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सूरज हुआ लॉकडाउन: पृथ्वी पर जमने वाली है बर्फ, मिल रहे डराने वाले ऐसे संकेत

 पूरी दुनिया के साथ-साथ अब गैलेक्सी में मौजूद सूरज पर भी लॉकडाउन लग गया है। यानि धरती को ऊर्जा प्रदान करने वाला सूरज का तापमान आजकल कम होता जा रहा है।

Shreya
Published on: 18 May 2020 8:40 AM GMT
सूरज हुआ लॉकडाउन: पृथ्वी पर जमने वाली है बर्फ, मिल रहे डराने वाले ऐसे संकेत
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नई दिल्ली: पूरी दुनिया के साथ-साथ अब गैलेक्सी में मौजूद सूरज पर भी लॉकडाउन लग गया है। यानि धरती को ऊर्जा प्रदान करने वाला सूरज का तापमान आजकल कम होता जा रहा है। इसकी सतह पर धब्बे खत्म हो रहे हैं या यूं कह सकते हैं कि स्पॉट बन ही नहीं रहे। इसको लेकर वैज्ञानिक काफी परेशान हैं। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि यह किसी बड़े सौर तूफान के आने से पहले वाली शांति हो सकती है।

कई देशों में जम सकती है बर्फ

दरअसल, अगर सूरज का तापमान कम हो जाएगा तो कई देशो बर्फ में जम सकते है। केवल इतनी ही नहीं कई देशों में तो भूकंप या फिर सुनामी भी आ सकती है। इसके अलावा यूं बेवजह मौसम के बदलने से किसानों की फसलें भी खराब हो सकती हैं।

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सूरज पर सोलर मिनिमम की प्रक्रिया

वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूरज पर सोलर मिनिमम (Solar minimum) की प्रक्रिया चल रही है। सीधेतौर पर कहें तो सूरज आराम कर रहा है। कुछ एक्सपर्ट तो इसे सूरज का रिसेशन और लॉकडाउन का नाम भी दे रहे हैं। सूरज की सतह पर सन स्पॉट यानि धब्बों का कम होना सही नहीं माना जाता है।

इससे पहले 17वीं और 18वीं सदी में पड़ा था सुस्त

डेली मेल की वेबसाइट की खबर के मुताबिक, 17वीं और 18वीं सदी में भी सूरज इसी तरह ढीला पड़ गया था। इसका असर ये हुआ था कि पूरे यूरोप में छोटा सा हिमयुग का दौर आ गया था। सूरज के सुस्त होने की वजह से थेम्स नदी पूरी तरह से बर्फ में तब्दील हो गई थी। फसलें खराब होने के साथ-साथ आसमान से बिजलियां गिरने की घटना बढ़ गई थीं।



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परेशान होने की जरूरत नहीं- नासा

वहीं रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी का कहना है कि सूरज हर 11 साल में ऐसे ही सुस्त हो जाता है। अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी यहीं कहना है कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया (Natural process) है। इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। नासा की तरफ से कहा गया है कि किसी भी तरह का हिमयुग नहीं आएगा।

उधर, , एस्ट्रोनॉमर डॉ. टोनी फिलिप्स ने कहा है कि सूरज पर सोलर मिनिमम शुरू हुआ है, जो कि काफी गहरा है। सूरज की सतह पर धब्बे बनना बंद हो गए हैं। सूरजका मैग्नेटिक फील्ड कमजोर हो गया है। जिसके चलते सोलर सिस्टम में अतिरिक्त कॉस्मिक किरणें प्रवेश कर रही हैं।

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कहीं डैल्टन मिनिमम की स्थिति वापस ना आए

हालांकि नासा के साइंटिस्ट को डर है कि कहीं सोलर मिनिमम की वजह से 1790 से 1830 के बीच उत्पन्न हुए डैल्टन मिनिमम की स्थिति वापस ना लौट आए। बता दें कि इस वजह से अत्यधिक ठंड, सूखा, फसल खराब होना, और ज्वालामुखी फटने की घटनाओं के बढ़ने की संभावना है।

2020 में नहीं दिखाई दिए एक भी सनस्पॉट

बता दें कि साल 2020 में अब तक सूरज की सतह पर किसी तरह का सनस्पॉट नजर नहीं आया है, जो कि इस समय का 76 फीसदी है। वहीं यह साल 2019 में 77 फीसदी थी। वहीं नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप से मिले आकंड़ों का अध्ययन कर मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इस बात का खुलासा किया है कि गैलेक्सी में सूरज जैसे मौजूद अन्य तारों की तुलना में अपने सूरज की चमक कम हो रही है।

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अभी तक वैज्ञानिक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि इस तरह की घटना कहीं किसी बड़े सौर तूफान के आने से पहले वाली शांति तो नहीं है। सूरज की चमक में पिछले 9 हजार सालों में 5 गुना कमी आई है।

कब बनतेे हैं सूरज पर सोलर स्पॉट?

1610 के बाद से लगातार सूरज की सतह पर बनने वाले सन स्पॉट में कमी आई है। पिछले साल भी करीब 264 दिनों तक सूरज पर एक भी धब्बे नहीं बने थे। बता दें कि सूरज पर सोलर स्पॉट तब बनते हैं, जब सूर्य के केंद्र से गर्मी की तेज लहर ऊपर उठती है। इससे एक बड़ा विस्फोट होता है। इससे अंतरिक्ष में सौर तूफान उठता है।

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