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मैथेमैटिक्स गुरू ने छात्र के नाम लिखा पत्र, कहीं दिल को छू जानें वाली बातें

मैथमेटिक्स गुरु आर के श्रीवास्तवा ने अपने शिष्य को खत लिखा है जिसमे उन्होंने समाज के बड़ी कुप्रथा दहेज के दानव जो समाज को अंदर से खोखला कर रहा उसके बारे में बताया है।

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Published on: 22 July 2020 8:38 AM IST
मैथेमैटिक्स गुरू ने छात्र के नाम लिखा पत्र, कहीं दिल को छू जानें वाली बातें
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प्रिय छात्र ( दहेज) पैसे के कमजोर धागे से शादी जैसे पवित्र बंधन को न बांधे। शादी एक बहुत ही खूबसूरत बंधन है। इसे प्यार के डोर से बांधना, पैसे के कमजोर धागे से नहीं। क्योंकि पैसे के डोर से बंधने वाले रिश्तों में मतलब के गांठ पड़े हुए होते हैं। मौके और मतलब के पूरा होते ही ऐसे रिश्तों की गरमाहट खत्म हो जाती है।

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एक ही वृक्ष में दो फल

विधि की बिडम्बना है कि एक ही वृक्ष में दो फल लदे हैं। एक का नाम लड़का तो दूसरे का नाम लड़की। एक के जन्म पर तब्बे नफ़ीरी की शहनाईया गूंजने लगता है तो दूसरे के जन्म पर माता पिता के चेहरे पर उदासीनता की काली घटा मंडराने लगता है। बेटा और बेटी का ये फर्क सिर्फ और सिर्फ दहेज रूपी दानव के कारण है। जिस दिन से दहेज शब्द का अभिशाप हमारे समाज से खत्म उसदिन दिन से बेटा और बेटी का फर्क भी समाज से खत्म हो जाएगा।

गरीबी को पीछे छोड़ अपने सपनो को पंख लगा रहे हैं

देश मे मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर गूगल बॉय कौटिलया पंडित के गुरु आर के श्रीवास्तवा जिनके द्वारा आर्थिक रूप से गरीबो की नही रुकेगी पढ़ाई अभियान विगत 10 वर्षों से चलाया जाता हैं जिसके लाभ के तहत सैकड़ो गरीब स्टूडेंट्स सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा में शिक्षा प्राप्त कर आईआईटी, एनआईटी , एनडीए ,स्टेट लेबल इंजीनियरिंग सहित अन्य प्रतियोगि परीक्षाओं में सफलता का परचम लहरा अपने गरीबी को काफी पीछे छोड़ अपने सपनो को पंख लगा रहे है।

पैसे के कमजोर धागे से शादी के बंधन को न बांधे

मैथमेटिक्स गुरु आर के श्रीवास्तवा ने अपने शिष्य को खत लिखा है जिसमे उन्होंने समाज के बड़ी कुप्रथा दहेज के दानव जो समाज को अंदर से खोखला कर रहा उसके बारे में बताया है। और उन्होंने अपने शिष्य सहित देश के नई पीढ़ी को संदेश पहुचाया है की पैसे के कमजोर धागे से शादी के बंधन को न बांधे। प्रस्तुत है गुरु आर के श्रीवास्तवा का खत शिष्य के नाम-

प्रिय शिष्य,

आज आप सभी को ये पत्र लिखते हुए एक अजीब सा अहसास के साथ हमे गर्व भी हो रहा है। जिस समय आप सभी हमारे सानिध्य में रहकर जब शिक्षा ग्रहण करते समय हमारे सारी बातों को सर आँखों पर लेते आशा है आज भी आप हमारी बातो को मानते हुए एक बेहतर समाज निर्माण में अपना पूरा योगदान देंगे। आपको खत लिखते समय ऐसा अहसास हो रहा कि शायद इसे शब्दों में बांधना मुश्किल हो रहा है। फिर भी आज मेरा मन किया कि आपको कुछ बताना चाहिए तब मैंने सोचा चलो, लिख ही देता हूं, जो दिल में मेरे है आज।

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अब तुम्हारी पढ़ाई पूरी हुए भी काफी दिन हो गए हैं और तुम एक कुशल इंजीनियर सहित अन्य प्रतिष्ठित पदों एवम बड़ी कम्पनियो में कार्यरत भी हो चुके हो। दुनिया तुम्हारे लिए बाहें फैलाए खड़ी है। जीवन के इस सफर में शादी एक अहम पड़ाव है, जिसकी देहरी तक तुम पहुंच चुके हो।

शादी एक खूबसूरत बंधन

आज जब मैं तुमसे इस पत्र के माध्यम से बात कर संदेश पहुचाने की कोशिश कर रहा हूं तो ऐसा लगता है कि मुझे तुमसे कुछ बातें साझा करनी चाहिए। शादी एक बहुत ही खूबसूरत बंधन है। इसे प्यार के डोर से बांधना, पैसे के कमजोर धागे से नहीं। क्योंकि पैसे के डोर से बंधने वाले रिश्तों में मतलब के गांठ पड़े हुए होते हैं। मौके और मतलब के पूरा होते ही ऐसे रिश्तों की गरमाहट खत्म हो जाती है।

