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बेटियों को रोजगार: लाखों मज़दूर लौटे राज्य, सरकार के सामने बड़ी चुनौती, बना दबाव

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार आने के बाद राज्य में ही रोज़गार के अवसर पैदा करने का वादा किया गया। हालांकि, सरकार के लिए भी यह एक मुश्किल क़दम है।

Shivani
Published on: 20 Oct 2020 5:19 PM GMT
बेटियों को रोजगार: लाखों मज़दूर लौटे राज्य, सरकार के सामने बड़ी चुनौती, बना दबाव
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रांची- रोज़गार की तलाश में बड़े पैमाने पर लोग झारखंड से बाहर जाने को मजबूर हैं। लॉकडॉन के दौरान लाखों की संख्या में मज़दूर झारखंड लौटे। दूसरी तरफ ग़रीबी और तंगहाली के कारण झारखंड में मानव तस्करी फल-फूल रहा है। दिल्ली समेत अन्य राज्यों में झारखंड की बेटियों का आर्थिक और शारीरिक शोषण किया जा रहा है।

झारखंड में नई हेमंत सोरेन सरकार आने के बाद राज्य में ही रोज़गार के अवसर पैदा करने का वादा किया गया। हालांकि, सरकार के लिए भी यह एक मुश्किल क़दम है। राज्य में खनिज-संपदा तो है लेकिन कल-कारखानों का विकास नहीं हुआ है। लिहाज़ा, लोग दूसरे राज्य जाने को विवश हैं। जो मज़दूर दूसरे प्रदेशों से लौटे हैं उन्हे राज्य के अंदर ही रोज़गार से जोड़ने का दबाव है।

तमिलनाडु से मुक्त कराई गईं झारखंड की बेटियां-

झारखंड के विभिन्न ज़िलों से 22 युवतियां नौकरी के लिए तमिलनाडु गईं। लॉकडॉन के दौरान ये लड़कियां वहीं फंस गईं। सैलरी नहीं मिलने के साथ ही रहने और भोजना की दिक्कत होने लगी। युवती के परिजनों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से गुहार लगाई।

jharkhand employment for migrants challenge to CM Hemant Soren Govt

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सरकार ने क़दम उठाते हुए सभी 22 लड़कियों को सुरक्षित झारखंड लाया। तमिलनाडु से लौटी युवतियों ने न्यूज़ट्रैक को बताया कि, मात्र 7 हज़ार रुपए में वे लोग नौकरी करने को मजबूर थीं। लॉकडॉन के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सरकार ने उनकी गुहार सुनी और वे लोग झारखंड लौट सकीं।

युवतियों को झारखंड में मिला रोज़गार-

तमिलनाडु से मुक्त कराई गईं युवतियों को रोज़गार से जोड़ना एक ज़रूरी क़दम था। ऐसा नहीं करने पर लड़कियां आज न कल फिर झारखंड छोड़ने को मजबूर होती। लिहाज़ा, राज्य सरकार ने टेक्सटाइल उद्योग से जुड़ी एक कंपनी किशोर एक्सपोर्ट्स से वार्ता कर युवतियों को रोज़गार से जोड़ा।

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खूंटी ज़िला की रहने वाली नागी कुमारी ने बताया कि उन्हे ऑवर टाइम कराया जाता था लेकिन इसके एवज़ में पैसे नहीं मिलते थे। बीमार होने के बाद भी काम कराया जाता था। रांची ज़िला की रहने वाली उमा कुमारी ने बताया कि, लॉकडॉन के बाद बुरा बर्ताव किया जाने लगा। समय पर वेतन नहीं मिलने लगा।

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लॉकडॉन ने भयावाह स्थिति से कराया अवगत-

युवतियों को नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि, लॉकडॉन के कारण पता चला कि, झारखंड के लाखों मज़दूर दूसरे राज्यों में काम करते हैं।

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सरकार के पास स्पष्ट आंकड़े नहीं थे। लॉकडॉन के दौरान लौट मज़दूरों के आंकड़ों ने भयावाह स्थिति से अवगत करा दिया है। लिहाज़ा, राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि, राज्य के अंदर ही लोगों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं। इसके लिए उद्योग विभाग ने काम शुरू कर दिया है। अगले दो महीने में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोज़गार के साथ जोड़ा जाएगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत तीन बड़ी योजनाओं के अलावा शहरी मज़दूरों के लिए मुख्यमंत्री शहरी श्रमिक योजना शुरू की गई है। मुख्यमंत्री की मानें तो जो कंपनियां राज्य के अंदर रोज़गार उपलब्ध कराएगी उन्हे सरकार की ओर से पूरा सहयोग मिलेगा।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट।

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