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कश्मीरी पंडितों ने की प्रमाणपत्र पर रोक लगाने की मांग, कहा पहले करें ये काम

प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने गैर-निवासियों को जम्मू-कश्मीर का डोमिसाइल सर्टिफिकेट देने से पहले अपनी मातृभूमि पर वापसी कराने और फिर से घाटी में बसाए जाने की मांग की है। प्रवासी कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने रविवार को वापसी, पुनर्वास और समाधान की मांग की है।

Shreya
Published on: 28 Jun 2020 1:08 PM GMT
कश्मीरी पंडितों ने की प्रमाणपत्र पर रोक लगाने की मांग, कहा पहले करें ये काम
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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में लोगों को अधिवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल सर्टिफिकेट) बांटे जा रहे हैं। जिस पर प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने गैर-निवासियों को जम्मू-कश्मीर का डोमिसाइल सर्टिफिकेट देने से पहले अपनी मातृभूमि पर वापसी कराने और फिर से घाटी में बसाए जाने की मांग की है। प्रवासी कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने रविवार को वापसी, पुनर्वास और समाधान की मांग की है। संगठन ने हम कश्मीरों पंडितों को कश्मीर में फिर से बसाए जाने तक निवास प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगाने की मांग की है।

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सरकार गैर- निवासियों और शरणार्थियों को खुश करने में जुटी है

उन्होंने एक बयान में कहा कि लगता है कि भारत सरकार कश्मीरी पंडितों की कीमत पर गैर-निवासियों और शरणार्थियों को खुश करने में जुटे हुई है। बयान में कहा गया है कि वर्तमान सरकार ने प्रवासी और विस्थापित कश्मीरी पंडितों को कश्मीर के दस जिलों में बसाने की बात कही थी, लेकिन अब तक इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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सरकार कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की नीति के साथ सामने

कश्मीर पंडितों के संगठन ने मांग की कि भारत सरकार तत्काल कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की नीति के साथ सामने आए। किसी भी नागरिक को डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने से पहले इसका एलान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि निवास प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास से पहले गैर-निवासियों को प्रमाण पत्र जारी करना लोकतांत्रिक, संवैधानिक और मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है।

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हमारे मौलिक और संवैधानिक अधिकार की हो रही अनदेखी

संगठन की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि पिछले 31 सालों से हमारे मौलिक और संवैधानिक अधिकार को दरकिनार किया जा रहा है। हमें वापस भेजने से पहले निवासियों को निवास प्रमाण पत्र जारी करना मूलभूत संवैधानिक और मानव अधिकारों का उल्लंघन है।

बयान में कहा गया है कि वे (सरकारें) उस राज्य की स्वायत्तता की रक्षा करने में भी नाकामयाब रहे, जो विलय के वक्त दिया गया था। कश्मीर बिल्कुल खराब स्थिति में है और हर कश्मीरी का पहला कर्तव्य किसी भी घुसपैठिए के खिलाफ अपनी मातृभूमि की रक्षा करना है।

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क्या है डोमिसाइल सर्टिफिकेट?

नए डोमिसाइल कानून के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में कम से कम 15 साल से निवास करने वाले गैर-स्थायी निवासी यह प्रमाण पत्र पाने के हकदार हैं। 30,000 से अधिक लोगों को अब तक जम्मू और कश्मीर में ऑनलाइन डोमिसाइल सर्टिफिकेट प्राप्त हुए हैं। भारत सरकार की ओर से केंद्र शासित प्रदेश में गैर-निवासियों की अलग-अलग श्रेणियों में रहने के लिए कानून बदलने के बाद यह सर्टिफिकेट बांटा जा रहा है।

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