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नहीं बचेंगे पाकिस्तान-चीन: भारत पानी के अंदर से मारेगा दुश्मनों को, तैयारी शुरू

भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा करने के लिए भारत छह पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही करने वाला है। ये मेगा प्रोजेक्ट 55,000 करोड़ रुपये का है जिसका टेंडर प्रोसेस अक्टूबर तक शुरू होगा।

Newstrack
Published on: 31 Aug 2020 9:08 AM GMT
नहीं बचेंगे पाकिस्तान-चीन: भारत पानी के अंदर से मारेगा दुश्मनों को, तैयारी शुरू
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भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा करने के लिए भारत छह पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही करने वाला है। ये मेगा प्रोजेक्ट 55,000 करोड़ रुपये का है।

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा करने के लिए भारत छह पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही करने वाला है। ये मेगा प्रोजेक्ट 55,000 करोड़ रुपये का है जिसका टेंडर प्रोसेस अक्टूबर तक शुरू होगा। चीन की नौसेना की बढ़ती ताकत के मद्देनजर ये पनडुब्बियां भारत की सामरिक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी। ये मेक इन इंडिया का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा।

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भारत में निर्माण

रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण होगा। भारत की घरेलू कंपनियों को देश में विदेशी रक्षा कंपनियों से करार की अनुमति होगी। इस कदम से भारत की आयात पर निर्भरता घटेगी। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के संबंध में रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना की अलग-अलग टीमों द्वारा काम पूरा हो चुका है। अक्टूबर तक ‘अनुरोध प्रस्ताव’ जारी होगा।

एलएंडटी और मझगाँव डॉक

रक्षा मंत्रालय इस प्रोजेक्ट के लिए दो भारतीय शिपयार्ड और पांच विदेशी डिफेन्स कंपनियों के नामों को शार्ट लिस्ट कर चुका है। अंतिम सूची में शामिल भारतीय कंपनियों में एलएंडटी ग्रुप और सरकारी उपक्रम मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) हैं। विदेशी कंपनियों में थायसीनक्रूप मरीन सिस्टम (जर्मनी), नवानतिया (स्पेन) और नेवल ग्रुप (फ्रांस) शामिल हैं।

submarines in India पनडुब्बियां(फोटो- सोशल मीडिया)

शुरुआत में रक्षा मंत्रालय एमडीएल और एल एंड टी को आरएफपी जारी करेगा तथा दोनों कंपनियां दस्तावेज मिल जाने के बाद अपनी विस्तृत निविदा पेश करेंगी। इसके बाद एल एंड टी और एमडीएल को पांच विदेशी चुनिंदा कंपनियों में से एक का चयन करना होगा।

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24 नयी पनडुब्बी खरीदने की योजना

भारतीय नौसेना की परमाणु हमला करने की क्षमता वाली छह पनडुब्बी समेत 24 नयी पनडुब्बी खरीदने की भी योजना है। नौसेना के पास अभी 15 पारंपरिक पनडुब्बी और दो न्यूक्लियर पनडुब्बी हैं।

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की सेना की बढ़ती मौजूदगी के मद्देनजर नौसेना अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। चीन के पास 50 से ज्यादा पनडुब्बी और करीब 350 पोत हैं। अगले 10 साल में चीन के जहाजों और पनडुब्बियों की संख्या 500 से ज्यादा हो जाएगी।

इसके अलावा एके 203 राइफल्स के निर्माण के लिए भारत-रूस संयुक्त प्रोजेक्ट एक अन्य परियोजना है जिसे आगे बढ़ाने की संभावना है। अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अपेक्षित शिखर सम्मेलन से पहले इसे फिर से शुरू किया जा सकता है।

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