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राजस्थान की सियासत में अलग ही नजारा, गहलोत ने क्यों चली बहुमत साबित करने की चाल
राजस्थान में विपक्ष नहीं बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद बहुमत साबित करने की मांग पर अड़े हुए हैं। आखिर इसका कारण क्या है?
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: राजस्थान के सियासी अखाड़े में अलग ही नजारा दिख रहा है। सियासत में अभी तक विपक्ष ही किसी सरकार के बहुमत साबित करने की मांग को लेकर अड़ता रहा है मगर राजस्थान में तो उल्टा ही नजारा दिख रहा है। राजस्थान में विपक्ष नहीं बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुमत साबित करने की मांग पर अड़े हुए हैं। आखिर इसका कारण क्या है? दरअसल गहलोत सियासी पिच के माहिर खिलाड़ी हैं और उन्होंने बहुत सोच समझकर बहुमत साबित करने की यह चाल चली है। अपने समर्थक विधायकों को राजभवन में धरने पर बैठाकर उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं।
राजधानी में दिनभर सियासी ड्रामा
राजधानी जयपुर में शुक्रवार को दिनभर खूब सियासी ड्रामा चला। हाईकोर्ट का फैसला सचिन पायलट खेमे के पक्ष में आने के बाद गहलोत ने बड़ी चाल चलते हुए अपने समर्थक विधायकों को लेकर राजभवन की ओर कूच कर दिया। गहलोत के समर्थक विधायक धरने पर बैठ गए और राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट के लिए विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग पर अड़ गए।
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इस मामले में राजभवन की ओर से दलील दी जा रही है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए महामहिम अभी इस मामले में कोई फैसला नहीं कर सकते। राजभवन का यह भी कहना है कि दो संवैधानिक संस्थाओं के बीच किसी भी प्रकार का टकराव नहीं होना चाहिए। कोरोना संकट के बीच सत्र बुलाने में दिक्कतों की दलील भी दी जा रही है।
गहलोत को सता रहा है इस बात का डर
दूसरी और गहलोत विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग पर अड़े हुए हैं। आमतौर पर सियासी मैदान में विपक्ष इस मांग को लेकर अड़ता रहा है मगर गहलोत के इस पर अड़ने के आखिर क्या कारण हैं? सियासी जानकारों का कहना है कि गहलोत ने बहुत सोच समझकर यह चाल चली है। दरअसल गहलोत को अभी भी सरकार को समर्थन देने वाले कुछ विधायकों के टूटने का भय सता रहा है। वे जल्द से जल्द बहुमत साबित करके अपनी सरकार पर निकट भविष्य में पैदा होने वाले संकट को टालना चाहते हैं।
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जानकारों के मुताबिक विधानसभा के गणित को देखते हुए गहलोत के बहुमत साबित करने में कामयाब होने की उम्मीद है और ऐसे में उनकी सरकार पर आया संकट छह महीने के लिए टल जाएगा। इसके साथ ही गहलोत अपने खिलाफ बगावत करने वाले सचिन पायलट को भी सबक सिखाना चाहते हैं। सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद अब वे उन्हें कांग्रेस से बाहर करने की मुहिम में जुटे हुए हैं। अगर विधानसभा का सत्र बुलाया जाता है तो पार्टी की ओर से विधायकों को व्हिप जारी किया जाएगा। ऐसे में अगर पायलट और उनके समर्थक विधायक विधानसभा के सत्र में शामिल नहीं हुए तो उन्हें पार्टी से निकालने का रास्ता काफी आसान हो जाएगा।
इस तरह बढ़ेंगी सचिन की दिक्कतें
विधानसभा का सत्र बुलाने पर सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की दिक्कतें भी बढ़ जाएंगी। पार्टी की ओर से व्हिप जारी करने के बाद यदि पायलट और उनके समर्थक विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए पहुंचते हैं तो स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ऑडियो टेप मामले में पायलट गुट के आरोपी विधायकों से पूछताछ कर सकती है। अभी तक एसओजी की तमाम कोशिशों के बावजूद विधायकों से पूछताछ नहीं की जा सकी है।
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पायलट के खिलाफ गहलोत सरकार को गिराने की साजिश में राजस्थान पुलिस की ओर से समन भेजा गया था और उस मामले में भी पुलिस उनसे पूछताछ कर सकती है। हाईकोर्ट के फैसले से झटका खाने के बाद गहलोत को सुप्रीम कोर्ट से भी भय सता रहा है। गहलोत को डर है कि यदि राजस्थान हाईकोर्ट की तरह सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पीकर के नोटिस को गलत ठहरा दिया और पायलट गुट के विधायकों की सदस्यता बरकरार रखी तो आने वाले दिनों में उनकी सरकार के लिए संकट और बढ़ जाएगा।
बहुमत को लेकर गहलोत निश्चिंत
मुख्यमंत्री गहलोत ने शुक्रवार को पूरे विश्वास के साथ कहा कि हमें कोई चिंता नहीं है क्योंकि हम पूरी तरह से एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी सरकार के बहुमत को लेकर तनिक भी परेशान नहीं हैं। राज्यपाल को तत्काल विधानसभा का सत्र बुलाकर मुझे बहुमत साबित करने का मौका देना चाहिए मगर राज्यपाल ऊपरी दबाव के कारण कोई फैसला नहीं कर पा रहे हैं। गहलोत ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक पद पर हैं और उन्होंने संविधान की शपथ ली है। उन्हें अपनी अंतरात्मा के आधार पर फैसला करना चाहिए।
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गहलोत ने कहा कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं और राजस्थान की जनता राजभवन को भेजने आ गई तो ऐसे में हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार के बहुमत में होने के संबंध में विपक्षी दलों में भी किसी प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिए क्योंकि हम खुद बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं। ऐसे में राज्यपाल को सरकार की मांग मांगते हुए विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए ताकि मैं अपना बहुमत साबित कर सकूं।