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चीन के खिलाफ भारत की अब आक्रामक कूटनीति, ड्रैगन की घेरेबंदी के लिए प्लान बी तैयार
लद्दाख की गलवान घाटी में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों की शहादत के बाद भारत ने चीन की घेरेबंदी की कोशिशें तेज कर दी हैं। चीन की धोखेबाजी का जवाब देने के लिए...
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों की शहादत के बाद भारत ने चीन की घेरेबंदी की कोशिशें तेज कर दी हैं। चीन की धोखेबाजी का जवाब देने के लिए भारत की ओर से आक्रामक कूटनीतिक प्लान बी बनाया गया है। अगर चीन पूर्व में किए गए समझौतों का उल्लंघन करता है तो प्लान बी के तहत कई स्तरों पर उसकी घेरेबंदी तेज की जाएगी। इसके साथ ही ताइवान से संबंधों को मजबूत बनाया जाएगा। ताइवान हमेशा से चीन की कमजोर नस रहा है और भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताइवान को समर्थन देने वाले देशों के साथ खड़ा दिखेगा।
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ताइवान संबंधी नीति में होगा बदलाव
जानकार सूत्रों का कहना है गलवान घाटी में चीन के विश्वासघात के बाद सरकार कूटनीतिक स्तर पर कई विकल्पों पर गौर कर रही है। चीन के साथ बातचीत के साथ ही उन तरीकों पर भी मंथन चल रहा है जिनके जरिए चीन को घेरा जा सके। आने वाले दिनों में भारत की ताइवान संबंधी नीति में भी बदलाव किया जा सकता है। अभी सरकारी स्तर पर ताइवान के साथ भारत का कोई समझौता नहीं है मगर भविष्य में भारत ताइवान के संबंध में अमेरिकी नीति का समर्थन कर सकता है।
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वैश्विक मंचों पर चीन को बेनकाब करेगा भारत
भारत की ओर से वैश्विक मंचों पर चीन को बेनकाब करने की मुहिम छेड़े जाने की भी योजना है। ताइवान के संबंध में गैर सरकारी स्तर पर चलने वाली मुहिम को भी भारत की ओर से समर्थन दिया जा सकता है। ताइवान के राष्ट्रपति के पिछले दिनों आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के दो सांसदों ने वर्चुअल तरीके से हिस्सा लिया था और इसे लेकर चीन को काफी मिर्ची भी लगी थी। ताइवान चीन की कमजोर नस रहा है और इसलिए इस मुद्दे को लेकर चीन की घेरेबंदी की तैयारी की जा रही है।
रक्षात्मक की जगह अब आक्रामक कूटनीति
जानकार सूत्रों का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के रुख और उसके व्यवहार से भारत को धक्का लगा है। इसी कारण चीन से जुड़ी भारत की नीति में बड़े बदलाव की उम्मीद से इनकार नहीं किया जा सकता। तिब्बत संबंधी भारत की नीति में भी बदलाव दिख सकता है। सूत्रों का कहना है कि चीन के मामले में रक्षात्मक नीति में बदलाव की आहट सुनाई दे रही है। चीन के मामले में रक्षात्मक नीति को त्याग कर आक्रामक कूटनीतिक रास्ता अपनाने की तैयारी की जा रही है।
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नेपाल व पाकिस्तान को भड़का रहा चीन
हाल के दिनों में चीन का भारत विरोधी रुख बिल्कुल स्पष्ट दिख रहा है और उसने भारत विरोधी कई मोर्चे खोल रखे हैं। नेपाल की सरकार द्वारा विवादित नक्शे को मंजूरी दिए जाने के कदम के पीछे भी चीन का ही हाथ बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि चीन के पीठ पर हाथ रखने के बाद ही नेपाल ने भारत विरोधी इतना बड़ा कदम उठाया है। चीन भीतर ही भीतर पाकिस्तान की भारत विरोधी मुहिम को समर्थन देने में भी जुटा हुआ है। पाक अधिकृत कश्मीर में भी चीन की गतिविधियां बढ़ी हैं और वह पिछले दरवाजे से आतंकियों को मदद पहुंचाने की कोशिश भी कर रहा है। इसलिए चीन के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चा खोलना अब भारत के लिए मजबूरी बन गया है।
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लद्दाख में चीन की दोहरी चाल
सूत्रों का कहना है कि गलवान घाटी में भी चीन दोहरा मापदंड अपना रहा है। दुनिया को दिखाने के लिए वह बातचीत का रास्ता अपना रहा है मगर भीतर ही भीतर उसकी रणनीति भारत पर दबाव बनाए रखने की है। गलवान घाटी में सैन्य कर्मियों के जमावड़े के साथ वह अपनी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है। दूसरी और चीन का विदेश मंत्रालय लगातार भारत पर सीमा के उल्लंघन का आरोप लगा रहा है। यही कारण है कि गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत की रणनीति में बदलाव की संभावना तय मानी जा रही है।
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