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असंतुष्ट नेताओं को राहुल का करारा जवाब, आपातकाल को माना गलत फैसला
राहुल गांधी ने कहा कि अगर कांग्रेस चुनाव में बीजेपी को हराने में कामयाब भी हो जाए तो संस्थानिक ढांचे में बैठे हुए उनके लोगों को नहीं हटाया जा सकता।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं की तेज होती आवाज के बीच अब पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जी-23 के नेताओं पर सीधा हमला बोला है। असंतुष्ट नेताओं की पार्टी में लोकतंत्र बहाल करने और संगठन चुनाव करने की मांग का सीधा जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैं हमेशा से ही इन दोनों बातों का पक्षधर रहा हूं। मैं कई सालों से कांग्रेस में अंदरूनी लोकतंत्र को बढ़ावा देने की वकालत करता रहा हूं मगर मेरी पार्टी के लोगों ने ही मेरी आलोचना की।
पहली बार असंतुष्टों को सीधा जवाब
पार्टी के असंतुष्ट खेमे की तेज होती गतिविधियों के बीच राहुल गांधी ने पहली बार असंतुष्ट नेताओं को सीधा जवाब दिया है। असंतुष्ट नेताओं के जम्मू सम्मेलन के बाद राहुल गांधी की इस टिप्पणी को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सियासी जानकारों के मुताबिक 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के समय असंतुष्टों की बढ़ती गतिविधियों को पार्टी नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है।
पार्टी के लोगों ने ही की आलोचना
राहुल गांधी ने प्रतिष्ठित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के वर्चुअल कार्यक्रम में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। प्रोफेसर कौशिक बसु के साथ लोकतंत्र और विकास के विषयों पर बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैं शुरुआत से ही पार्टी में अंदरूनी लोकतंत्र को बढ़ावा देने का पक्षधर रहा हूं।
मैं कई सालों से इस बात की वकालत करता रहा हूं मगर इसके लिए मेरी पार्टी के लोगों ने ही मेरी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि मैंने युवा और छात्र संगठन में चुनाव को बढ़ावा दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण है और मैं हमेशा इस बात पर जोर देता रहा हूं।
इमरजेंसी लगाने को माना गलत
भारतीय जनता पार्टी की ओर से समय-समय पर 1975 में लगाए गए आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर तीखे हमले किए जाते रहे हैं। इन हमलों के बीच राहुल गांधी ने इंदिरा गांधी की ओर से 1975 में लगाई गई इमरजेंसी को गलत कदम माना है।
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हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उस समय जो हुआ और आज जो कुछ हो रहा है, उसमें काफी अंतर है और अपनी गलती मान लेना साहस का काम होता है।
संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जे का प्रयास
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से कभी भी देश के संवैधानिक ढांचे पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की गई। हमारे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और यह व्यवस्था हमें ऐसा करने की इजाजत नहीं देती।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसे अलग तरीके से अंजाम देने में जुटा हुआ है। संवैधानिक संस्थाओं में अपने लोगों को भरने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस चुनाव में बीजेपी को हराने में कामयाब भी हो जाए तो संस्थानिक ढांचे में बैठे हुए उनके लोगों को नहीं हटाया जा सकता।
लोकतंत्र में आवाज दबाने की कोशिश
कांग्रेस नेता ने कहा कि मौजूदा हालात में न्यायपालिका से भी कोई उम्मीद नहीं कर सकते। संसद में विरोधियों को बोलने नहीं दिया जाता।
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संघ और भाजपा के पास बहुत बड़ी आर्थिक ताकत है और उद्योगपतियों को विपक्ष के पक्ष में खड़ा होने की इजाजत तक नहीं है। उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है की लोकतांत्रिक अवधारणा पर भाजपा की ओर से बहुत सोचा समझा हमला किया जा रहा है।
असंतुष्टों को दिया करारा जवाब
सियासी जानकारों की नजर में असंतुष्ट नेताओं के संबंध में राहुल गांधी की टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण है। राहुल गांधी की टिप्पणी कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को करारा जवाब मानी जा रही है। असंतुष्ट नेताओं ने पिछले साल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में स्थायी अध्यक्ष नियुक्त करने और संगठन चुनाव कराने की मांग की थी।
नेतृत्व को घेरने में जुटे हैं असंतुष्ट
हाल के दिनों में असंतुष्ट नेताओं की गतिविधियां और तेज हो गई हैं। असंतुष्ट खेमे के सबसे वरिष्ठ नेता माने जाने वाले गुलाम नबी आजाद के बुलावे पर हाल में जम्मू में असंतुष्ट नेताओं का जमावड़ा लगा था। इस सम्मेलन में कपिल सिब्बल आनंद शर्मा और मनीष तिवारी जैसे नेताओं ने विभिन्न मुद्दों के जरिए पार्टी नेतृत्व को घेरने की कोशिश की थी। इन नेताओं ने राज्यसभा से आजाद की विदाई पर भी सवाल उठाए थे।
पीरजादा से गठबंधन पर उठे थे सवाल
जम्मू सम्मेलन के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में फुरफुरा शरीफ के इमाम पीरजादा की पार्टी आईएसएफ के साथ चुनावी गठबंधन करने पर सवाल खड़े किए थे। उनका कहना था कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती। उन्होंने आईएसएफ के साथ चुनावी गठबंधन को पार्टी के मूल्यों के खिलाफ बताया था।
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हालांकि आनंद शर्मा के बयान का तीखा जवाब देते हुए पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि पार्टी नेतृत्व की मंजूरी के बाद ही यह गठबंधन किया गया है और घरों में बैठकर राजनीति करने वाले नेताओं को हमें नसीहत नहीं देनी चाहिए।