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बंगाल, MP और पंजाब में बढ़ा लाॅकडाउन, जानिए क्या-क्या मिलेगी छूट
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने लॉकडाउन को दो सप्ताह लिए बढ़ाकर 15 जून तक कर दिया है। हालांकि सरकार ने शर्तों के साथ कुछ रियायतें दी हैं। राज्य सरकार ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने लॉकडाउन को दो सप्ताह लिए बढ़ाकर 15 जून तक कर दिया है। हालांकि सरकार ने शर्तों के साथ कुछ रियायतें दी हैं। राज्य सरकार ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी। इससे पहले गृह मंत्रालय लाॅकडाउन 5 की जगह अनलाॅक 1 का एलान किया।
शर्तों के साथ कोरोना प्रभावित क्षेत्रों के बाहर के क्षेत्रों में होटल, रेस्तरां और शॉपिंग मॉल को आठ जून से संचालित करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा मध्यप्रदेश सरकार ने लॉकडाउन 15 जून तक जारी रखने का फैसला लिया है। तो वहीं पंजाब में भी यह 30 जून तक जारी रहेगा। लेकिन सभी राज्य केंद्र की नई गाइडलाइन के मुताबिक प्रतिबंधों में छूट देंगे।
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केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश
नए दिशानिर्देशों में बताया गया है कि रात में कर्फ्यू जारा रहेगा जो जरूरी चीजें हैं, उनके लिए कोई कर्फ्यू नहीं रहेगा। रात को 9 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू रहेगा। अभी यह शाम 7 से सुबह 7 बजे तक था। स्कूल-कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान खोले जाने पर फैसला सरकार बाद में लेगी।
पहला चरण में 8 जून से धार्मिक स्थल, होटल, रेस्टोरेंट, शॉपिंग मॉल खोले जा सकते हैं, लेकिन ये सभी शर्तों के साथ ही खुलेंगे।
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तो वहीं दूसरे चरण में स्कूल कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान खोले जा सकते हैं। राज्य सरकारें स्कूलों और बच्चों के माता-पिता से बात कर के स्कूल-कॉलेज खोलने पर फैसला ले सकते हैं। अभी जुलाई महीने से स्कूलों को खोलने की कोशिश की जाएगी, जिस पर राज्य अपने विवेक पर फैसला ले सकते हैं। जुलाई में ये तय होगा कि स्कूल खोलने हैं या नहीं।
तीसरे चरण में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें, मेट्रो रेल, सिनेमा हॉल, जिम, स्वीमिंग पूल, एंटरटेनमेंट पार्क, थिएटर, बार और ऑडिटोरियम, असेंबली हॉल जैसी जगहें आदि को खोलने पर विचार किया जाएगा।
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कहीं भी जाने की मिली इजाजत
एक से दूसरे राज्य में जाने का प्रतिबंध पूरी तरह से हटा दिया गया है। राज्य में भी एक जिले से दूसरे जिले में जा सकते हैं, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। कहीं आने जाने से पहले किसी की कोई इजाजत लेने की जरूरत नहीं होगी।
अब केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकारों को अधिक ताकत दी गई है। राज्य सरकारें ही तय करेंगी कि कैसे राज्यों में बसें और मेट्रो सेवाएं शुरू होंगी। केंद्र सरकार ने तो प्रतिबंध हटा लिया है, लेकिन राज्य सरकार अपने स्तर पर पाबंदियां लगा सकती हैं।