शिवराज कैबिनेट का विस्तार: सिंधिया हुए ताकतवर, इन नेताओं को मिला मंत्री पद

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल रविवार को भोपाल पहुंची और मंत्रियों को शपथ दिलाई। माना जा रहा है कि गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट को पूर्व के विभागों की ही जिम्मेदारी दी जा सकती है

Dharmendra kumar
Published on: 3 Jan 2021 1:29 PM GMT
शिवराज कैबिनेट का विस्तार: सिंधिया हुए ताकतवर, इन नेताओं को मिला मंत्री पद
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मध्य प्रदेश में फिलहाल 38 जिला को-ऑपरेटिव बैंक हैं। इनमें से 34 में अध्यक्ष पद पर सांसद-विधायकों को बिठाया जा सकता है। संशोधन अध्यादेश लागू होने के बाद इसका रास्ता साफ हो गया है।

भोपाल: मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट का रविवार को तीसरा विस्तार हो गया है। शपथ ग्रहण समारोह राजभवन में सादगी से संपन्न हुआ। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट को मंत्री की शपथ दिलाई। दोनों नेता राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक हैं।

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल रविवार को भोपाल पहुंची और मंत्रियों को शपथ दिलाई। माना जा रहा है कि गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट को पूर्व के विभागों की ही जिम्मेदारी दी जा सकती है। गोविंद सिंह राजपूत राजस्व और परिवहन और तुलसी सिलावट जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी मिल सकती है, क्योंकि पहले यही विभाग इन दोनों नेताओं के पास था।

सिंधिया समर्थक हैं दोनों नेता

कैबिनेट विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात की थी। इसके साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से भी चर्चा की थी।

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MP Cabinet

गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट दोनों नेता सिंधिया के समर्थक हैं। इन दोनों नेताओं ने उपचुनाव से पहले मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था, क्योंकि वे विधानसभा के निर्वाचित सदस्य नहीं थे और दोनों को मंत्री पर पर रहते 6 महीने का समय पूरा हो चुका था।

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उपचुनाव नतीजों के डेढ़ महीने बाद हुआ विस्तार

उपचुनाव में सिलावट और राजपूत ने अपनी-अपनी सीटों से विजय प्राप्त की है। पहले से ही दोनों नेताओं को शिवराज कैबिनेट में शामिल किए जाने की उम्मीद लगाई जा रही थी। मध्य प्रदेश में उपचुनाव के बाद से ही शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कयास लगाए जा रहे थे।

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बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए नेताओं में से करीब एक दर्जन नेताओं को मंत्री पद दिया गया था। इनमें से दो मंत्री तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने छह महीने का कार्यकाल पूरा हो गया था जिसके कारण उपचुनाव से पहले त्याग पत्र दे दिया था। तो वहीं इसके अलावा तीन मंत्री चुनाव हार गए थे। इनमें महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं इमरती देवी, कृषि राज्यमंत्री रहे गिर्राज डंडोतिया और एंदल सिंह कंसाना को इस्तीफा देना पड़ा था।

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