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जम्मू-कश्मीर में होने जा रहा ऐसा, जानकर चौंक जाएंगे आप

जम्मू संभाग का कुल क्षेत्रफल 26,293 किलोमीटर है। जम्मू विधानसभा सीटों की बात करें तो यहां 37 सीटें हैं। 59,146 किलोमीटर क्षेत्रफल वाला लद्दाख महज चार विधानसभा सीटें देता है, जबकि 15,948 किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ कश्मीर घाटी 46 विधानसभा सीटें देता है।

Manali Rastogi
Published on: 3 Aug 2019 5:07 PM IST
जम्मू-कश्मीर में होने जा रहा ऐसा, जानकर चौंक जाएंगे आप
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जम्मू-कश्मीर में होने जा रहा ऐसा, जानकार चौंक जाएंगे आप

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर को लेकर सियासत तेज हो गयी है। केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य में 10 हजार अतिरिक्त सेना तैनात कर दी है। विपक्षी दल इसका काफी विरोध कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, यह सब एक प्लान के तहत किया जा रहा है। इस बीच शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा भी रोक दी गई। कहा गया कि घाटी में विदेशी आतंकी घुसपैठ की फिराक में हैं। इसलिए जनता की सुरक्षा के लिए सेना लगा दी गई। वैसे जल्द ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

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राज्य में राज्यपाल शासन लागू है। विधानमंडल की बात करें तो राज्य में विधान परिषद की 36, विधान सभा की 89, राज्य सभा की 4 और लोक सभा की 6 सीटें हैं। राज्य के तीन मुख्य अंचल हैं: जम्मू (हिन्दू बहुल), कश्मीर (मुस्लिम बहुल) और लद्दाख़ (बौद्ध बहुल)। जम्मू-कश्मीर तीन संभागो में बटा हुआ है; जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख। राज्य में जिलों की संख्या 20 है। सबसे खास बात ये है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।

साजिश के तहत हुआ जम्मू-कश्मीर का विभाजन

मालूम हो, जम्मू-कश्मीर का विभाजन एक साजिश के तहत किया गया, जिसमें जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को जातियों के हिसाब से बांट दिया गया। यह विवादित जमीम कभी किसी एक की न हो पाये, इस बात को ध्यान में रखते हुए इस जगह को इस तरह बांटा गया कि कभी कोई एक सरकार इसपर राज न करे।

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बता दे, जम्मू संभाग का कुल क्षेत्रफल 26,293 किलोमीटर है। जम्मू विधानसभा सीटों की बात करें तो यहां 37 सीटें हैं। 59,146 किलोमीटर क्षेत्रफल वाला लद्दाख महज चार विधानसभा सीटें देता है, जबकि 15,948 किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ कश्मीर घाटी 46 विधानसभा सीटें देता है।

क्षेत्रफल के लिहाज से देखा जाये तो लद्दाख के पास सीटें ज्यादा होनी चाहिए लेकिन सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें घाटी की हैं। जम्मू-कश्मीर आजादी के समय से ही विवाद में रहा है। इंडिया-पाकिस्तान इस जमीन को लेकर साल 1947 से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन भारत में प्रदेश को लेकर अंदरूनी विवाद भी जारी है।

विवादित जगह होने के कारण मिला विशेष राज्य का दर्जा

विवादित जगह होने की वजह से भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया। यहां आजादी के बाद से आर्टिक्ल 370 लागू है। भारतीय संविधान का आर्टिक्ल 370 जम्मू और कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा देता है। संविधान के भाग XXI में लेख का मसौदा तैयार किया गया है: अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान।

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इन सबके बीच एक पार्टी ऐसी है, जो अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का परिसीमन करना चाहती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी ने प्लान तैयार कर लिया है। अगर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का परिसीमन हो जाता है तो कश्मीर घाटी की सीटें अपने आप कम हो जाएंगी। देखने वाली बात तो ये है कि घाटी सबसे कम क्षेत्रफल के साथ अपने दामन में सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें संजोए हुई है।

परिसीमन के बाद कश्मीर की सीटें कम हो सकती हैं। इस लिहाज से मुस्लिम ताकत कम हो जाएगी क्योंकि कश्मीर घाटी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। ऐसे में बीजेपी अपने हिंदुत्व वाले एजेंडे में कामयाब हो जाएगी। दरअसल, जम्मू हिंदू तो लद्दाख बौद्ध बाहुल्य क्षेत्र हैं। इस तरह बीजेपी की राह आसान हो सकती है।

पीएम मोदी ने किया था ये काम

26 जनवरी 1992 को कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा फहराने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब देश की कमान संभालने के बाद प्रदेश में राजनीति पलटने की सपना देख रहे हैं। जो काम 28 साल पहले पूरा न हो सका, शायद वो पीएम मोदी अब पूरा करने की सोच रहे हैं। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव से पहले परिसीमन की हवा को ज़ोर दिया जा रहा है।

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सूत्रों की माने तो, राज्य में सेना एक प्लान के साथ तैनात की गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम मोदी अपने एजेंडे में कामयाब होने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। सियासत के गलियारों में भी इस बात की चर्चा है कि क्या बीजेपी अपने एजेंडे में कामयाब हो पाएगी? इसके अलावा सोशल मीडिया पर ये भी खबरें चल रही हैं कि कश्मीर और लेह को केंद्र शासित राज्य घोषित कर देना चाहिए। अगर ऐसा हो जाता है तो आर्टिक्ल 35 ए और अरतिवले 370 अपने आप हट जाएगा।

क्या है परिसीमन?

परिसीमन का मतलब होता है, किसी भी राज्य की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं (राजनीतिक) का रेखांकन है। इसका सीधा अर्थ ये हुआ कि परिसीमन के जरिये लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की हदें तय की जाती हैं।

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भारतीय संविधान का आर्टिक्ल 82 कहता है कि हर 10 साल बाद परिसीमन आयोग का गठन किया जा सकता है, जिसके तहत जनसंख्या के आधार पर तमान लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का निर्धारण हो सकता है।



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Manali Rastogi

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