×

कोविड मौतों पर उठी बड़ी मांग, सरकार दें मृत कर्मचारियों के परिजनों को ये सहायता

इप्सेफ ने प्रधानमंत्री तथा राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना के मरीजों के इलाज में लगे मृत डॉक्टर, नर्सेज ,फार्मासिस्ट ,लैब टेक्नीशियन, प्रयोगशाला सहायक, तकनीकी और सफाई कर्मचारी के परिजनों को 50 लाख रुपए की सहायता राशि देने की मांग की है।

Newstrack
Published on: 21 Sep 2020 3:15 PM GMT
कोविड मौतों पर उठी बड़ी मांग, सरकार दें मृत कर्मचारियों के परिजनों को ये सहायता
X
कोविड मौतों पर उठी बड़ी मांग, सरकार दें मृत कर्मचारियों के परिजनों को ये सहायता

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) ने प्रधानमंत्री तथा राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना के मरीजों के इलाज में लगे मृत डॉक्टर, नर्सेज ,फार्मासिस्ट ,लैब टेक्नीशियन, प्रयोगशाला सहायक, तकनीकी और सफाई कर्मचारी के परिजनों को 50 लाख रुपए की सहायता राशि देने की मांग की है। इप्सेफ का कहना है कि यह खेद का विषय है कि भारत सरकार एवं राज्यों की सरकारों ने कोविड-19 से मृत कर्मचारियों की सूची प्रकाशित नहीं की है। इप्सेफ की जानकारी के अनुसार लगभग 500 कर्मचारी की मृत्यु हुई है।

ये भी पढ़ें: उमा भारती ने किए बाबा केदारनाथ के दर्शन, वीडियो आया सामने, दिखी इतनी उत्सुक

50 लाख रुपए की सहायता राशि

इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी मिश्र ने सोमवार को कहा कि अन्य विभागों के कोरोना के कारण मृत कर्मचारियों को भी 50 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाए तथा उनके देयकों का भुगतान तथा मृतक के आश्रित को योग्यता के अनुरूप नियुक्ति की जाए। उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां केंद्र व राज्यों में तत्काल लागू किया जाए। इप्सेफ अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को धन्यवाद देते हुए मांग की है कि 02 वर्ष से लंबित वेतन समिति की संस्तुतियों के अनुरूप सातवें वेतन आयोग की वेतन विसंगतियां व अन्य भत्ते तथा कैडर पुनर्गठन पर शीघ्र कैबिनेट से मंजूरी कराकर निर्णय करके सद्भाव का वातावरण बनाकर प्रदेश के विकास की गति को नया स्वरूप दें। उन्होंने कहा कि प्रदेश का कर्मचारी विकास कार्यों में उनके साथ है बशर्ते उनकी मूलभूत समस्याओं का हल निकाला जाए।

ये भी पढ़ें: RCB vs SRH Live: देवदत्त के बाद फिंच आउट, बेंगलुरु को लगा लगातार झटका

मिश्र ने कहा कि 30 वर्ष की सेवा या 50-55 वर्ष की आयु पर जो पहले हो पर रिटायर करने की कार्यवाही को तत्काल रोका जाए। सामान्य तौर पर वर्ष 1985 से स्क्रीनिंग होती रही है। जिसमें अनुपयोगी तथा भ्रष्ट कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही भी की जाती है। लेकिन 30 वर्ष की सेवा पर जबरन रिटायर करने से उस कर्मचारी का परिवार संकट में पड़ जाता है। उन्होंने कहा कि उक्त कर्मचारी को दंड दिया जा सकता है परंतु परिवार ने कौन सा अपराध किया है इसे ध्यान में रखना चाहिए।

ये भी पढ़ें: सनकी प्रेमी का इश्क: प्रेमिका को उतार दिया मौत के घाट, फिर क्या ये काम…

Newstrack

Newstrack

Next Story