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OperationKashmir: क्या 28 साल पुराना इतिहास दोहराएंगे पीएम मोदी?
उस दौरान 15 मिनट की कड़ी सुरक्षा के बीच पीएम मोदी ने जोशी व टीम के साथ लाल चौक में तिरंगा फहराया। उस घटना को अब 28 साल पूरे हो चुके हैं और आज मुरली मनोहर जोशी की टीम के सदस्य रहे मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। जम्मू-कश्मीर में अब राज्यपाल शासन है।
श्रीनगर: बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 साल पहले श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। तब जोशी की टीम के सदस्य रहे मोदी ने घनघोर आतंकवाद के बीच श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। हालांकि, इसके बाद से कभी भी लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराया जा सका है। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या पीएम मोदी इस इतिहास को दोबारा दोहरा पाएंगे?
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मोदी ने जोशी के साथ साल 1992 में यह काम किया था। तब मोदी का ये कारनामा पहली बार अलगाववादियों, आतंकियों और मुख्यधारा की सियासत करने वाले राजनीतिक दलों, राष्ट्रवादियों और सुरक्षाबलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना। दरअसल, 26 जनवरी 1992 को बीजेपी ने कन्याकुमारी से एकता यात्रा शुरु करते हुए इस यात्रा को लालचौक में तिरंगा फहराते हुए खत्म करने का ऐलान किया है था।
तनावपूर्ण थी स्थिति
तब इस ऐलान के बाद से घाटी में स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई थी। इस ऐलान के बाद से आतंकी और अलगाववादियों ने खुलेआम यह कह दिया था कि वह घाटी में तिरंगा फहराने नहीं देंगे। पुलिस मुख्यालय में आतंकियों ने बीजेपी की यात्रा से पहले ही ग्रेनेड धमाका कर दिया था। इस दौरान तत्कालीन पुलिस महानिदेशक जेएन सक्सेना जख्मी हो गए थे।
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इस विस्फोट के बाद जम्मू-कश्मीर में हालात और गंभीर हो गए। इस वजह से मुरली मनोहर जोशी, नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को तत्कालीन प्रशासन ने हवाई जहाज के जरिए श्रीनगर पहुंचाया था। जब लाल चौक पर तिरंगा फहराया जा रहा था, तब वहां चारों ओर सुरक्षाकर्मी ही मौजूद थे।
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उस दौरान 15 मिनट की कड़ी सुरक्षा के बीच पीएम मोदी ने जोशी व टीम के साथ लाल चौक में तिरंगा फहराया। उस घटना को अब 28 साल पूरे हो चुके हैं और आज मुरली मनोहर जोशी की टीम के सदस्य रहे मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। जम्मू-कश्मीर में अब राज्यपाल शासन है। घाटी में भारतीय सेना तैनात है और यहां अब किसी को भी तिरंगा फहराने की इजाज़त नहीं है।