TRENDING TAGS :
जब इसी फॉर्मूले पर लड़ रही थीं BJP-शिवसेना, कांग्रेस ने ऐसे बना ली थी सरकार
महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना में विवाद चरम पर पहुंच गया है। शिवसेना और बीजेपी के नेताओं ने बड़े बयान दिए हैं। शिवसेना ने प्रदेश में सरकार गठन के लिए बीजेपी के सामने 50-50 के फॉर्मूले रखा है।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना में विवाद चरम पर पहुंच गया है। शिवसेना और बीजेपी के नेताओं ने बड़े बयान दिए हैं। शिवसेना ने प्रदेश में सरकार गठन के लिए बीजेपी के सामने 50-50 के फॉर्मूले रखा है।
मंगलवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने बीजेपी पर तीखा तंज कसते हुए कहा था कि यहां कोई दुष्यंत नहीं है, जिसके पिता जेल में हैं। हमारे पास भी विकल्प है।
यह भी पढ़ें...BJP की मुठ्ठी में शिवसेना के 45 विधायक, अब क्या करेंगे उद्धव ?
बीजेपी ने शिवसेना को जवाब देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री पद साझा नहीं किया जाएगा। देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि शिवसेना की मांगों पर मेरिट के आधार पर विचार हो रहा है, हमारे पास कोई प्लान बी या सी नहीं है, ये बात पक्की है कि मैं ही मुख्यमंत्री बनूंगा।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र की सरकार में 50-50 का फॉर्मूला 1999 में उछला था। ये फॉर्मूला बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे ने दिया था, हालांकि उस समय शिवसेना राजी नहीं हुई थी और तब गठबंधन ने सरकार नहीं बना पाई थी। तो वहीं अब समय बदला है तो 50-50 की यह शर्त शिवसेना ने रखा है। वर्तमान समय में इस फॉर्मूले पर बीजेपी सहमत होती नहीं दिख रही है।
यह भी पढ़ें...CM पद पर BJP-शिवसेना में जंग, अब देवेंद्र फडणवीस ने दिया ये बड़ा बयान
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पास बहुमत है। बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की है, तो शिवसेना ने 56 सीटें हासिल की है। एनसीपी 54, कांग्रेस 44 और अन्य ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की है। लेकिन बहुमत के बाद भी मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना में पेंच फंसा है।
विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को 50-50 फॉर्मूले की बात को उठाया था। याद दिलाई है। उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव में अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस के साथ जो तय हुआ था, उससे न कम और न ज्यादा चाहिए। इसका मतलब है कि ढाई साल मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के पास और ढाई साल बीजेपी के पास रहे।
यह भी पढ़ें...पाक की खतरनाक साजिश, आतंकियों के निशाने पर PM मोदी, कोहली समेत ये बड़े नेता
बता दें कि 1999 में भी दोनों पार्टियों के बीच ऐसी ही स्थिति बनी थी और उस समय एनसीपी और कांग्रेस ने मौके का फायदा उठाते हुए सरकार बना लिया था।
1999 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कोई भी पार्टी बहुमत नहीं हासिल नहीं कर पाई थी। महाराष्ट्र की 288 सीटों में से कांग्रेस 75, एनसीपी 58, शिवसेना 69, बीजेपी 56, निर्दलीय 12 और अन्य ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी।
यह भी पढ़ें...कश्मीर दौरे पर विदेशी सांसद, राहुल, ओवैसी समेत विपक्ष का केंद्र पर हमला
उस समय बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे ने 1999 में शिवसेना के सामने 50-50 का फॉर्मूला रख दिया था और उस समय शिवसेना ने इस फॉर्मूले को स्वीकार नहीं किया। इसकी वजह बीजेपी-शिवसेना सरकार नहीं बना पाईं और कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर सत्ता हासिल कर ली और कांग्रेस नेता विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बन गए थे।