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बड़ी प्राकृतिक आपदाएं: हिल गया था भारत, लाशों का लग गया था ढेर
बिहार 2007 में आयी बाढ़ को संयुक्त राष्ट्र द्वारा बिहार की "जीवित स्मृति" में सबसे खराब बाढ़ के रूप में वर्णित किया गया था। इसका असर बिहार के 19 जिलों पर पड़ा था। बाढ़ ने पूरे राज्य में अनुमानित एक करोड़ लोगों को प्रभावित किया था।
लखनऊ : प्राकृतिक आपदाएं, मनुष्य के नियंत्रण से बाहर हैं। कई आपदाएं मानव निर्मित गतिविधियों का परिणाम होती हैं लेकिन बहुत सी प्राकृतिक आपदायें प्रकृति का हिस्सा होतीं हैं। भारत ने अपने इतिहास में कुछ बहुत ही घातक आपदाओं का सामना किया है। भारत की प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं में 1999 में ओडिशा आया सुपर साइक्लोन, 2001 में गुजरात में आया प्रलयंकारी भूकंप, 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी, 2013 में महाराष्ट्र में पड़ा सूखा और 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ का नाम लिया जाता है।
2014 - कश्मीर बाढ़
कश्मीर में 2014 में भयानक बाढ़ आयी जिसमें राजौरी, श्रीनगर, बांदीपुर आदि जगहें बुरी तरह प्रभावित हुईं. इस बाढ़ में 600 से ज्यादा लोग मारे गए. इस आपदा का कारण लगातार मूसलाधार वर्षा था। सितंबर 2014 में झेलम नदी का पानी लगातार मूसलाधार वर्षा के कारण काफी बढ़ गया था इसीलिए कश्मीर क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में पानी घुस गया था। इस बाढ़ में करीब 600 लोगों ने अपनी जान गंवाई और लगभग 5000 करोड़ से 6000 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
2013 - उत्तराखंड बाढ़
जून 2013 में उत्तराखंड में केदारनाथ के ऊपर झील फटने से बाढ़ आ गयी थी. इसने राज्य के 13 में से 12 जिलों को प्रभावित किया था। सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और चमोली जिले। इस बाढ़ में 6 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इस आपदा का कारण भारी वर्षा और बड़े पैमाने पर भूस्खलन था। उत्तराखंड फ्लैश फ्लड भारत के इतिहास में सबसे विनाशकारी बाढ़ में से एक है। जून 2013 में उत्तराखंड में भारी वर्षा, बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ था। इसमें 14 से 17 जून तक बाढ़ और भूस्खलन जारी रहा और इसमें लगभग 1 लाख तीर्थयात्री केदारनाथ मंदिर में फंस गए थे।
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2007 - बिहार में बाढ़
बिहार 2007 में आयी बाढ़ को संयुक्त राष्ट्र द्वारा बिहार की "जीवित स्मृति" में सबसे खराब बाढ़ के रूप में वर्णित किया गया था। इसका असर बिहार के 19 जिलों पर पड़ा था। बाढ़ ने पूरे राज्य में अनुमानित एक करोड़ लोगों को प्रभावित किया था। करीब १३०० लोगों की जान चली गयी थी। अनगिनत पशु मारे गए थे। लगभग 29,000 घर नष्ट हो गए और 44,000 घर क्षतिग्रस्त हो गए, लगभग 4822 गाँव और 1 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि इस बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गई थी। सबसे अधिक प्रभावित जिलों में भागलपुर, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, पटना, मुजफ्फरपुर, सहरसा, सीतामढ़ी, और सुपौल आदि थे। इस बाढ़ का कारण 30 साल के मासिक औसत से पांच गुना अधिक वर्षा थी।
2004 - सुनामी
यह सबसे घातक सुनामी इंडोनेशिया के सुमात्रा के पश्चिमी तट पर शुरू हुई थी. इसने लगभग 12 देशों को प्रभावित किया और 2.3 लाख से अधिक लोगों को मार डाला था। इस सुनामी की तीव्रता 9.1 और 9.3 के बीच थी और यह लगभग 10 मिनट तक जारी रही थी। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था जो अब तक दर्ज किया गया है। प्रभावित क्षेत्र में दक्षिणी भारत और अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप द्वीप, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि थे।
2001 - गुजरात भूकंप
26 जनवरी, 2001 को भारत के 51 वें गणतंत्र दिवस समारोह मनाया जा रहा था. अचानक, कच्छ (गुजरात) के भचाऊ तालुका में रिक्टर स्केल पर 7.6 से 7.9 की तीव्रता वाला भूकंप का आया और 120 सेकंड तक चला था। इस आपदा में लगभग 20,000 लोग मारे गए, 167,000 घायल हुए और लगभग 400,000 लोग बेघर हो गए. इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्र में कच्छ, अहमदाबाद, भुज, गांधीनगर, सूरत, सुरेंद्रनगर, राजकोट, जामनगर आदि शामिल थे।
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1999 – ओडिशा का सुपर साइक्लोन
ओडिशा का का सुपर साइक्लोन, उत्तर हिंद महासागर में सबसे खतरनाक उष्णकटिबंधीय चक्रवात था। इसकी गति 260 किमी / घंटा थी. इसने न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड को भी प्रभावित किया था। अनुमान के अनुसार, लगभग 15000 लोग मारे गए, लगभग 15 लाख लोग बेघर हो गए और 2.75 लाख से अधिक घर नष्ट हो गए थे। प्रभावित क्षेत्र में केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, गंजम और पुरी आदि के तटीय जिले थे।
1770 - बंगाल का अकाल
यह अकाल 1769 में एक असफल मानसून से शुरू हुआ था जो 1773 तक लगातार दो सीजन तक जारी रहा था। इस अकाल की पूर्ण अवधि के दौरान लगभग एक करोड़ लोग भूख के कारण मर गए थे। पश्चिम बंगाल (बीरभूम और मुर्शिदाबाद), बिहार (तिरहुत, चंपारण और बेतिया), ओडिशा और बांग्लादेश (तत्कालीन भारत) इससे बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
रिपोर्ट : नीलमणि लाल
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