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संसद के अंदर 52 साल बाद इस कैंटीन पर लगी रोक, सांसदों को यहां नहीं मिलेगा खाना

बता दें कि संसद की कैंटीन में उत्तर रेलवे साल 1968 से भोजनपरोसने का काम करता आ रहा था।  संसद कैंटीन के लिए नया वेंडर तलाशने की प्रक्रिया इसी साल जुलाई में शुरू की गई थी। उस समय लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इस मुद्दे पर पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल और आईटीडीसी के अधिकारियों के साथ बातचीत भी की थी।

Newstrack
Published on: 23 Oct 2020 8:54 AM GMT
संसद के अंदर 52 साल बाद इस कैंटीन पर लगी रोक, सांसदों को यहां नहीं मिलेगा खाना
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आईटीडीसी के अधिकारियों का कहना है कि स्पीकर ने विशेष तौर पर ऐसे खाने पर ध्यान देने का निर्देश दिया है, जो आम आदमी और विशिष्ट जनों में भेदभाव न करे।

नई दिल्ली: आज की बड़ी खबर राजधानी दिल्ली से आ रही है। जो कि सांसदों से जुड़ी हुई है। उत्तर रेलवे अब संसद की कैंटीन नहीं चलाएगा, क्योंकि अब 15 नवंबर को संसद परिसर की कैंटीन की जिम्मेदारी आईटीडीसी के हवाले कर दी जाएगी। इसी के साथ संसद सदस्यों और देश के इस सर्वोच्च प्रतिष्ठान के प्रांगण में आने वालों को भोजन परोसने की उसकी 52 साल पुरानी परम्परा का अंत हो जाएगा।

बता दें कि संसद की कैंटीन में उत्तर रेलवे साल 1968 से भोजनपरोसने का काम करता आ रहा था। बताया जा रहा है कि इस संबंध में उत्तर रेलवे को लोकसभा सचिवालय की तरफ से एक लेटर भी लिखा गया है।

जिसमें उत्तर रेलवे को 15 नवंबर तक अपना सामान पैक करके कैंटीन की जिम्मेदारी भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) को हैंडओवर करने को कहा गया है।

canteen कैंटीन की फोटो(सोशल मीडिया)

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आईटीडीसी के आधिकारियों ने कही ये बात

वहीं इस बारें में आईटीडीसी के अधिकारियों का कहना है कि स्पीकर ने विशेष तौर पर ऐसे खाने पर ध्यान देने का निर्देश दिया है, जो आम आदमी और विशिष्ट जनों में भेदभाव न करे। मालूम हो कि आईटीडीसी केंद्र सरकार का पर्यटन विंग है, जो लग्जरी फाइव स्टार अशोका होटल समूह का संचालन करता है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुतबिक लोकसभा सचिवालय के पत्र में उत्तर रेलवे को पार्लियामेंट हाउस एस्टेट से हटने के साथ ही लोकसभा सचिवालय की तरफ से दिए गए कंप्यूटर, प्रिंटर आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सीपीडब्ल्यूडी की तरफ से दिए गए फर्नीचर व अन्य उपकरणों को भी आईटीडीसी को सौंपने की बात कही गई है।

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लोकसभा स्पीकर ने लिया है ये निर्णय

प्राप्त जानकारी के अनुसार ये निर्णय लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने लिया है। आम तौर पर संसदीय परिसर में केटरिंग पर निर्णय भोजन प्रबंधन पर गठित संयुक्त समिति करती है, लेकिन 17वीं लोकसभा में अभी तक भोजन समिति गठित नहीं की जा सकी है। ऐसे में स्पीकर ने स्वविवेक से कैंटीन में बेहतरीन गुणवत्ता का खाना परोसे जाने और उस पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करने के बारे में फैसला खुद ही किया है।

बताया जा रहा है कि संसद कैंटीन के लिए नया वेंडर तलाशने की प्रक्रिया इसी साल जुलाई में शुरू की गई थी। उस समय लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इस मुद्दे पर पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल और आईटीडीसी के अधिकारियों के साथ बातचीत भी की थी।

Om Birla लोकसभा स्पीकर ओम बिडला की फोटो(सोशल मीडिया)

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