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गंगा के लिए वरदान बना लॉकडाउन, पानी हो गया काफी निर्मल
लॉकडाउन के कारण घरों में कैद लोगों को भले ही कुछ दिक्कतें हो रही हों लेकिन यह भी सच्चाई है कि इसके कई सकारात्मक नतीजे भी निकले हैं।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। लॉकडाउन के कारण घरों में कैद लोगों को भले ही कुछ दिक्कतें हो रही हों लेकिन यह भी सच्चाई है कि इसके कई सकारात्मक नतीजे भी निकले हैं। शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया है, कानों को फोड़ने वाली आवाजों का शोर बिल्कुल थम गया है, लोगों को परिजनों के साथ लंबा वक्त बिताने का मौका मिला है, पूरे देश ने दुनिया को अपनी एकजुटता दिखाई है और सबसे बड़ी बात लॉकडाउन ने वह कर दिखाया है जो देश और राज्यों की कई सरकारें और अदालतें भी नहीं कर पाईं। जी हां, लॉकडाउन का मां गंगा के पानी में बहुत सकारात्मक नतीजा दिखा है। जानकारों का कहना है कि मां गंगा के पानी में 40 से 50 फ़ीसदी का सुधार हुआ है।
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नहीं हो रही औद्योगिक कचरे की डंपिंग
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन के कारण गंगा के पानी में प्रदूषण लगातार कम हो रहा है और गंगाजल फिर से निर्मल होने लगा है। ज्यादातर मॉनिटरिंग सेंटरों में गंगा का पानी नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसके साथ ही लॉकडाउन की वजह से नदी में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में भी कमी आई है।
गंगा की सेहत में 50 फ़ीसदी सुधार
लॉकडाउन के कारण देश के लगभग सभी कल कारखाने पूरी तरीके से बंद पड़े हैं। इस कारण इन कारखानों से निकलने वाला कचरा गंगा में नहीं गिर रहा है। सीपीसीबी की ताजा रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि कोरोना वायरस के कारण औद्योगिक इकाइयों में कामकाज बंद होने से गंगा की सेहत में काफी सुधार दर्ज किया गया है। जानकारों का कहना है कि गंगा की सेहत में 40 से 50 फीसदी का सुधार हुआ है।
मॉनिटरिंग सेंटरों की जांच में पुष्टि
रियल टाइम वाटर मॉनिटरिंग में गंगा का पानी 36 मॉनिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए पूरी तरह उपयुक्त पाया गया है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत विभिन्न जगहों पर गंगा के पानी में काफी सुधार दिखा है। मॉनिटरिंग सेंटरों ने अपनी जांच में पाया है कि गंगा के पानी में ऑक्सीजन घोलने की मात्रा प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजई प्रति लीटर हो गई है। इसके साथ ही पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है और इससे गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत का पता चलता है।
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पहले नहाने लायक भी नहीं था पानी
सीपीसीबी के रियल टाइम वाटर मॉनिटरिंग डाटा इस बात की भी तस्दीक करते हैं कि उसकी 36 मॉनिटरिंग यूनिटों में से 27 के आसपास पानी की गुणवत्ता वन्यजीवों और मछलियों के लिए भी पूरी तरह उपयुक्त पाई गई है। इससे पहले जब गंगा नदी के पानी की मॉनिटरिंग की गई थी तब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल की खाड़ी में जाने तक के पूरे रास्ते में नदी का पानी नहाने के लिए भी ठीक नहीं मिला था।
कचरा ना गिरने से पानी हुआ निर्मल
पर्यावरणविद विक्रांत टोंकद का कहना है कि लॉकडाउन के कारण तमाम फैक्ट्रियों और कारखानों के बंद होने के कारण गंगा नदी में अब कचरा नहीं गिर रहा है। पहले हम तमाम कोशिशों के बावजूद गंगा नदी में कचरे का गिरना नहीं रोक पाए थे। इस कारण गंगा के पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। उनका कहना है कि कानपुर के आसपास गंगा का पानी अब बेहद साफ हो गया है।
यमुना का पानी भी पहले से साफ
उनका यह भी कहना है कि यमुना का पानी भी पहले से काफी साफ हुआ है। टोंकद का कहना है कि हालांकि अभी भी घरेलू सीवरेज की गंदगी नदी में ही जा रही है। फिर भी औद्योगिक कचरा गिरना एकदम बंद हो जाने के कारण पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। उनका कहना है कि लऑकडाउन के कारण आने वाले दिनों में गंगा के जल में और सुधार की पूरी उम्मीद है।
गंगा के पानी में और दिखेगा बदलाव
बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर डॉ पी के मिश्रा का कहना है कि गंगा में अधिकतर प्रदूषण फैक्ट्रियों और कारखानों की वजह से होता है। देश में जारी लॉकडाउन के कारण सबकुछ बंद पड़ा है और यही कारण है कि गंगा के पानी में भी महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। डॉक्टर मिश्रा का कहना है कि अगर हम लॉकडाउन के पहले और बाद के हालात पर नजर डालें तो गंगा के पानी में बदलाव साफ तौर पर देखा जा सकता है।
इस कारण गुणवत्ता में आया सुधार
पर्यावरणविद भीम सिंह रावत का कहना है कि ऑर्गेनिक प्रदूषण अभी भी नदी के पानी में घुलकर खत्म हो जाता है, लेकिन औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला रासायनिक कचरा घातक किस्म का प्रदूषण है जो नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता को ही खत्म कर देता है। रावत का कहना है कि लॉकडाउन के कारण नदी की खुद को साफ रखने की क्षमता में सुधार के कारण ही गंगा के जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
शहरों की हवा भी हो गई काफी साफ
लॉकडाउन का एक असर यह भी पड़ा है कि देश भर के तमाम शहरों और कस्बों में हवा भी काफी साफ हो गई है। शहरों के प्रदूषण से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक 21 मार्च यानी जनता कर्फ्यू से एक दिन पहले देश के 54 शहरों में वायु की गुणवत्ता अच्छी और संतोषजनक थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण 29 मार्च को देश के 91 शहरों में वायु प्रदूषण न्यूनतम हो गया। लॉकडाउन के कारण ही अत्यधिक प्रदूषित शहर भी 9 से शून्य के मानक पर आ गए।
प्रदूषण खत्म होने का प्रमुख कारण
पावर प्लांट्स, ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री, निर्माण संबंधी गतिविधियां, बायोमास का जलना, फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा और सड़कों पर उड़ने वाली धूल को शहरों में प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारक माना जाता है। मौजूदा समय में ये सारी गतिविधियां बंद होने के कारण शहरों की आबोहवा में काफी सुधार दर्ज किया गया है।
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