससे नहीं कहा जा सकता कि हर बार की तरह इतना लंबा समय लगेगा। कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में जितनी तेज़ी देखी जा रही है उतनी दवाओं के इतिहास में कभी नहीं देखी गयी ।

क्या आप ये जानते हैं

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इबोला वैक्सीन को मंज़ूरी मिलने में 16 साल लगे थे।किसी अभी दवा या वैक्सीन के निर्माण को कई चरणों से गुजरना पड़ता है। पहले लेबोरेटरी में फिर जानवरं पर प्रयोग के दौर से फिर आदमियों पर टेस्ट होता है। अंत में मरीज़ों पर इसका उपयोग किया जाता है। आदमियों पर प्रयोग के भी तीन चरण होते हैं। प्रयोग का एक चरण खुराक तय करने का भी होता है।

vaccine

यह भी पढ़ें: लॉकडाउन में कर रहे थे अनाज की ब्लैक मार्केटिंग, हुई ऐसी कार्रवाई, रखेंगे याद

यह सुखद है कि महज़ तीन महीने में ही नब्बे शोधकर्ताओं में से ६ टीम एकदम क़रीब पहुँच गये हैं। अमरीकी बायोटेक्नॉालाजी कंपनी मॉर्डन थेराप्यूटिक्स जिस वैक्सीन पर काम कर रही है वह प्रतिरोध क्षमता को ट्रेन करेगी । ताकि शरीर कोरोना वायरस से लड़ सके।इसमें कोरोना के लिए ज़िम्मेदार वायरस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह वैक्सीन मैसेंजर आरएनए या मैसेंजर राइबो न्यूक्लिक एसिड पर आधारित है।अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ इस रिसर्च को पैसा दे रहा है।

अमेरिका की ही दूसरी कंपनी इनोविया फ़ार्मास्यूटिकल्स ऐसी वैक्सीन तैयार करने में जुटी है।जिसमें मरीज़ की कोशिकाओं में प्लाज्मिड के ज़रिये सीधे डीएनए के मार्फत इलाज किया जाये।दिलचस्प यह है कि ये दोनों ऐसी तकनीक हैं जिसका इस्तेमाल करके आज तक कोई दवा नहीं बनी है।इसका लाइसेंस भी नहीं है।

ये भी जानना है जरूरी

चीन की कंपनी कैसिनो बायोलॉजिक्स ने भी अपनी वैक्सीन का आदमियों पर परीक्षण बीते १६ मार्च से शुरू कर दिया है।इस कंपनी के साथ कोरोना की दवा खोजने में इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नालॉजी और चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ मिलिटरी मेडिकल साइंसेज़ के भी लोग लगे हैं। इसमें एडोनोवायरस का इस्तेमाल बतौर वेक्टर किया जाता है। यही वायरस हमारी आँख, साँस की नली, फेफड़े, आँत आदि के संक्रमण का कारक है। वेक्टर प्रोटीन को सक्रिय कर प्रतिरोधक क्षमता को लड़ने के काबिल बनाता है।

चीन के ही शेजेन जीनोइम्यून इंस्टीट्यूट में भी वैक्सीन पर तेज़ी से काम चल रहा है। इसमें एचआईवी के लिए ज़िम्मेदार लेंटीवायरस से तैयार कोशिकाओं का उपयोग प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करने के लिए होता है।

यह भी पढ़ें: लॉकडाउन: 15 दिनों से भूखे थे बच्चे, मासूमों को तड़पता देख मजदूर ने की आत्महत्या

चीन के वुहान बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स इंस्टीट्यूट में यह काम हो रहा है कि कोरोना के वायरस को निष्क्रिय कर दिया जाये ताकि वे बीमार करने की अपनी अक्षमता खो दें।आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेनरल इंस्टीट्यूट में तैयार वैक्सीन में वैज्ञानिक चिंपांजी से लिए गये एडेनोवयरस के कमजोर वर्जन का प्रयोग कर रहे हैं।मर्स कोरोना वायरस की वैक्सीन इसी तकनीक से तैयार की गई थी।छह बंदरों पर आज़माये जाने पर इस वैक्सीन ने बहुत अच्छा काम किया है।इंसानों पर भी ट्रायल शुरू हो गया है।एक हज़ार लोगों को टीका लगाया जा चुका है।

वैक्सीन बनाने की शुरुआत

इसके अलावा मॉर्डना कंपनी, फ़ाइंजर कंपनी,बायोएन टेक कंपनी, कानसिंगो बायोलॉजिक्स कंपनी के वैज्ञानिक भी टीका बनाने में काफी आगे तक निकल चुके हैं।

भारत व अमेरिका तीन दशक से मिलकर वैक्सीन कार्यक्रम चला रहे हैं। इस कार्यक्रम को वैश्विक स्तर पर मान्यता भी मिली है। ये डेंगू, आँतों की बीमारी, टीवी और इंन्फ्लुएंजा जैसी बिमारियों पर काम कर रहे हैं। डेंगू की वैक्सीन कभी आ सकती है।इस मिशन से भी लोगों को कोरोना की वैक्सीन बनाने की उम्मीद जगी है।

vaccine

भारत की भी तक़रीबन छह कंपनियाँ कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटी हैं।अमेरिका में कोरोना वायरस से बचाने वाले वैक्सीन के मानव परीक्षण की शुरूआत हो गयी है।

हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने का कहना है कि सुरक्षित वैक्सीन बनने में १८ माह लग सकता है।दुनिया की ७.८ अरब की आबादी तक इसके पहुँचने में एक साल से कम समय नहीं लगेगा।

यह भी पढ़ें: यहां आज से खुलेंगी दुकानें: राज्य सरकार ने दी अनुमति, जानिए शाॅप खुलने की टाइमिंग

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Praveen Singh

Praveen Singh

Journalist & Director - Newstrack.com

Journalist (Director) - Newstrack, I Praveen Singh Director of online Website newstrack.com. My venture of Newstrack India Pvt Ltd.

Next Story