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वाह भई वाह: सलाम है देश की इन महिलाओं को, सरकार ने किया सम्मानित

इंसान अगर ठान ले तो क्या नहीं कर सकता।अपनी हिम्मत और मेहनत से ऐसी ही मिसाल पेश की है झारखंड की दो महिलाओं ने। ललिता और अजोला नाम की ये महिलाएं आज खेती कर सालाना तीन से चार लाख रुपए कमा रही हैं।

Newstrack
Published on: 18 July 2020 12:48 PM GMT
वाह भई वाह: सलाम है देश की इन महिलाओं को, सरकार ने किया सम्मानित
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सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली। इंसान अगर ठान ले तो क्या नहीं कर सकता।अपनी हिम्मत और मेहनत से ऐसी ही मिसाल पेश की है झारखंड की दो महिलाओं ने । ललिता और अजोला नाम की ये महिलाएं आज खेती कर सालाना तीन से चार लाख रुपए कमा रही हैं। खेतों में पसीना बहाकर इन दोनों ने सिर्फ पैसा ही नहीं काफी शोहरत भी कमा ली है।ललिता को तो 2018 में केंद्र सरकार ने लखपति किसान सम्मान से भी नवाज़ा है।

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गरीबी से हार नहीं मानी—

एक समय ऐसा भी जब ललिता के घर में खाने के लाले पड़ गए थे। साल 2015 में तो तंगहाली से परेशान ललिता और उनके पति ने बड़े शहर जाकर काम तलाशने का मन भी बना लिया था।

किस्मत से उसी समय वे नीड्स (नेटवर्क फ़ॉर एंटरप्राज़ेज़ एनहान्समेंट डेवलेपमेंट सपोर्ट ) नाम की संस्था के सम्पर्क में आए।यह संस्था खेती करने के लिए लोगों की हौसला अफज़ाई करती है।ललिता को उनकी बात जंच गई और उसने खेती में हाथ आज़माने का निर्णय किया।

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ललिता ने बंजर भूमि में उपजाया सोना—

सगराजोर की ललिता के पास पांच एकड़ ज़मीन थी पर आधी ज़मीन उपजाऊ नहीं थी।ललिता ने जानकारों से सलाह लेकर बंजर पड़ी ज़मीन में आम के बाग लगाए और उपजाऊ ज़मीन पर तरह तरह के पौधे उगाकर पॉली नर्सरी शुरु की।

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उनकी यह पहल इतनी कामयाब हुई कि आज आसपास के करीब 250 गांवों के किसान उनसे पौधे खरीदकर ले जाते हैं। ललिता की नर्सरी में करेला,बैंगन, गोभी,पपीता ,मिर्च जैसे कई पौधे उगाए जाते हैं।

हर वर्ष चार लाख तक कमा लेने वाली ललिता ने इस वर्ष 6 लाख की आमदनी का लक्ष्य निर्धारित किया है। कोरोना भी ललिता के हौसले को पस्त नहीं कर सका। लॉकडाउन के दौरान ही उन्होंने करीब 60 हज़ार के टमाटर बेच डाले।

अपनी कमाई से खरीदा ट्रैक्टर,पति को दिलाई बाइक-

ललिता ने खेती के शुरुआती दिनों में ट्रैक्टर किराए पर लेकर काम चलाया। एक बार आमदनी बढ़ी ,तो उन्होंने अपना खुद का ट्रैक्टर खरीद लिया। यहीं नहीं उन्होंने अपनी कमाई से अपने पति को बाइक भी लेकर दी है।

घर आर्थिक हालत सुधरे तो उन्होंने अपने दोनो बच्चों को स्कूल में दाखिला भी दिला दिया।आज वह गांव के लोगों के लिए मिसाल बन चुकी हैं।

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अजोला की मेहनत को भी सलाम-

ललिता की तरह ही देवघर की अजोला ने भी मिट्टी में सोना उगाकर सफलता हासिल की।अजोला ने भी पॉली नर्सरी बना कर अपनी किस्मत को बदल डाला।

उन्होंने ने भी लाकडाउन में अपनी दो एकड़ ज़मीन पर सिर्फ मिर्च उगाकर एक लाख रुपए कमा लिए।खेती के अलावा वह तालाब मछली का ज़ीरा भी तैयार कर रही हैं।इसे तीन पंचायतो के करीब 43 तालाबों में डाला जाएगा।

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किसान दीदियों ने दिया दूसरों को सहारा-

अजोला और ललिता दोनों ने ही अपने खेतों में कई महिलाओं को रोज़गार देकर उनकी ज़िंदगी को भी संवारा है।ललिता ने अब सफलता का एक और पायदान चढ़ते हुए दूसरों के खेतों पर भी बंटाई पर लेने के काम शुरु कर दिया है।

वहीं अजोला ने अपने गांव में गणेश स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की है जिससे 14 महिलाओं ने जुड़कर भविष्य की सुनहरी इबारत लिखने का सपना संजोया है।

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