मोदी सरकार के लिए नई मुसीबत, निजीकरण के खिलाफ बीएमएस उठाएगा ये कदम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े बड़े संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

Ashiki
Published on: 5 Jun 2020 5:31 AM GMT
मोदी सरकार के लिए नई मुसीबत, निजीकरण के खिलाफ बीएमएस उठाएगा ये कदम
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े बड़े संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संगठन ने मोदी सरकार के निजीकरण के अभियान के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने का एलान किया है। संगठन का यह आंदोलन 10 जून से शुरू किया जाएगा। बीएमएस का कहना है कि जब तक सरकार पब्लिक सेक्टर विरोधी और मजदूर व देश विरोधी निर्णयों को नहीं रोक देती तब तक बीएमएस का यह आंदोलन चलता रहेगा।

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राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने का हक नहीं

भारतीय मजदूर संघ की हाल में हुई दो दिवसीय बैठक में सरकार की निजीकरण मुहिम पर गुस्सा जताते हुए आंदोलन की रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। संघ का कहना है कि सरकारी तंत्र को चलाने के लिए पैसों की भारी जरूरत की बात कहकर सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के निजीकरण को जायज ठहरा रही है मगर इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

बीएमएस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार को अपने पूर्ववर्तियों द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। हम राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचकर पैसा जुटाने की सरकार की कोशिशों के सख्त खिलाफ हैं। जब तक सरकार पब्लिक सेक्टर और मजदूर विरोधी फैसलों पर अमल नहीं रोकेगी तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।

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समन्वय समिति की बैठक में बड़ा फैसला

भारतीय मजदूर संघ की ओर से नारा दिया गया है पब्लिक सेक्टर बचाओ, भारत बचाओ। संगठन इसी के बैनर तले 10 जून से राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने जा रहा है। बीएमएस की सार्वजनिक क्षेत्रों की राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक में यह आंदोलन छेड़ने का फैसला किया गया। बैठक में रेलवे, डाक, बैंकिंग, बीमा, रक्षा, स्टील, बिजली, भारी इंजीनियरिंग और कोयला आदि विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों में सक्रिय बीएमएस संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

सरकार का निजीकरण पर जोर

केंद्र सरकार की ओर से इधर निजीकरण की मुहिम पर जोर दिया जा रहा है और सरकार इसके जरिए पैसा जुटाने की कोशिश में लगी हुई है। सरकार की ओर से इसे अलग-अलग नाम दिए गए हैं। रेलवे के कारपोरेटाइजेशन पर सरकार की ओर से जोर दिया जा रहा है जबकि रेलवे में इसका व्यापक स्तर पर विरोध किया जा रहा है। हाल के दिनों में निजी ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो गया है। सरकार की ओर से कोयला क्षेत्र के व्यवसायीकरण, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बिक्री और एफडीआई की सीमा बढ़ाने जैसे कदम उठाए गए हैं।

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मजदूर विरोधी फैसलों के खिलाफ है बीएमएस

भारतीय मजदूर संघ पहले भी सरकार के इन कदमों पर गहरी आपत्ति जताता रहा है और सरकार से मजदूर विरोधी फैसलों को वापस लेने की मांग करता रहा है। बीएमएस अब खुलकर सरकार के इन कदमों के खिलाफ मैदान में आ गया है। बीएमएस की ओर से किए गए आंदोलन के एलान को इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। पूरे देश में सक्रिय भारतीय मजदूर संघ की इकाइयां इस आंदोलन में हिस्सा लेंगी।

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