×

सेना की खूंखार कमान: कांप रहा इससे पाकिस्तान और चीन, करेगी दोनों का खात्मा

राजधानी लेह में भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने फायर एंड फ्यूरी कमान का दौरा किया था। ऐसे में लद्दाख सीमा यानी लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल(LOC) पर जारी तनाव के बीच भारतीय सेना प्रमुख का दौरा काफी महत्वपूर्ण था।

Newstrack
Published on: 25 Dec 2020 11:15 AM GMT
सेना की खूंखार कमान: कांप रहा इससे पाकिस्तान और चीन, करेगी दोनों का खात्मा
X
देश के इस कमान की स्‍थापना सन् 1962 में हुई थी। उस समय इसे नागालैंड स्थित हेडक्‍वार्टर से हटाकर तैयार किया गया था और उस समय इसे ईस्‍टर्न कमांड रिजर्व के तौर पर रखा गया था

नई दिल्ली: बीते दिनों लद्दाख की राजधानी लेह में भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने फायर एंड फ्यूरी कमान का दौरा किया था। ऐसे में लद्दाख सीमा यानी लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल(LOC) पर जारी तनाव के बीच भारतीय सेना प्रमुख का दौरा काफी महत्वपूर्ण था। वे पैंगोंग त्‍सो के दक्षिणी हिस्‍से में रेकिन ला पास दर्रे के फॉरवर्ड एरिया में भी गए, जिस पर इस समय भारतीय सेना का कब्‍जा है। साथ ही सेना प्रमुख ने यहां पर फायर एंड फ्यूरी कमान के साथ तैनात सैनिकों के साथ काफी वार्ता भी की।

ये भी पढ़ें... सेना पर बम धमाका: CRPF पार्टी पर हुआ ग्रेनेड हमला, खून से लथपत हुए जवान

भारतीय सेना की इकलौती ऐसी कमान

ऐसे में भारतीय सेना प्रमुख उद्देश्य चीन के साथ जारी तनाव के बीच कमान की तैयारियों को परखना और सैनिकों का मनोबल बढ़ाना था। बता दें, फायर एंड फ्यूरी कोर, भारतीय सेना की इकलौती ऐसी कमान है जिस पर चीन और पाकिस्‍तान से सटे बॉर्डर की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी है।

भारतीय सेना की 14 कोर को फायर एंड फ्यूरी कोर का नाम मिला है। सेना के जवान इस वर्ष मई से ही इस कमान पर लगातार अलर्ट मोड पर हैं। जो यहां से चीन की पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (PLA) की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। बता दें, 14 कोर नॉर्दन कमांड के तहत आती है जिसका हेडक्‍वार्टर उधमपुर में है।

indian jawans फोटो-सोशल मीडिया

ये भी पढ़ें...पाकिस्तान की साजिश फेल: ड्रोन से भारत में गिराए ग्रेनेड, सेना ने दिया मुहतोड़ जवाब

ईस्‍टर्न कमांड रिजर्व के तौर पर

देश के इस कमान की स्‍थापना सन् 1962 में हुई थी। उस समय इसे नागालैंड स्थित हेडक्‍वार्टर से हटाकर तैयार किया गया था और उस समय इसे ईस्‍टर्न कमांड रिजर्व के तौर पर रखा गया था। लगभग 30 साल तक ईस्‍टर्न कमांड में रहने के बाद इस कमान को सन् 1999 में कारगिल की जंग के बाद लद्दाख लाया गया।

और फिर इसके बाद से ही ये लेह में है। उस समय शुरुआत में इस कमांड को काउंटर अपातकालीन का खात्‍मा करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। जिसके चलते कारगिल की जंग के समय इस कमान ने एक अहम रोल अदा किया था।

ये भी पढ़ें...7 ताकतवर यूनिफॉर्म्स: गोलियां बम सब बेकार इसके आगे, सिर्फ सेना पहनती है इसे

Newstrack

Newstrack

Next Story