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फर्जी बाबाओं पर बड़ी खबर, आश्रमखाली कराए जाने पर याचिका दाखिल
याचिका में केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि इन आश्रमों में सैकड़ों महिलाओं को गलत ढंग से रखा जाता है।
नई दिल्ली। आए दिन फर्जी बाबाओं की असामाजिक गतिविधियों को लेकर उच्चतम न्यायालय पर दायर एक याचिका पर सुनवाई की जाएगी। यह याचिका तेलेगांना में एक पिता ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के रोहिणी इलाके में बने आश्रम आध्यात्मिक विद्यालय को खाली करवाया जाए। इस आश्रम में रह रही याचिकाकर्ता पिता की बेटी व अन्य 170 महिलाओं को आश्रम से मुक्त करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट दो हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा।
केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश देने की मांग की
याचिका में केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि इन आश्रमों में सैकड़ों महिलाओं को गलत ढंग से रखा जाता है। इससे उन्हे कोरोना फैलने का भी खतरा हे। सिकंदराबाद निवासी याचिकाकर्ता डम्पला रामरेड्डी ने भी देश में आध्यात्मिक संस्थाओं आश्रमों की स्थापना के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग भी की है।
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तीन साल से फरार चल रहा
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका तेलंगाना निवासी पिता ने दाखिल की है, जिसमें कहा है कि जुलाई 2015 में उनकी बेटी विदेश से डाक्टरी की उच्च शिक्षा की पढ़ाई करके आई थी, जोकि दिल्ली में एक फर्जी बाबा विरेंद्र दीक्षित के चुंगल में फंस गई और पिछले पांच सालों से इस बाबा के दिल्ली के रोहिणी इलाके में बने आश्रम आध्यात्मिक विद्यालय में रह रही है। ये बाबा बलात्कार के आरोप में तीन साल से फरार चल रहा है।
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देशभर में 17 आश्रम व अखाड़े फर्जी
याचिका में कहा गया है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने देशभर में 17 आश्रम व अखाड़े को फर्जी करार दिया है. जिनमें ज्यादातर अवैध निर्माण वाली बिल्डिंग में चल रहे हैं, जहां रहने लायक मूल सुविधाएं तक नहीं है। इन महिलाओं की की स्थिति कारागार जैसी है। यहां अगर कोरोना फैल गया तो सभालना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए यहां रह रही लड़कियों और महिलाओं को इन आश्रम व अखाड़ों से सुरक्षित बाहर निकाला जाए।
याचिका में कहा गया है कि अधिकारियों द्वारा आश्रमों को बंद नहीं किया गया है और साथ ही ऐसे बाबाओं एवं आश्रमों को पैसे का स्रोत सरकार द्वारा पता लगाया नहीं लगाया गया है। याचिका में रोहिणी के वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम को भी बंद कराने की मांग है.।
रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री, लखनऊ
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