×

राष्ट्रीय गणित दिवस: रामानुजन के रास्ते पर आनंद-आरके, बन चुके हैं महान गणितज्ञ

22 दिसंबर महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन के वर्षगाठ के मौके पर राष्ट्रिय गणित वर्ष और साथ ही उनके जन्मदिन को राष्ट्रिय गणित दिवस घोषित किया गया है।

Newstrack
Published on: 22 Nov 2020 2:04 PM IST
राष्ट्रीय गणित दिवस: रामानुजन के रास्ते पर आनंद-आरके, बन चुके हैं महान गणितज्ञ
X
राष्ट्रीय गणित दिवस: रामानुजन के रास्ते पर आनंद-आरके, बन चुके हैं महान गणितज्ञ

लखनऊ: राष्ट्रीय गणित दिवस है इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में गणित के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 22 दिसंबर महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की वर्षगाठ के मौके पर राष्ट्रिय गणित वर्ष और साथ ही उनके जन्मदिन को यानी 22 दिसंबर को राष्ट्रिय गणित दिवस घोषित किया गया है। वर्तमान में गणित को आगे बढ़ाने का काम बिहार के महान गणितज्ञ आरके श्रीवास्तव और आनंद कुमार कर रहे हैं जो कि इस क्षेत्र का जाना माना नाम बन चुका है।

गणित सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रेरित करना

युवा पीढ़ी के बीच गणित सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रेरित करने, उत्साहित करने और विकसित करने के लिए कई पहल की जाती रही हैं। इसलिए, इस दिन गणित के शिक्षकों और छात्रों को ट्रेनिंग दी जाती है, विभिन्न जगहों पर कैम्प का आयोजन किया जाता है ताकि गणित से संबंधित क्षेत्रों में टीचिंग-लर्निंग मैटेरियल्स (TLM) के विकास, उत्पादन और प्रसार पर प्रकाश डाला जा सके।

ramanuj-anandkumar-rk srivastav-4

आईये जानते हैं क्या है राष्ट्रीय गणित दिवस का इतिहास

22 दिसंबर महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की वर्षगाठ के मौके पर राष्ट्रिय गणित वर्ष और साथ ही उनके जन्मदिन को यानी 22 दिसंबर को राष्ट्रिय गणित दिवस घोषित किया गया है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 22 दिसंबर 2012 को पहली बार देश भर में राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने की घोषणा की थी।

ये भी देखें: मशहूर मैथेमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव और आनंद की सफलता के पीछे है मां का हाथ

मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं आरके श्रीवास्तव

वर्तमान में आधुनिक गणित को आगे बढ़ाने का काम बिहार के महान गणितज्ञ आरके श्रीवास्तव कर रहे हैं जो एक रुपये में छात्रों को गणित पढ़ाते हैं आरके श्रीवास्तव, 540 गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना चुके हैं। बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं।

rk srivastav

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी आरके श्रीवास्तव का नाम दर्ज है। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं, विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वाय कौटिल्य के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है।

वर्तमान में गणित के छात्रों का महान मार्गदर्शक आनंद कुमार

सुपर 30 फेम आनंद कुमार कहते हैं कि "आज मैं जो कुछ भी हु माँ के आशीर्वाद और उनके दिखाए रास्ते पर चलकर ही हूं। आज वैसे माताओं को हम प्रणाम करते हैं जिन्होंने अपने संघर्ष के बल पर अपने बच्चों को समाज में युवाओं के लिए रोल मॉडल बनाया। शिक्षा के क्षेत्र में पटना के आनंद कुमार और उनकी संस्था ‘सुपर 30’ को कौन नहीं जानता। हर साल आईआईटी रिजल्ट्स के दौरान उनके ‘सुपर 30’ की चर्चा अखबारों में खूब सुर्खियाँ बटोरती हैं। आनंद कुमार की माँ जयंती देवी ने आनंद को संभाला और पिता के गुजरने के बाद खुद माँ जयंती देवी पापड़ बनाती और आनंद उसे बेचते थे जिससे गुजरा चलता था।

ये भी देखें: दो दिग्गज एक साथ: आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव, असाधारण व्यक्तित्व के धनी

बच्चों के आईआईटी में पढ़ने के सपने को करते है पूरा

आनंद कुमार अपने इस संस्था के जरिए गरीब मेधावी बच्चों के आईआईटी में पढ़ने के सपने को हकीकत में बदलते हैं। सन् 2002 में आनंद सर ने सुपर 30 की शुरुआत की और तीस बच्चों को नि:शुल्क आईआईटी की कोचिंग देना शुरु किया। पहले ही साल यानी 2003 की आईआईटी प्रवेश परीक्षाओं में सुपर 30 के 30 में से 18 बच्चों को सफलता हासिल हो गई। उसके बाद 2004 में 30 में से 22 बच्चे और 2005 में 26 बच्चों को सफलता मिली। इसीप्रकार सफलता का ग्राफ लगातार बढ़ता गया। सन् 2008 से 2010 तक सुपर 30 का रिजल्ट सौ प्रतिशत रहा।

anand kumar

राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय मंचों को करते हैं संबोधित

आज आनंद कुमार राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय मंचों को संबोधित करते हैं। उनके सुपर 30 की चर्चा विदेशों तक फैल चुकी है। कई विदेशी विद्वान उनका इंस्टीट्यूट देखने आते हैं और आनंद कुमार की कार्यशैली को समझने की कोशिश करते हैं। इनके जीवनी पर बॉलीवुड ने फिल्म सुपर 30 भी बना चुका है । आनंद कुमार विश्व के प्रतिष्ठित विश्विद्यालय अपने यहाँ सेमिनार के लिए भी बुलाते है। आज आनंद कुमार का नाम पूरी दुनिया जानती है और इसमें कोई शक नहीं कि आनंद कुमार देश का गौरव हैं।

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को मद्रास से लगभग 400 किलोमीटर दूर ईरोड नगर में हुआ था। बचपन से ही इनको गणित में रूचि थी। इनकी गिनती उन महान वैज्ञानिकों में की जाती है, जिन्होंने विश्व में नए ज्ञान को पाने और खोजने की पहल की।

कैसे मनाया जाता है राष्ट्रीय गणित दिवस?

