×

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, MP में कल शाम 5 बजे होगा फ्लोर टेस्ट

मध्य प्रदेश का सियासी बवाल अभी तक थमता दिखाई दे रहा है। बहुमत परीक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि कल मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र फिर से बुलाया जाए।

Dharmendra kumar
Published on: 19 March 2020 4:37 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, MP में कल शाम 5 बजे होगा फ्लोर टेस्ट
X

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश का सियासी बवाल अभी तक थमता दिखाई दे रहा है। बहुमत परीक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि कल मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र फिर से बुलाया जाए। अदालत ने कहा कि कमलनाथ सरकार कल शाम 5 बजे बहुमत हासिल करे। सुप्रीम कोर्ट ने सदन की कार्यवाही का वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बागी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 16 विधायकों पर विधानसभा में आने का कोई दबाव नहीं होगा। अदालत ने कहा कि कर्नाटक और मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक बागी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीटर पर लिखा, सत्यमेव जयते। इसके बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि सत्य की जीत हुई है।

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार को जनता की आहें लग गई हैं। बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी और जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी।

यह भी पढ़ें...निर्भया के दोषिय़ों की फांसी तय, कल सुबह होगा इंसाफ

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे विधायक साथियों ने थोड़ा विश्राम किया है। अब बड़ी जिम्मेदारी आने वाली है। जनता की आह इस सरकार को ले डूबी। राज्यपाल का अभिभाषण था तब वे कैसे चिल्ला रहे थे। हमारे विधायक एकजुट हैं, किला मजबूत है। उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुमत है, संख्याबल स्पष्ट है। नई सरकार का रास्ता साफ हो जाएगा। बेंगलुरु के विधायक आएंगे या नहीं ये उनको तय करना है।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फ्लोर टेस्ट में ये सरकार पराजित होगी. नई सरकार बनने का रास्ता साफ होगा। हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का शीष झुकाकर अभिनंदन करते हैं। कल दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दलालों का अड्डा बनाने वाली, शराब माफियों द्वारा संचालित ये सरकार है। परिवहन माफिया, रेत माफिया सब सक्रिय थे। मजाक बना दिया था इन लोगों ने, रोज नियुक्तियां हो रही हैं। आज ऐसे अन्याय की पराजय हुई है। हमारा अटल विश्वास है कि करोड़ों जनता की दुआएं और आशीर्वाद हमारे साथ है।

तो वहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर हमारे पास बहुमत होगा, तो हम जरूर पास होंगे। इसके लिए कोशिश की जाएगी।

यह भी पढ़ें...अटकलों पर PMO ने दी सफाई, लॉकडाउन का एलान नहीं करेंगे पीएम मोदी

सुप्रीम कोर्ट के कल फ्लोर टेस्ट के आदेश पर प्रदेश के के मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि हम हमेशा से तैयार थे, मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं। अपहृत विधायकों का मौजूद रहना भी जरूरी है। विधानसभा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा। हमें विश्वास है और हम तैयार हैं।

मध्य प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट के फैसले पर बीजेपी के नेता गोपाल भार्गव ने कहा कि मैं इस निर्णय का स्वागत करता हूं। कल फ्लोर टेस्ट में सबकुछ साफ हो जाएगा।

मध्य प्रदेश की विधानसभा स्पीकर की ओर से कोर्ट में पेश वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह स्पीकर का अधिकार है कि वह चुने कि किसे इस्तीफा स्वीकार किया जाना है और किसका नहीं। स्पीकर के फैसले में कोई दखल नहीं दे सकता है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह विधानसभा द्वारा यह तय करने के बीच में दखल नहीं देगी कि किसके पास विश्वासमत है। कोर्ट ने कहा कि उसे यह सुनिश्चित करना है कि बागी विधायक स्वतंत्र रूप से अपने अधिकार का इस्तेमाल करें।

यह भी पढ़ें...कोरोना की तीन नहीं छह स्टेज, ये दो हफ्ते रहें सावधान और सतर्क

वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना जरूरी है। अब इससे बचने के लिए नया तरीका निकाला जा रहा है। 15 लोगों के बाहर रहने से हाउस का दायरा सीमित हो जाएगा। वकील ने कहा कि यह संवैधानिक पाप के आसपास होने का तीसरा तरीका है। ये मेरे नहीं अदालत के शब्द हैं और सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार के लिए दो हफ्ते का वक्त देना चाहिए।

इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम कोई रास्ता निकालना चाहते हैं। ये सिर्फ एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि ये राष्ट्रीय समस्या है। आप यह नहीं कह सकते कि मैं अपना कर्तव्य तय करूंगा और दोष लगाऊंगा। हम उनकी स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए परिस्थितियों बना सकते हैं कि इस्तीफे वास्तव स्वैच्छिक है। हम एक पर्यवेक्षक को बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर नियुक्त कर सकते हैं। वे आपके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जुड़ सकते हैं और फिर आप निर्णय ले सकते हैं।

इसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने कर्नाटक का आदेश पढ़ा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक के आदेश स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देता कि वो कब तक अयोग्यता पर फैसला लें, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि फ्लोर टेस्ट न हो। कर्नाटक के मामले में अगले दिन फ्लोर टेस्ट हुआ था और कोर्ट में विधायकों की अयोग्यता के मामले को लंबित होने की वजह से फ्लोर टेस्ट नहीं टाला था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत जो उभरता है, उसमें अविश्वास मत पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि स्पीकर के समक्ष इस्तीफे या अयोग्यता का मुद्दा लंबित है। इसलिए हमें यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल उसके साथ निहित शक्तियों से परे काम करें या नहीं। एक अन्य सवाल है कि अगर स्पीकर राज्यपाल की सलाह को स्वीकार नहीं करता है तो राज्यपाल को क्या करना चाहिए। एक विकल्प है कि राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को दें।

यह भी पढ़ें...कोरोना से डर कर यहां मरीज ने की सुसाइड:अस्पताल की 7वीं मंजिल से लगाई छलांग

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एक बात बहुत स्पष्ट है कि विधायक सभी एक साथ कार्य कर रहे हैं। यह एक सियासी ब्लॉक हो सकता है। हम कोई भी अर्थ नहीं निकाल सकते, तो वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि संसद या विधानसभा के सदस्यों को विचार की कोई स्वतंत्रता नहीं है। वे व्हिप से संचालित होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियम के मुताबिक इस्तीफा एक लाइन का होना चाहिए।

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर सदन सत्र में नहीं है और यदि सरकार बहुमत खो देती है तो राज्यपाल को विश्वास मत रखने के लिए स्पीकर को निर्देश देने की शक्ति है। क्या होगा जब विधानसभा को पूर्व निर्धारित किया जाता है और सरकार अपना बहुमत खो देती है? राज्यपाल फिर विधानसभा नहीं बुला सकते? चूंकि इसे अनुमति नहीं देना का मतलब अल्पमत में सरकार जारी रखना होगा।

'राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट कराने की शक्ति नहीं'

वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 14 मार्च की राज्यपाल की चिट्ठी की भाषा पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा ति राज्यपाल ने लिखा है कि 22 विधायकों ने इस्तीफा भेजा है, मैंने भी मीडिया में देखा, मुझे भी चिट्ठी मिली, सरकार बहुमत खो चुकी है। राज्यपाल ने खुद ही तय कर लिया?

इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार अल्पमत में है तो क्या राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट कराने की शक्ति है? इस पर सिंघवी ने कहा कि नहीं, वह नहीं करा सकते। उनकी शक्ति सदन बुलाने के बारे में है।

यह भी पढ़ें...कोरोना वायरस: देश में तेजी से बढ़ रहा मरीजों का आंकड़ा, संख्या हुई 169

क्या राज्यपाल एजेंडा तय कर सकते हैं?

मध्य प्रदेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी से सवाल किया कि जब सेशन चल रहा हो, तब क्या राज्यपाल एजेंडा तय कर सकते हैं? इस पर रोहतगी ने कहा कि अदालत में जितने मामलों का उदाहरण दिया गया सबमें सुप्रीम कोर्ट ने हाउस का एजेंडा तय किया था। आधी रात को सुनवाई कर के भी किया था।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि पहले विधायकों ने कहा था स्पीकर से मिलेंगे, लेकिन वे नहीं मिले। इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि अब वे नहीं मिलना चाहते हैं। विधायक कह चुके हैं कि इस्तीफा स्वीकार हो, नहीं तो हमें अयोग्य करार दें। हम हाउस में नहीं जाएंगे। मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर ने 22 में से 6 इस्तीफे स्वीकार किए, सीएम ने भी फ्लोर टेस्ट की बात की, राज्यपाल ने भी स्थिति के आधार पर फैसला लिया। इसमें क्या विवाद है?

आगे उन्होंने कहा कि जब इन पर बन आई थी तो आधी रात को फ्लोर टेस्ट का आदेश मांग रहे थे। आज 2 हफ्ते का समय मांग रहे हैं। इस्तीफे पर फैसले का फ्लोर टेस्ट से कोई लेना-देना नहीं है यह लोग चाहते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव आए। 2-3 हफ्ता बहस चले।

फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दे सकते राज्यपाल: सिब्बल

सीएम कमलनाथ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल के पास ये मत देने के लिए कोई आधार नहीं है कि सरकार बहुमत खो चुकी है। उन्होंने कहा कि अगर सदन स्थगित अवस्था में हो तो राज्यपाल विशेष सत्र बुला सकते हैं लेकिन जब सत्र चल रहा है तो वे फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दे सकते हैं।

यह भी पढ़ें...कोरोना का कहर: मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 75 करोड़ लोगों को मिलेगा फायदा

इससे पहले बुधवार को कोर्ट ने मध्य प्रदेश कांग्रेस के बागी विधायकों से जजों के चैंबर में मुलाकात करने की पेशकश को ठुकराते हुये कहा कि विधानसभा जाना या नहीं जाना उन पर (विधायकों) निर्भर है, लेकिन उन्हें बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता।

कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफे की वजह से मध्य प्रदेश में उत्पन्न राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है, जिससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुएजस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने यह टिप्पणी की।

बेंच ने इन विधायकों का चैंबर में मुलाकात करने की पेशकश यह कहते हुये ठुकरा दी कि ऐसा करना उचित नहीं होगा। यही नहीं, बेंच ने रजिस्ट्रार जनरल को भी इन बागी विधायकों से मुलाकात के लिए भेजने से इंकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के नौ विधायकों के अलावा मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक दल की याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार सुबह साढ़े दस बजे तक के लिये स्थगित कर दी।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story