अनमोल हीरा हैं बेटियां

बेटियां वह अनमोल हीरा हैं जिसका वर्णन शब्दो मे करना काफी मुश्किल है। तुम्हारी भी कोई बहन होगी उस दिन को तुम याद करना जब तुम्हारे माता- पिता उसकी शादी को लेकर कितने चिंतित होंगे। उस समय तुम अपने माता- पिता से पूछते होंगे आप सभी को काफी दिनों से मैं परेशान देख रहा हु क्या बात है फिर वे बोलते होंगे कुछ नही बेटा बस ऐसे ही। परंतु तुम अब बड़े हो गए हो अब समझ सकते हो की इसका मुख्य कारण रहा दहेज रूपी दानव। आशा ही नही पूर्ण विश्वास है तुम दहेज न लेकर समाज के लिए एक मिशाल बनोगे।

कोई लड़की मामूली नहीं होती

किसी के घर का आंगन सूना कर तुम्हारे घर को रोशन करने वाली कोई लड़की मामूली नहीं होती। दरअसल, यह बड़े दिलवालों का काम है। जिस घर में बेटियां पलती हैं, खेलती हैं, जीवन के सपने बुनती हैं उसी घर, उसी आंगन को छोड़कर तुम्हारे घर की शोभा बढ़ाने वाली लड़की किसी फरिश्ते से कम नहीं होती।

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कोई किसी फरिश्ते को कभी तकलीफ देता है?

अब भला तुम ही सोचो कि क्या कोई किसी फरिश्ते को कभी तकलीफ देता है। जानते हो, अपने पिता के आंगन में खेलते-कूदते वक्त उसने ना जाने कितनी बार अंजाने में बिना तुम्हें देखे, बिना तुम्हें जाने अपने मन का रखवाला माना होगा। सखियों से तुम्हारे बारे में ना जाने कितनी बातें की होंगी। ना जाने तुम्हें कितनी बार दुनिया का सबसे खूबसूरत शख्स बताया होगा। ना जाने कितनी बार उसने अपने पिता को अपनी शादी की चिंता करते देख खुद को कोसा होगा।

...यह तुम भी जानते होगे

जब-जब कोई पिता अपनी सारी सुविधाओं की बलि देकर उसकी शादी और दहेज के लिए पैसे जोड़ते होंगे तब ना जाने कितनी बार उसने बोला होगा ना जाने मैं क्यों पैदा हुई? जानते हो आज इस देश की ना जाने कितनी बेटियों की जिंदगी ऐसी ही बनी हुई है। दहेज बहुत बुरी चीज है। बहुत ही बुरी। यह तुम भी जानते होगे।

जरूरतमंदों की मदद करना

याद करो वह दिन जब तुम हमारे आंगन में शिक्षा ग्रहण करते होंगे।उस समय पढ़ाई के अलावा प्रत्येक दिन मैं आपलोगो को एक नेक इंसान बनने की सलाह देता। हमेशा बोलता आप जब एक सफल इंसान बनकर अपने बल पर खड़ा हो जाओगे तो हमेशा जरूरतमंदों की मदद करना और दूसरों को सलाह भी देना। हमे आप सभी पर गर्व होगा यदि आप सभी को आज भी हमारे बाते याद होगा और आप सभी एक बेतहर समाज निर्माण में दहेज रूपी दानव को उखाड़ फेकने में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे। और यह तभी होगा जब आप अपनी खुद की शादी बिना दहेज के करेंगे।

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हमलोग इतना अमानवीय हो भी कैसे सकते हैं कि जिससे जीवन भर का रिश्ता बनने जा रहा हो उससे सौदा कर लें। ये तो मेरा गुरुजनों और पिता का दिया हुआ संस्कार है कि उन्होंने मुझे देना सिखाया न कि किसी से कुछ लेना।

...तुम दहेज मत लेना

ना जाने क्यों, मुझे ऐसा लगता है कि मुझे एक बार फिर से यह बात दोहरानी चाहिए कि तुम दहेज मत लेना। अगर वधू-पक्ष कहे कि मैं अपने मन से कुछ उपहार देना चाहता हूं तब भी मुझे यकीन है कि तुम कुछ भी नहीं लोगे बल्कि शादी के खर्चे में भी तुम्हारी भागीदारी होगी और अगर वधू-पक्ष को थोड़ी भी आर्थिक परेशानी रही तब पूरा खर्चा तुम ही उठाओगे।

...वाह क्या बात है!

अगर तुम ऐसा करोगे तब लोग कहेंगे-‘ वाह क्या बात है, देखो उसने बिना दहेज के शादी की है। हमे पूर्ण विश्वास है आप सभी हमारे पत्र पढ़ने के बाद यह संकल्प लेंगे की हम सभी बिना दहेज के शादी जैसे पवित्र बंधन में बंधेंगे।और आने वाले पीढ़ी को भी आप सभी दहेज रूपी दानव से कोशो दूर रखेंगे

आपका

आर के श्रीवास्तवा

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