राष्ट्रिय गणित दिवस भारत के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों में मनाया जाता है। यहां तक कि इंटरनेशनल सोसाइटी यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) और भारत ने गणित सीखने और समझ को फैलाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की थी। साथ ही छात्रों को गणित में शिक्षित करने के लिए विभिन्न कदम उठाये और दुनिया भर में छात्रों और शिक्षार्थियों के लिए ज्ञान का प्रसार किया।

NASI (The National Academy of Sciences India) इलाहाबाद में स्थित सबसे पुराना विज्ञान अकादमी है। राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने के लिए, NASI गणित और रामानुजन के अनुप्रयोगों में कार्यशाला का आयोजन करती है। कार्यशाला में राष्ट्र भर से गणित के क्षेत्र में लोकप्रिय व्याख्याताओं और विशेषज्ञ भाग लेते हैं। देश और विश्व स्तर पर स्पीकर्स श्रीनिवास रामानुजन के गणित में योगदान के बारे में बताते हैं।

ये भी देखें: गरीब छात्रों के लिए भगवान हैं आरके श्रीवास्तव, जेईई-मेन में टॉप पर रहे स्टूडेंट्स

श्रीनिवास रामानुजन का क्या रहा योगदान

श्रीनिवास रामानुजन महानतम गणितज्ञों में से एक हैं जिनके सहायक और योगदान ने गणित को पूरी तरह से नया अर्थ दिया है। इसलिए उन्हें "गणितज्ञों का गणितज्ञ" भी कहा जाता है। रामानुजन ने 12 साल की उम्र में त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी और बिना किसी की सहायता के खुद से कई प्रमेय (Theorems) भी विकसित किए।

ramanuj-anandkumar-rk srivastav-2

जी.एस. कार की लिखी हुई गणित की पुस्तक से हुए प्रभावित

उनकी आरंभिक शिक्षा कुम्भकोणम के प्राइमरी स्कूल में हुई और फिर 1898 में टाउन हाई स्कूल में एडमिशन लिया और सभी विषय में अच्छे अंक प्राप्त किए। यहीं पर उनको जी.एस. कार की लिखी हुई गणित विषय में पुस्तक पढ़ने का अवसर मिला और इससे प्रभावित होकर उनकी रूचि गणित में बढ़ने लगी। साथ ही उन्होंने गणित विषय में काम करना प्रारंभ कर दिया।

उनका बचपन काफी कठिनाइयो में बीता। वे अधिकतर विद्यालय में दोस्तों से किताबें उधार लेकर पढ़ा करते थे। युवा होने पर घर की आर्थिक आवश्यकताओं की अपूर्ति के लिए उन्होंने क्लर्क की नौकरी कर ली और खाली होने पर वे गणित के प्रश्न हल किया करते थे और कई प्रकार की theorems पर वर्क करते थे। एक बार एक अंग्रेज़ कि नजर उन पन्नों पर पड़ गई और उसने निजी रूची लेकर श्रीनिवास रामानुजन को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रो। हार्डी के पास भेजने का प्रबंध कर दिया। प्रो। हार्डी ने उनमें छिपी प्रतिभा को पहचाना जिसके बाद उनकी ख्याति विश्व भर में फैल गई।

रामानुजन प्राइम, रामानुजन थीटा फ़ंक्शन

रामानुजन ने बिना किसी सहायता के हजारों रिजल्ट्स, ज्यादातर identities और equations के रूप में संकलित किए। कई रिजल्ट्स पूरी तरह से original थे जैसे कि रामानुजन प्राइम, रामानुजन थीटा फ़ंक्शन, विभाजन सूत्र और mock थीटा फ़ंक्शन। इन रिजल्ट्स और identities ने पूरी तरह से काम के नए क्षेत्र खोल दिए और आगे रिसर्च करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने divergent series पर अपने सिद्धांत को बनाया। इसके अलावा, उन्होंने रीमैन श्रृंखला (Riemann series), the elliptic integrals, हाइपरजोमेट्रिक श्रृंखला (hypergeometric series) और जेटा फ़ंक्शन के कार्यात्मक समीकरणों पर काम किया। 1729 नंबर हार्डी-रामानुजन (Hardy-Ramanujan) नंबर के रूप में भी प्रसिद्ध है।

ramanuj-anandkumar-rk srivastav-3

ये भी देखें: छात्रों के लिए सुपर 30 फेम ‘आनंद’ और मैथेमैटिक्स गुरु ‘आरके’ लाये ये आइडिया

आधुनिक गणित और विज्ञान कि आधारशिला बनी

काफी परिश्रम के कारण रामानुजन बीमार रहने लगे थे और मात्र 32 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनकी कई प्रमेयों (Theorems) को छपवाया गया और इनमें से कई ऐसी Theorems भी हैं जिनकों कई दशक तक सुलझाया भी नहीं जा सका। इसमें कोई संदेह नहीं है की रामानुजन द्वारा कि गई गणित के क्षेत्र में खोज आधुनिक गणित और विज्ञान कि आधारशिला बनी। यहां तक की उनका संख्या-सिद्धान्त पर किया गया कार्य के कारण ही उन्हें 'संख्याओं का जादूगर' माना जाता है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story