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दर्दनाक हादसा, 12 साल की बच्ची 100 किमी पैदल चली, पर घर न पहुंची
तेलंगाना के पेरूर गांव से अपने गांव आदेड़ (छत्तीसगढ़) जाने के लिए एक 12 साल की बच्ची पैदल ही चल पड़ी। लेकिन तबियत खराब होने से रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया है। लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर सुविधाएं लगभग ठप पड़ी हैं। ऐसे में रोजगार के लिए महानगरों का रुख करने वाले मजदूर किसी तरह अपने राज्य और अपने घर लौटना चाहते हैं। इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि लॉकडाउन की वजह से उनके पास रोजी रोटी का कोई सहारा नहीं रहा है। मजदूर किसी भी हाल में अपने घर वापस लौटना चाहते हैं ताकि उन्हें कम से कम खाना मिलने में कोई परेशानी न हो।
अपने गांव वापस जाने के लिए पैदल चल पड़ी बच्ची
इसी तरह का एक मामला तेलंगाना से आया है। जहां पेरूर गांव से अपने गांव आदेड़ (छत्तीसगढ़) जाने के लिए एक 12 साल की बच्ची पैदल ही चल पड़ी। लेकिन रास्ते में उसकी तबीयत खराब होने लगी, इसके बावजूद वो तीन दिनों तक करीब 100 किलोमीटर तक पैदल चली। लेकिन वो अपने घर तक नहीं पहुंच पाई।
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रास्ते में ही बच्ची ने तोड़ा दम
वो अपने घर पहुंचने से केवल 14 किलोमीटर ही दूर थी, लेकिन तबीयत बिगड़ने के चलते उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। उसके साथ गांव के 11 और भी लोग थे। वे सभी जंगल के रास्ते से होकर जा रहे थे, इसलिए उस लड़की को कोई भी इलाज नहीं मिल सका। बच्ची के साथ निकले लोगों ने बताया कि बच्ची के पेट में काफी दर्द हो रहा था।
रोजगार की तलाश में 2 महीने पहले आई थी तेलंगाना
बीजापुर के आदेड़ गांव की रहने वाली जमलो मड़कल करीब 2 महीने पहले रोजगार के लिए तेलंगाना के पेरूर गांव गई थी। वहां पर वो मिर्ची तोड़ने का काम करती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी काम ठप हो गए।
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16 अप्रैल को तेलंगाना से शुरु किया था सफर
कुछ दिन तक बच्ची खाने-पीने का इंतजाम करती रही, लेकिन लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के चलते खाने-पीने की व्यवस्था करने में परेशानी उत्पन्न हो गई। फिर उस बच्ची ने और गांव के ही 11 अन्य लोगों ने 16 अप्रैल को तेलंगाना से बीजापुर वापसी करने के लिए पैदल ही चल पड़े। 18 अप्रैल को मोदकपाल इलाके के भंडारपाल गांव के पास 12 साल की जमलो ने दम तोड़ दिया।
अन्य मजदूरों को किया गया क्वारनटीन
बच्ची की मौत की सूचना मिलते ही प्रशासन की टीम वहां पहुंची। फिर अन्य मजदूरों को क्वारनटीन किया गया। बता दें कि 12 साल की जमलो अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसके पिता आंदोराम ने कहा कि वो तो अपनी बेटी के लौटने का इंतजार कर रहे थे।
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