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मोदी ने रचा इतिहास: तब से अब तक, ऐसे बने संघ सेवक से पीएम
बचपन से ही नरेंद्र मोदी का संघ की तरफ खासा झुकाव था। वे 1967 में 17 साल की उम्र में अहमदाबाद पहुँचे और उसी साल उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली।
नील मणि लाल
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनका जन्म आजाद भारत में हुआ था। मोदी ने एक लम्बा राजनीतिक सफर तय किया है। गुजरात में मेहसाणा जिले के वडनगर में 17 सितंबर 1950 को जन्मे नरेंद्र मोदी आज विश्व फलक पर चमकते हुए अद्भुत सितारे हैं।
संघ की तरफ झुकाव
बचपन से ही नरेंद्र मोदी का संघ की तरफ खासा झुकाव था। वे 1967 में 17 साल की उम्र में अहमदाबाद पहुँचे और उसी साल उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली। इसके बाद 1974 में वे नव निर्माण आंदोलन में शामिल हुए। सक्रिय राजनीति में आने से पहले मोदी कई वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे।
80 का दशक
मोदी 1987 में गुजरात की भाजपा इकाई में शामिल हुए। साल भर के भीतर वे भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई के महासचिव बनाए गए।
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90 का दशक
1990 में नरेंद्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में अहम भूमिका अदा की थी। इसके बाद वो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कई राज्यों के प्रभारी बनाए गए। 1990 में जब गुजरात में भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई तो वो भी उसमें शामिल थे। 1995 में गुजरात में भाजपा बहुमत से सत्ता में आयी और तबसे सत्ता में है। 1995 में ही मोदी को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया। 1998 में उन्हें संगठन महासचिव संगठन बनाया गया। नरेंद्र मोदी भाजपा के संगठन महासचिव पद पर अक्तूबर 2001 तक रहे। इसी साल गुजरात में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी गई। मोदी ने पहले उपमुख्यमंत्री बनने से इनकार कर दिया था।
गोधरा कांड
मोदी द्वारा गुजरात की सत्ता संभालने के लगभग पांच महीने बाद ही गोधरा रेल कांड हुआ जिसमें कई हिंदू कारसेवक मारे गए। इसके बाद फरवरी 2002 में गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ़ दंगे भड़क उठे। यूनाइटेड किंगडम ने दंगों में मोदी की भूमिका कि निंदा की थी और अमेरिका ने तो मोदी को डिप्लोमेटिक वीजा देने से इनकार कर दिया था। मोदी पर आरोप लगे कि वे दंगों को रोक नहीं पाए और उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया। जब भारतीय जनता पार्टी में उन्हें पद से हटाने की बात उठी तो उन्हें तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और उनके खेमे की ओर से समर्थन मिला और वे पद पर बने रहे।
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2002 – 2012 गुजरात विधान सभा चुनाव
गुजरात में दिसंबर 2002 में हुए विधान सभा चुनावों भाजपा को 182 में से 127 सीटें मिलीं , 2007 के चुनाव में 117 सीटें और 2012 में 115 सीटें मिलीं। इनका श्रेय नरेन्द्र मोदी को दिया गया और उनके विकास मॉडल की सर्वत्र प्रशंसा की गयी। उन्हें गुजरात में समृद्धि और विकास का श्रेय भी दिया जाता है।
2014 में छाया 'अबकी बार मोदी सरकार'
2014 के लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के कैंडिडेट के रूप में स्थापित हो चुके थे। प्रख्यात टाइम मैगज़ीन के एक सर्वे में उनको 2014 का पर्सन ऑफ़ द इयर चुना गया था। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा का नारा था ‘अबकी बार मोदी सरकार।’ भाजपा ने ये चुनाव भरी बहुमत से जीता और मोदी वड़ोदरा और वाराणसी – दोनों सीटों से विजयी हुए।
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2019 में फिर चली मोदी लहर
लोकसभा के 2019 के चुनाव में मोदी लहर फिर चली और भाजपा ने जबरदस्त विजय दर्ज की। 30 मई 2019 को मोदी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। 2019 में भाजपा की जीत के बाद मोदी सरकार ने उन वादों को पूरा किया जिसकी बात वह काफी सालों से करती रही थी, और विपक्ष हमेशा कहता रहा है कि वह उन्हें पूरा नहीं कर पाएगी. इनमें राम मंदिर, तीन तलाक और जम्मू कश्मीर में धारा 370 को खत्म करना शामिल है।
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इन मुद्दों पर फैसले में नरेंद्र मोदी की सरकार ने राजनीतिक साहस के साथ साथ प्रशासनिक हुनर का भी परिचय दिया. मोदी ने ऐसे ऐसे कदम उठाए जिनकी न तो विपक्ष उम्मीद कर रहा था और न ही जनता. नरेंद्र मोदी ने न तो पहल करने में कोई भय दिखाया और न ही पहल के कामयाब न होने पर उससे पल्ला झाड़ने में. अच्छे दिन से आत्मनिर्भर बनने के नरेंद्र मोदी नारे का सफर बीजेपी की कामयाबी और विफलता दोनों ही का सफर है.
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