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NCP अध्यक्ष शरद पवार के बर्थडे पर जानिए उनकी जिंदगी के ये पहलू

NCP के अध्यक्ष व दिग्गज नेता शरद पवार का आज बर्थडे है। इनका पूरा नाम शरद गोविंदराव पवार है वो एक वरिष्ठ भारतीय राजनेता है।

Roshni Khan
Published on: 12 Dec 2019 11:02 AM GMT
NCP अध्यक्ष शरद पवार के बर्थडे पर जानिए उनकी जिंदगी के ये पहलू
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मुंबई: NCP के अध्यक्ष व दिग्गज नेता शरद पवार का आज बर्थडे है। इनका पूरा नाम शरद गोविंदराव पवार है वो एक वरिष्ठ भारतीय राजनेता है। वो नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष भी हैं। शरद पवार तीन अलग-अलग समय पर महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। एक प्रभावशाली नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले शरद पवार केंद्र सरकार में रक्षा और कृषि मंत्री रह चुके हैं।

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शरद पवार पहले कांग्रेस पार्टी में थे पर सन 1999 में उन्होंने अपने राजनितिक दल ‘नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी’की स्थापना की। प्रेजेंट टाइम में वे राज्यसभा से सांसद हैं और अपनी पार्टी का वहां नेतृत्व कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजनीति और महाराष्ट्र की क्षेत्रीय राजनीति में उनकी कड़ी पकड़ है।

प्रारंभिक जीवन

शरद पवार का जन्म 12 दिसम्बर 1940 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। उनके पिता गोविंदराव पवार बारामती के कृषक सहकारी संघ में कार्यरत थे और उनकी माता शारदाबाई पवार कातेवाड़ी में परिवार के फार्म का देख-रेख करती थीं। शरद पवार ने पुणे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध ब्रिहन महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स (BMCC) से पढ़ाई की।

निजी जीवन

शरद पवार का विवाह प्रतिभा शिंदे से हुआ। पवार दंपत्ति की एक पुत्री है जो बारामती संसदीय क्षेत्र से सांसद है। शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी महाराष्ट्र की राजनीति में प्रमुख स्थान रखते हैं और पूर्व में महाराष्ट्र राज्य के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शरद के छोटे भाई प्रताप पवार मराठी दैनिक ‘सकल’ का संचालन करते हैं।

पहली बार लोकसभा चुनाव जीते

सन 1980 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और ए.आर. अंतुले के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी। सन 1983 में पवार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) के अध्यक्ष बने और अपने जीवन में पहली बार बारामती संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता। शरद पवार ने सन 1985 में हुए विधान सभा चुनाव में भी जीत हासिल की और राज्य की राजनीति में ध्यान केन्द्रित करने के लिए लोकसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया। विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) को 288 में से 54 सीटें मिली और शरद पवार विपक्ष के नेता चुने गए।

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कांग्रेस में वापसी

सन 1987 में शरद पवार कांग्रेस पार्टी में वापस आ गए। जून 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकरराव चौहान को केन्द्रीय वित्त मंत्री बना दिया जिसके बाद शरद पवार राज्य के मुख्यमंत्री बनाये गए। सन 1989 के लोक सभा चुनाव में महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से कांग्रेस ने 28 सीटों पर विजय हासिल की। फरवरी 1990 में हुए विधानसभा चुनाव में शिव सेना और बीजेपी गठबंधन ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और कांग्रेस पार्टी ने कुल 288 सीटों में से 141 सीटों पर विजय हासिल की पर बहुमत से चुक गयी। शरद पवार ने 12 निर्दलीय विधायकों से समर्थन लेकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने।

भ्रष्टाचार के लगे आरोप

1993 के बाद उन पर भ्रष्टाचार और अपराधियों से मेल-जोल के आरोप लगे। ब्रहन्मुम्बई नगर निगम के उपायुक्त जी.आर. खैरनार ने उन पर भ्रष्टाचार और अपराधियों को बचाने के आरोप लगाये। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी महाराष्ट्र वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त करने की मांग की और अनशन किया। विपक्ष ने भी पवार पर इन मुद्दों को लेकर निशाना साधा। इन सब चीजों की वजह से उनकी राजनैतिक साख भी गिरी।

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बहुत से संस्थाओं के संभाले पद

राजनीति के साथ-साथ शरद पवार का क्रिकेट में भी शौक है। सन 2005 से 2008 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष और सन 2010 से 2012 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कौंसिल के भी अध्यक्ष रहे। 2001 से 2010 तक वे मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष रह चुके हैं और जून 2015 में उन्हें दुबारा से मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया।

खेल-कूद प्रशासन

शरद पवार कबड्डी, खो-खो, कुश्ती, फूटबाल और क्रिकेट जैसे खेलों में दिलचस्पी रखते हैं और इनके प्रशासन से भी जुड़े रहे हैं। वे नीचे दिए गए सभी संगठनों के मुखिया रह चुके हैं।

मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन

महाराष्ट्र कुश्ती एसोसिएशन

महाराष्ट्र कबड्डी एसोसिएशन

महाराष्ट्र खो-खो एसोसिएशन

महाराष्ट्र ओलंपिक्स एसोसिएशन

भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् के उपाध्यक्ष

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् के अध्यक्ष

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विवादों में

उनका राजनितिक जीवन में समय-समय पर विभिन्न विवादों में नाम आया। उनपर भ्रष्टाचार, अपराधियों को बचाने, स्टाम्प पेपर घोटाले, जमीन आवंटन विवाद जैसे मामलों के शामिल होने का आरोप लगा।

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