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जानिए, भारतीय नौसेना की इस खासियत की वजह से दुश्मन नहीं फटकेगा पास
2022 में इस प्रोजेक्ट के तहत भारतीय नौसेना को पहला युद्धपोत मिल जाएगा। हर एक युद्धपोत पर करीब चार हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह पूरा प्रोजेक्ट 6400 करोड़ रुपये का है।
नई दिल्ली: भारत पर इस समय पाकिस्तान और चीन की ओर से लगातार दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में भारत का अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। देश की सरकार सबसे ज्यादा सतर्क हिन्द महासागर से मिलने वाली चुनौती से निपटने को लेकर है। यह सही है कि हर मुमकिन चुनौती का सामना करने के लिए सैन्य क्षमता में इजाफा अपरिहार्य है।
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इस दिशा में काम भी किया जा रहा है। दूसरे देशों से रक्षा सौदे भी किए जा रहे हैं और अत्याधुनिक तकनीक के हथियारों की खरीद भी की जा रही है। मगर हम आपको बताने जा रहे हैं प्रोजेक्ट 75 और प्रोजेक्ट 17 के बारे में। यह दोनो ही प्रोजेक्ट देश के लिए बहुत खास और अहमियत रखने वाले हैं।
सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि प्रोजेक्ट 75 क्या है
स्कार्पियन सबमेरिन प्रोग्राम को प्रोजेक्ट 75 नाम दिया गया है। और यह कार्यक्रम अपने तय समय से करीब पांच साल पीछे चल रहा है। आईएनएस कलावरी को दिसंबर 2017 में नौसेना में शामिल किया गया था। अब 1615 टन वजनी यह आईएनएस खंडेरी इस कड़ी दूसरी पनडुब्बी है जो नौसेना को मिलने जा रही है।
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भारतीय नौसेना को इस माह के आखिर में नई पनडुब्बी मिल जाएगी। 28 सितंबर को मुंबई में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में स्कॉर्पीन क्लास पी-75 की दूसरी सबमरीन खंडेरी नौसेना में शामिल होगी।
स्कॉर्पियन सबमरीन प्रोग्राम को दिया गया ये नाम
यहां जानने योग्य बात यह है कि स्कॉर्पियन सबमरीन प्रोग्राम को ही प्रोजेक्ट 75 नाम दिया गया है। इस पूरे प्रोग्राम पर 25 हजार 700 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। आईएनएस खांदेरी के बाद दो और सबमरीन वर्ष 2022-2023 में भारतीय नौसेना में शामिल होनी प्रस्तावित हैं।
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देश के पास वर्तमान समय में आईएनएस खांदेरी के अलावा आईएनएस कलावरी, आईएनएसचक्र और आईएनएस अरिहंत न्यूक्लियर पावर सबमरीन हैं। जहां तक खांदेरी की बात है तो यह भी तय समय से एक साल के बाद भारतीय नौसेना में शामिल होगी।
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आईएनएस खांदेरी फ्रांस की स्कॉर्पियन श्रेणी की डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है। मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड फ्रांस के मैसर्स डीसीएनएस के साथ मिलकर छह पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। आईएनएस खांदेरी को 28 सितंबर को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि होंगे।
टॉप स्पीड करीब 20 नॉट्स की
इस पनडुब्बी को खांदेरी का नाम मराठा बलों के द्वीपीय किले के नाम पर दिया गया है। इसकी 17वीं सदी के अंत में समुद्र में मराठा बलों का सर्वोच्च अधिकार सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका थी।
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इस सबमरीन की टॉप स्पीड करीब 20 नॉट्स की है। इस सबमरीन की खासियत है कि ये दुश्मन की निगाह छिपी रह सकती है। यह 1150 फीट (350 मीटर) की गहराई तक जा सकती है। इसमें एंटीशिप मिसाइल और टारपीडो दागने की सुविधा है।
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इस मिसाइल की मारक क्षमता 50 किमी की है। यह हवा में कम ऊंचाई पर उड़ते हुए बेहद तेज गति से दुश्मन पर मार करती है। 655 किग्रा वजनी यह मिसाइल करीब 4.69 मीटर लंबी है। इसके अलावा इसमें 30 एंटी शिप माइंस भी हैं।
प्रोजेक्ट 17 A
इसी दौरान एक युद्ध पोत को भी समुद्र में ट्रायल के लिए उतारा जाएगा। यह युद्ध पोत शिवालिक क्लास का है और प्रोजेक्ट 17A का हिस्सा है। प्रोजेक्ट 17A के तहत कुल सात युद्ध पोतों का निर्माण होना है। प्रोजेक्ट 17A के तहत बन रहे युद्धपोत अत्याधुनिक राडार सिस्टम से लैस हैं।
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इनसे ब्रह्मोस और बराक मिसाइल को छोड़ा जा सकता है। इन युद्धपोतों की टॉप स्पीड 52 किमी. प्रतिघंटे या 28 नॉट्स है। इन पर दो हेलीकॉप्टर (ध्रुव और सीकिंग हेलीकॉप्टर) उतर सकते हैं।
भारतीय नौसेना को मजबूती देने के लिए हुआ काम
भारतीय नौसेना को मजबूती देने के मकसद से ही प्रोजेक्ट 17A शुरू किया गया। इसके तहत शिवालिक क्लास की श्रेणी के युद्धपोत तैयार किए जाने हैं। यह युद्धपोत मझगांव और गार्डन रिज शिपबिल्डर एंडइंजीनियर्स बनाए जाने हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत 2017 में युद्धपोतों का निर्माण शुरूहुआ था।
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2022 में इस प्रोजेक्ट के तहत भारतीय नौसेना को पहला युद्धपोत मिल जाएगा। हर एक युद्धपोत पर करीब चार हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह पूरा प्रोजेक्ट 6400 करोड़ रुपये का है। इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले युद्धपोतों में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत युद्धपोतों अत्याधुनिक राडार सिस्टम, वैपंस प्लेटफॉर्म लगाना है।